Mohit Sharma's Blog, page 12

January 14, 2018

#Update Kids Magazine

Hey everyone! :D I have recently started working as a voice-over artist and author (different age groups) for bilingual kids magazine Neev. नींव बाल पतरिका के विभिनन आयु वरगों के लिए वॉइस-ओवर (ऑडियो) और लेखन शुरू किया।
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...also Co-judged Kalamkaar 2017 Contest (RD Magazine)#neev #mohitness #voicetalent #update #mohit_trendster
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Published on January 14, 2018 04:47

December 28, 2017

"काश मैं अमिताभ बच्चन का अंतर्मन होता..." (हास्य)


मैंने एक कहानी लिखी और मेरा अपने अंतरमन से वारतालाप शुरू हो गया। 
अंतरमन - "छी! कया है ये?"
मोहित - "कहानी है और कया है?"
अंतरमन - "ये सवाल जैसे जवाब देकर मेरा पैटरन मत बिगाड़ा करों! 4/10 है ये...इस से तुमहारा नाम जुड़ा हुआ है। पढ़ के लोग कया कहेंगे?"
मोहित - "ठीक है, मैं कुछ चेंज करता हूँ।"
बार-बार बदलाव के बाद भी अंतरमन पर कुछ ख़ास अंतर नहीं पड़ा...
अंतरमन - "किसी सिदध मुनि का घुटना पड़ना चाहिए तुमहारे खोपड़े पर तभी कुछ उममीद बनेगी। 4.75/10 हुआ अब!"
मोहित - "ये दशमलव की खेती का ल...
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Published on December 28, 2017 14:53

December 27, 2017

एक सीमान्त (लघुकथा)


नमरता को उसके गायक पति शिबू भोला ने डेढ़ घंटे बाद फ़ोन करने की बात कही थी। बेचैनी में उसने जैसे डेढ़ घंटे के 5400 सेकणडस पूरे होते ही शिबू को फ़ोन मिलाया। 
"हैलो!"
"हाँ हैलो...अभी गाड़ी में हूँ..."
...पर नमरता को उस सब से कहाँ मतलब था। शिबू की आवाज़ से वो भांप भी चुकी थी कि कॉल जारी रखने से कोई परेशानी नहीं होगी। 
"कया रहा?"
"हाँ, मेरे साथ 2 रिकॉरडिंग करेंगे ये लोग।"
नमरता चहक उठी। काफी समय से खाली और परेशान चल रहे शिबू को एक बार फिर काम मिल गया था। 
कुछ देर बाद शिबू की तेज़ आवाज़ सुनकर नमरता...
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Published on December 27, 2017 14:38

December 23, 2017

जासूस सास (हास्य कहानी)


लकषमी कुमारी सवेटर बुनने से तेज़ गति से अपनी बहु पर विचार बुन रही थीं।  वैसे उनकी बहु शताकषी ठीक थी....बलकि जैसी कुलकषणी, कलमुँही बहुएं टीवी और अख़बारों में दिखती हैं उनके सामने तो शताकषी ठीक होने की पराकाषठा ही समझो। फिर भी लकषमी को एक बात परेशान करती थी। केवल उनहें ही नहीं, कॉलोनी की कुछ और सास भी इस मुददे पर चिंतित थीं। कई घरों की 25 से लेकर 40 साल की महिलाएं आपस में अकसर झुंड में घंटों पता नहीं कया बतियाती रहती थीं। बाहर से लगता कि मानो चुगलियों की कितने पहाड़ चढ़ रही हैं।&nbsp...
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Published on December 23, 2017 12:28

December 22, 2017

काल्पनिक निष्पक्षता (कहानी)


"जगह देख कर ठहाका लगाया करो, वरणित! तुमहारे चककर में मेरी भी हँसी छूट जाती है। आज उस इंटरवयू में कितनी मुशकिल से संभाला मैंने...हा हा हा।"
मशहूर टीवी चैनल और मीडिया हाउस के मालिक शेखर सूद ने दफ़तर में अपनी धुन में चल रहे अपने लड़के वरणित को रोककर कहा। 
वरणित - "डैडी! आज हर इंटरवयू में कैंडिडेट बोल रहे थे कि हमारे चैनल में वो इसलिए काम करना चाहते हैं कयोंकि हमारा चैनल निषपकष है। उसपर आप जो धीर गंभीर भाव बनाते थे उन एकसपरेशंस को देख कर खुद को रोकना मुशकिल हो गया था।"
शेखर - "हप! मेरे हाथों पिटा...
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Published on December 22, 2017 00:15

