Mohit Sharma's Blog, page 14

July 29, 2017

साक्षात्कार: देवेन पाण्डेय (इश्क़ बकलोल वाले)


देवेंदर (देवेन) पाणडेय जी से मेरा परिचय एक कॉमिक कमयुनिटी पर हुआ। वहाँ कई परशंसक कॉमिक समीकषा, फैन फिकशन, कला, विचार साझा करते हैं। समीकषाओं, विचारों की सीढ़ी चढ़ते हुए देवेन भाई के लेख कुछ  पतरिकाओं एवम ऑनलाइन पोरटलस पर परकाशित हुए और अब "इशक़ बकलोल" के साथ वह साहितय की दुनिया में अपनी नई पारी शुरू कर रहे हैं। बड़ी उतसुकता के साथ उनहोंने मुझसे नॉवेल की कहानी साझा की थी और कहानी सुनकर मुझे लगा कि वाकई इस नज़रिये से "इस" कहानी को कहा जाना बहुत ज़रूरी था। यही कारण था कि इस नॉवेल म...
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Published on July 29, 2017 16:46

July 15, 2017

झुलसी दुआ (कहानी) #ज़हन


सरकारी नौकरी की तैयारी में कई वरष बिताने के बाद सोमेश का चयन अगनिशमन करमी पद पर हुआ। जहाँ घरवालों में जोखिम भरी नौकरी को लेकर सवाल और चिंता थी वहीं सोमेश के तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी थी। बचपन में वो सुपरहीरो बनना चाहता था, फ़िलमी हीरो नहीं बलकि लोगो की मदद करने वाला असली हीरो। बड़े होते-होते उसे दुनिया की ज़मीनी सचचाई पता चली और उसने हीरो बनने का विचार तो छोड़ दिया पर लोगो की मदद करने वाले किसी कषेतर में जाने की बात ने उसके बचपन का सुपरहीरो फिर से जगा दिया। समाजसेवा के साथ-साथ जीविका कमाना...
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Published on July 15, 2017 01:31

July 11, 2017

पैमाने के दायरों में रहना... (नज़्म) #ज़हन


पैमाने के दायरों में रहना,छलक जाओ तो फिर ना कहना... जो जहां लकीरों की कदर में पड़ा होउस से पंखों के ऊपर ना उलझना...किनही मरज़ियों में बिना बहस झुक जाना,तुमहारी तक़दीर में है सिमटना...
पैमाने के दायरों में रहना,छलक जाओ तो फिर ना कहना... कया करोगे इंकिलाब लाकर?आख़िर तो गिदधों के बीच ही रहना... नहीं मिलेगी आज़ाद ज़मीन,तुम दरारों के बीच से बह लेना... 
पैमाने के दायरों में रहना,छलक जाओ तो फिर ना कहना... जिस से हिसाब करने का है इरादा,गिरवी रखा है उसपर माँ का गहना... औरों की तर...
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Published on July 11, 2017 23:52

July 9, 2017

कलरब्लाइंड साजन (कहानी) #ज़हन


"देखना ये सही शेड बना है? आना ज़रा..."
"मैं नहीं आ रही! जब कोई काम कर रही होती हूँ तभी तुमहे बुलाना होता है।"
अपने कलाकार पति आशीष को ताना मारती हुई और दो पल पहले कही अपनी ही बात ना मानती हुई रूही, उसके कैनवास के पास आकर खड़ी हो गई। 
रूही - "यहाँ नारंगी लगाना होगा तुम लाल सा कर रहे हो।"
आशीष छेड़ते हुए बोला - "किस चीज़ की लालसा?"
रूही - "इस लाल रंग ने नाक में दम कर रखा है। देखो! जब कोई बिजी, थका हुआ हो तो उसे और गुससा नहीं दिलवाना चाहिए। गैस बंद कर के आई हूँ।"
आशीष ने आँखों से माफ़ी मांगी और रूही म...
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Published on July 09, 2017 00:48

May 4, 2017

बोगस परग्रही (कहानी) #ज़हन

बोगस परगरही सीरीज में आपका सवागत है। यहाँ हर एपिसोड में हम कवर करेंगे भौजीकसम गरह के दो खोजी-टोही वैजञानिक कुचचु सिंह और पुचचु सिंह के रोमांचक कारनामे। 
बरहमाणड में तैरते अनगिनत पतथरों में से उन दोनों को पृथवी की खोजबीन और जांच की जिममेदारी मिली थी। उनके उननत यान में सदियों तक ईंधन और आहार की कमी नहीं होने वाली थी। पृथवी के इतना पास होते हुए भी मानवो के अंतरिकष सटेशन, अनय यंतर उनहें नहीं देख पाते थे। कुचचु-पुचचु बुदधिमान तो थे पर अववल दरजे के आलसी भी थे। उनका साढ़े तीन फ़ीट का कद भौजीक...
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Published on May 04, 2017 10:06

