Mohit Sharma's Blog, page 13
November 25, 2017
नयी कॉमिक - पगली प्रकृति (Vacuumed Sanctity Comic)
Comic: Pagli Prakriti - पगली परकृति (Vacuumed Sanctity), Hindi - 15 Pages. English version coming soon.Readwhere - https://goo.gl/r3snfZGoogle Play - https://goo.gl/Drp1BsIssuu - https://goo.gl/e7H8HqNazariya Now - http://www.nazariyanow.com/2017/11/Vacuumed-Sanctity.htmlComics Our Passion - http://www.comicsourpassion.com/2017/11/vacuumed-sanctity.htmlAlso available: Dailyhunt App, Google Books, Slideshare, Scribd, Ebooks360 etc.Team - Abhilash Panda, Mohit Trendster, Shahab Khan,...
Published on November 25, 2017 01:59
November 24, 2017
यादों की तस्वीर (लघु-कहानी)
आज रशमि के घर उसके कॉलेज की सहेलियों का जमावड़ा था। हर 15-20 दिनों में किसी एक सहेली के घर समय बिताना इस समूह का नियम था। आज रशमि की माँ, सुमितरा से 15 साल बड़ी मौसी भी घर में थीं।
रशमि - "देख कृतिका...तू बलैक-बलैक बताती रहती है मेरे बाल...धूप में पता चलता है। ये बराउन सा शेड नहीं आ रहा बालों में? इनका रंग नेचुरल बराउन है।"
कृतिका - " नहीं जी! इतना तो धूप में सभी के बालों का रंग लगता है।"
सुमितरा बोली - "शायद दीदी से आया हो। इनके तो बिना धूप में देखे अंगरेज़ों जैसे भूरे बाल थे।...
Published on November 24, 2017 01:43
November 16, 2017
दो प्रकार के कलाकार (लेख) #freelance_talents
Artwork - Matt S.एक कला कषेतर के परशंसक, उस से जुड़े हुए लोग उस कषेतर में 2 तरह के कलाकारों के नाम जानते हैं। पहली तरह के कलाकार जिनके किये काम कम हैं। फिर भी उनहोंने जितना किया है सब ऐसे सतर से किया है कि परशंसकों, कषेतर के बाहर कई लोगों को उनके बारे में अचछी जानकारी है। दूसरी तरह के कलाकारों के काम की संखया बहुत अधिक है पर उनके औसत काम की पहुँच कम है। उदाहरण - मान लीजिए कलाकार #01 ने एक नामी परकाशन में इंटरनशिप की और वहाँ उसे बड़े परकाशनों के साथ काम करने का अवसर मिला। उसने अपने जीवनकाल में 3...
Published on November 16, 2017 00:54
November 14, 2017
इंटरनेटिया बहस के मादक प्रकार (व्यंग लेख) #ज़हन
दो या अधिक लोगों, गुटों में किसी विषय पर मतभेद होने की सथिति के बाद वाली चिलल-पों को बहस कहते हैं। वैसे कभी-कभी तो विषय की ज़रुरत ही नहीं पड़ती है। दूसरी पारटी से पुराने बैकलॉग की खुननस ही बिना मतलब की बहस करवा देती है। बहस में उलझे लोगों के वयकतितव निरभर करते हैं कि बहस अनियंतरित होकर उनकी नींदें ख़राब करेगी, पुलिस में रिपोरट करवायेगी, ऑनलाइन माधयम से जूते-घुसंड तक की नौबत आ जायेगी या दूसरे मत का सममान करते हुए बात 2-4 मिनट बाद भुला दी जायेगी। इंटरनेटिया बहस और बहस करने वालों के कई परकार हैं......
Published on November 14, 2017 04:53
November 1, 2017
माँ सरस्वती की शिष्या: स्वर्गीय गिरिजा देवी
1949 में आकाशवाणी, इलाहाबाद में अपनी पहली सारवजनिक परसतुति देने के बाद, पिछले लगभग सात दशकों से विशवभर में हिंदुसतानी शासतरीय-उपशासतरीय संगीत का परचम में लहरा रहीं पदम विभूषण गायिका गिरिजा देवी का कोलकाता में (24 अकटूबर, 2017) दिल का दौरा पडने से देहांत हो गया। शायद आप उनका नाम पहली बार सुन रहे हों या कहीं सुना-सुना सा लग रहा हो। अगर हाँ...तो इसमें पूरा दोष आपका नहीं है। कला दो परकार की होती है। पहली कला जो आम लोगो के पास आती है और दूसरी कला जिसके पास लोगो को जाना पड़ता है, मतलब यह कि एक कला क...
