Mohit Sharma's Blog, page 9

November 3, 2019

New inning...

Hindi Linguist
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Published on November 03, 2019 06:12

November 2, 2019

Colorblind Beloved - कलरब्लाइंड साजन Translation


'Colorblind Beloved’, English translation of my story ‘कलरबलाइंड साजन’. Translator - Swarajya. PC - Art Corgi
कभी कोई किसी रचना पर ऑडियो बना देता है, कोई अनुवाद कर देता है पर रचनाकार को कोई नहीं बताता!
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Published on November 02, 2019 05:06

October 17, 2019

Magazines and Certificate


Sudarshnika Magazines with my stories -poetry and certificate. :) #magazine #Hindi #feeling_good
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Published on October 17, 2019 05:07

September 27, 2019

August 16, 2019

My Stories on Kuku FM #ज़हन


Talented Kuku FM team is creating audio stories, audio books on my stories and poems. 
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Published on August 16, 2019 09:02

July 13, 2019

शहर के पेड़ से उदास लगते हो...(नज़्म)

दबी जुबां में सही अपनी बात कहो,सहते तो सब हैं......इसमें कया नई बात भला!जो दिन निकला है...हमेशा है ढला!बड़ा बोझ सीने के पास रखते हो,शहर के पेड़ से उदास लगते हो...
पलों को उड़ने दो उनहें न रखना तोलकर,लौट आयें जो परिंदों को यूँ ही रखना खोलकर।पीले पननो की किताब कब तक रहेगी साथ भला,नाकामियों का कश ले खुद का पुतला जला।किसी पुराने चेहरे का नया सा नाम लगते हो,शहर के पेड़ से उदास लगते हो...
साफ़ रखना है दामन और दुनियादारी भी चाहिए?एक कोना पकड़िए तो दूजा गंवाइए...खुशबू के पीछे भागना शौक नहीं,इस उममीद में....व...
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Published on July 13, 2019 00:11

June 20, 2019

बूढ़े बरगद के पार (कहानी) #ज़हन


संतुषटि की कोई तय परिभाषा नहीं होती। बचचा कुदरत में रोज़ दोहराये जाने वाली बात को अपने जीवन में पहली बार देख कर संतुषट हो सकता है, वहीं अवसाद से जूझ रहे परौढ़ को दुनिया की सबसे कीमती चीज़ भी बेमानी लगती है। नवीन के चाय बागान अचछा मुनाफा दे रहे थे। इसके अलावा अचछे भागय और सही समझ के साथ निवेश किये गए पैसों से वह देश के नामी अमीरों में था। एक ही पीढ़ी में इतनी बड़ी छलांग कम ही लोग लगा पाते हैं। हालांकि, नवीन संतुषट नहीं था। मन में एक कसक थी...उसके पिता हरिकमल।
जब नवीन संघरष कर रहा था तब उसके पिता हर...
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Published on June 20, 2019 07:44

June 19, 2019

जब क्रिकेट से मिलने बाकी खेल आए...(कविता) #ज़हन


एक दिन सब खेल करिकेट से मिलने आए,मानो जैसे दशकों का गुससा समेट कर लाए।करिकेट ने मुसकुराकर सबको बिठाया,भूखे खेलों को पाँच सितारा खाना खिलाया।
बड़ी दुविधा में खेल खुस-पुस कर बोले... हम अदनों से इतनी बड़ी हसती का मान कैसे डोले?आँखों की शिकायत मुँह से कैसे बोलें?कैसे डालें करिकेट पर इलज़ामों के घेरे?अपनी मुखिया हॉकी और कुशती तो खड़ी हैं मुँह फेरे...हिममत कर हाथ थामे टेनिस, तीरंदाज़ी आए,घिगघी बंध गई, बातें भूलें, कुछ भी याद न आए...
"क...करिकेट साहब, आपने हमपर बड़े ज़ुलम ढाए!"
आज़ादी से अबतक देखो कितने ओ...
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Published on June 19, 2019 08:28

May 11, 2019

कई नाम हैं मेरे! (कहानी) - अनुभव पत्रिका मई 2019 में प्रकाशित



कल मेरा चेहरा और मेरी लिखी एक बात इंटरनेट पर वायरल हो गई। इतने सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि मुझे भी इतने लोगों ने जाना है। वायरल हुई बात बताने से पहले अपने बारे में थोड़ा बताता चलूं।
समाज के कायदे-कानून को बकवास बताने वालों को भी उन कायदों में रहकर अपने फायदे देखने पड़ते हैं। जो इन नियमों को नहीं मानते या मजबूरी में मान नहीं पाते उनकी किसी न किसी तरह से शामत पककी है। 10-12 घंटे की नौकरी, 3-4 घंटे का आना-जाना बाकी नींद, खाने के अलावा कया किया याद ही नहीं रहा। घर से दूर अजनबी शहर में पुराने या...
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Published on May 11, 2019 12:49

April 16, 2019

Nazm in Anubhav Patrika (April 2019)


Nazm-Poetry in Anubhav Patrika (April 2019) issue Read Now!
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Published on April 16, 2019 12:59