December 10, 2017

Educational-Horror Comic: Samaj Levak (Freelance Talents)

New experimental genre mix, समाज लेवक (Samaj Levak) - Social Leech (Educational-Horror Comic)Illustrators: Anand Singh, Prakash Bhalavi (Bhagwant Bhalla), Author: Mohit Trendster, Colorist: Harendra Saini, Letterer: Youdhveer Singhhttps://goo.gl/uqV8FVhttps://goo.gl/2AuveVhttps://goo.gl/euqPFuhttps://goo.gl/VdrXy1http://freelea.se/mohit-trendster/samaj-levak-horror-comic Also Available: Google Play, Google Books, Readwhere, Magzter, Dailyhunt, Ebook360 and other leading websites, mobile apps.=...
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Published on December 10, 2017 02:23

December 8, 2017

प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रिया (सभी कलाकारों के लिए लेख) #ज़हन


हर परकार के रचनातमक कारय, कला को देखने वाले वयकति की परतिकरिया अलग होती है। यह परतिकरिया उस वयकति की पसंद, माहौल, लालन-पालन जैसी बातों पर निरभर करती है। आम जनता हर रचनातमक काम को 3 शरेणियों में रखती है - अचछा, ठीक-ठाक और बेकार। हाँ, कभी-कभार कोई काम "बहुत बढ़िया / ज़बरदसत" हो जाता है और कोई काम "कया सोच कर बना दिया? / महाबकवास" हो जाता है। रचनाकार को अधिकतर ऐसे ही रिवयू मिलते हैं। 
इन रिवयू से केवल ये पता लगाया जा सकता है कि फलाना शरेणी का काम फलाना तरह के लोगों को पसंद या नापसंद आता है। उद...
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Published on December 08, 2017 18:11

December 7, 2017

हम सब (आंशिक) पागल हैं #लेख


मानसिक रूप से असथिर या गंभीर अवसाद में सामानय से उलटा वयवहार करने वाले लोगों को पागल की शरेणी में रखा जाता है। समाज के मानक अनुसार सामानयता का परमाणपतर लेना आसान है - आम वयकति, अपनी आरथिक/सामाजिक सथिति अनुसार हरकतें और आम जीवन। इतनी परतों वाला जीवन कया केवल दो शरेणियों में बाँटा जा सकता है? मेरी एक थयोरी है। हम सब पागल हैं। अंतर केवल इतना है कि किस हद तक, किन बातों पर, किस दशा-माहौल में और किन लोगो के साथ हम खुद पर नियंतरण रख पाते हैं। अकसर शांतचित रहने वाले लोगों को काफी छोटी बात पर बिफरते द...
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Published on December 07, 2017 16:26

December 3, 2017

सड़ता हुआ मांस क्या कहेगा? (वीभत्स रस) #nazm #tribute


Revolutionary and Hindi writer Yashpal's 114th birth anniversary, The Government of India issued a commemorative Yashpal Centenary postage stamp (2003).आज करांतिदूत, लेखक यशपाल जी का जनमदिवस है। इस अवसर पर देशभर में कारयकरम आयोजित होते हैं। वैसे तो यशपाल जी हमें 41 वरष पहले छोड़ कर जा चुके हैं पर उनका लेखन अबतक देश का मारगदरशन करता रहा है और आगे जाने कितनी ही पीढ़ियों की उंगली पकड़कर उनहें चलना सिखाता रहेगा। उनकी समृतियों को याद करते हुए उनके सुपुतर आनंद जी बताते हैं कि वो लेखन को एक नौकरी...
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Published on December 03, 2017 06:08

November 26, 2017

"...और मैं अनूप जलोटा का सहपाठी भी था।"

*कलाकार शरी सतय पाल सोनकर
पिछले शादी के सीज़न से ये आदत बनायी है कि पैसों के लिफाफे के साथ छोटी पेंटिंग उपहार में देता हूँ। पेंटिंग से मेरा मतलब फरेम हुआ परिंट पोसटर या तसवीर नहीं बलकि हाथ से बनी कलाकृति है। पैसे अधिक खरच होते हैं पर अचछा लगता है कि किसी कलाकार को कुछ लाभ तो मिला। एक काम से घुमते हुए शहर की तंग गलियों में पहुँचा खरीदना कुछ था पर बिना बोरड की एक दुकान ने मेरा धयान खींचा जिसके अंदर कुछ कलाकृतियाँ और फरेम रखे हुए थे। सोचा पेंटिंग देख लेता हूँ। कुछ खरीदने से पहले एक बार य...
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Published on November 26, 2017 05:46