Published on November 01, 2017 16:43
October 2, 2017
Vigayapan War (Fan Comic)
इस बार राज कॉमिकस की कॉमेडी के दो सतमभ गमराज और फाइटर टोडस आमने सामने हैं। हाथापाई के साथ-साथ दोनों में छिड़ी है कॉरपोरेट वॉर ! पेश है एक अभूतपूरव फैन वरक ''विजञापन वॉर'' Artwork: Anuj KumarStory: Mohit SharmaColoring and Calligraphy: Shahab Khan http://www.nazariyanow.com/2017/10/vigyapan-war-comics.html जलद ही अनय वेबसाइटस पर भी उपलबध होगी।
Published on October 02, 2017 08:10
September 28, 2017
समाज को तोड़ती समूह वाली मानसिकता (लेख) #ज़हन
पराकृतिक और सामाजिक कारणों से हम सभी की पहचान कुछ समूहों से जुड़ जाती है। उदाहरण के लिए एक इंसान की पहचान कुछ यूँ - महिला, भारतीय, अचछा कद, गेहुँआ रंग, शहरी (दिलली निवासी), परौढ़, सॉफटवेयर कषेतर में काम करने वाली, हिनदू (दलित), मधयमवरगीय परिवार आदि। अब पूरा जीवन इन समूहों और उनसे निकले उप-समूहों को जीते हुए उस महिला के मन में इन सबके बारे में काफी अधिक जानकारी आ जाती है जबकि बाकी दुनिया के अनगिनत दूसरे समूहों के बारे में उसे ऊपरी या कम जानकारी होती है। ऐसी ऊपरी जानकारी पर उसके साथ समूह साझा कर...
Published on September 28, 2017 14:46
September 8, 2017
किसका भारत महान? (कहानी) #ज़हन
Artwork - Martin Nebelongपैंतालीस वरषों से दुनियाभर में समाजसेवा और निषपकष खोजी पतरकारिता कर रहे कनाडा के चारली हैस को नोबेल शांति पुरसकार मिलने की घोषणा हुई। नोबेल संसथा की आधिकारिक घोषणा के बाद से उनके निवास के बाहर पतरकारों का तांता लगा था। अपनी दिनचरया से समय निकाल कर उनहोंने एक परेस वारता और कुछ बड़े टीवी, रेडियो चैनलस के ख़ास साकषातकार किये। दिन का अंतिम साकषातकार एशिया टीवी की पतरकार सबीना पारकर के साथ निशचित हुआ। एशिया के अलग-अलग देशों में अपने जीवन का बड़ा हिससा बिताने वाले चारली खुश थे...
Published on September 08, 2017 17:08
August 12, 2017
चाहे दरमियाँ दरारें सही! (Ishq Baklol Poetry)
कल देवेन पाणडेय जी की नॉवेल इशक़ बकलोल की परति मिली। :) किताब का अमेज़न हारडकॉपी लिंक जलद ही एकटिव होगा। उपनयास शुरू होने से पहले किताब के 2 पननो पर मेरी कलम है....
दरिया में तैरती बोतल में बंद खतों की,पलकों से लड़ी बेहिसाब रातों की,नम हिना की नदियों में बह रहे हाथों की,फिर कभी सुनेंगे हालातों की......पहले बता तेरी आँखों की मानू या तेरी बातों की?चाहे दरमियाँ दरारें सही!
ये दिल गिरवी कहीं,ये शहर मेरा नहीं!तेरे चेहरे के सहारे...अपना गुज़ारा यहीं। जी लेंगे ठोकरों में...चाहे दरमियाँ दरारें सही!
नफ़र...
Published on August 12, 2017 19:38
August 3, 2017
Kavya Comic - Matlabi Mela (मतलबी मेला)
New poetry Comic "Matlabi Mela" published, based on my 2007 poem of the same name. *Bonus* Added an extra poem खाना ठंडा हो रहा है... in the end.Language: Hindi, Pages: 22Illustration - Anuj KumarPoetry & Script - Mohit TrendsterColoring & Calligraphy - Shahab Khan
Available (Online read or download):ISSUU, Freelease, Slideshare, Ebook Home, Archives, Readwhere, Scribd, Author Stream, Fliiby, Google Books, Play store, Daily Hunt, Smashwords, Pothi and Ebook Library etc.
Published on August 03, 2017 14:59