April 28, 2017

तेज़ाबी आँखें (कहानी) #ज़हन

**Warning: Contains Strong Language**
पिछले कुछ समय से सीतापुर सथित एक सवयंसेवी संसथा के संचालक अनिक कृषणन देश और दुनिया की सुरख़ियों में छाये थे। एकतरफा पयार और खुनदक की वजह से हुए एसिड अटैक के बाद अपनी सूरत की रौनक खो चुकी लड़की रिदधिमा की सीरत पर अनिक मोहित हो चुके थे। परेम परवान चढ़ने पर अनिक ने समाज से दुतकारी गयी रिदधिमा को अपने घर और मन में आसरा दिया। अब यह जोड़ा लिव-इन समबनध में साथ खुश था। किसी सथानीय पतरिका दवारा खबर पकडे जाने पर जैसे गंध लेते हुए अनिक के पास मीडिया का जमावड़ा लगने लगा। ह...
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Published on April 28, 2017 02:08

April 11, 2017

कुपोषित संस्कार (व्यंग)


वरष में एक बार होने वाले धारमिक अनुषठान, हवन के बाद अपने अपारटमेंट की छत पर चिड़ियों को पूड़ी-परसाद रखने गया तो 150 पूड़ियाँ देख के मन बैठ गया कि मेरी पूड़ी तो इतनी कुरकुरी भी नहीं लग रही जो बाकी डेढ़ सौ को छोड़ कर कोई कौवा या चिड़िया इसमें कुछ रूचि ले। फिर कुतते और गाय को नीचे ढूंढ़ने निकला ही था कि कुछ पडोसी मिल गए जो मेरी तरह परसाद लिए नीचे आ रहे थे। सोसाइटी के बाहर आवारा कुतते जो अपनी टाँगे ऊपर कर अलग-अलग कोण पर शवासन में पड़े थे, हम लोगो को देख कर दौड़ पड़े। उनका थुलथुल मुखिया जिसकी थूथन से लेकर पू...
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Published on April 11, 2017 18:31

April 8, 2017

टीनएज ट्रकवाली (कहानी) #ज़हन


थाने में बैठा कमलू सिपाहियों, पतरकारों और कुछ लोगो की भीड़ लगने का इंतज़ार कर रहा था ताकि अपनी कहानी ज़यादा से ज़यादा लोगो को सुना सके। पुलिस के बारे में उसने काफी उलटा-सुलटा सुन रखा था तो मन के दिलासे के लिए कुछ देर रुकना बेहतर समझा। 
"हज़ारो किलोमीटर लमबा सफर करते हैं हम टरक वाले साहब! एक बार में पूरा देश नाप देते हैं। जगह-जगह रुकता हूँ, सब जानते हैं मुझे। आपके थाने में 4 ढाबे पड़ते हैं पर रात में केवल एक खुला मिलता है तो अकसर यहाँ रुकना होता है। एक बार उसके अगले पेटरोल पंप के बाहर बैठी एक लड़...
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Published on April 08, 2017 13:32

March 26, 2017

Jug Jug Maro #2 - Nashedi Aurat (Alcoholic Woman)


 जुग जुग मरो #2नशे, दारु की लथ में अपना पति खो चुकी औरत नशे में ही उसे ढूँढ रही है और पूछ रही है ऐसी कया ख़ास बात है नशे में जो कितनी आसानी से कितनी ज़िनदगीयां लील लेता है। इस बार एक कविता और एक नज़म के साथ पेश है - नशेड़ी औरत! (कावय कॉमिकस) Illustrator - Amit AlbertPoet, Script - Mohit TrendsterColorist - Harendra SainiLetterer - Youdhveer Singh

Read or Download 
(Combined Part 1-2 Ecomic available on Google Play, Google Books, Readhwhere, Dailyhunt, Scribd, AuthorStream, ISSUU, Arc...
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Published on March 26, 2017 16:12

March 15, 2017

रंग का मोल (कहानी) #ज़हन


आज भारत और नेपाल में हो रहीं 2 शादियों में एक अनोखा बंधन था। 
दिवयांशी अपने सांवले रंग को लेकर चिंतित रहती थी। सारे जतन करने बाद भी उसका रंग उसकी संतुषटि लायक नहीं हुआ। दिवयांशी का मीनिया इस हद तक पहुँच गया था कि वह अवसाद में चली गई। कुछ समय पहले एजेंट को अपनी बलड गरुप, मेडिकल जानकारी देते समय दिवयांशी के परिवार को ज़यादा उममीद तो नहीं थी पर बचची की ज़िद और दिल की तसलली के लिए सेठ विभूतिचंद ने यह कदम उठाया।  
फिर तुरंत ही पता चला कि दिवयांशी के बलड गरुप से मिलती एक गोरी नेपाली लड़की राज़ी...
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Published on March 15, 2017 12:15