समाज को तोड़ती समूह वाली मानसिकता (लेख) #ज़हन


पराकृतिक और सामाजिक कारणों से हम सभी की पहचान कुछ समूहों से जुड़ जाती है। उदाहरण के लिए एक इंसान की पहचान कुछ यूँ - महिला, भारतीय, अचछा कद, गेहुँआ रंग, शहरी (दिलली निवासी), परौढ़, सॉफटवेयर कषेतर में काम करने वाली, हिनदू (दलित), मधयमवरगीय परिवार आदि। अब पूरा जीवन इन समूहों और उनसे निकले उप-समूहों को जीते हुए उस महिला के मन में इन सबके बारे में काफी अधिक जानकारी आ जाती है जबकि बाकी दुनिया के अनगिनत दूसरे समूहों के बारे में उसे ऊपरी या कम जानकारी होती है। ऐसी ऊपरी जानकारी पर उसके साथ समूह साझा कर...
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Published on September 28, 2017 14:46
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