यादों की तस्वीर (लघु-कहानी)


आज रशमि के घर उसके कॉलेज की सहेलियों का जमावड़ा था। हर 15-20 दिनों में किसी एक सहेली के घर समय बिताना इस समूह का नियम था। आज रशमि की माँ, सुमितरा से 15 साल बड़ी मौसी भी घर में थीं। 
रशमि - "देख कृतिका...तू बलैक-बलैक बताती रहती है मेरे बाल...धूप में पता चलता है। ये बराउन सा शेड नहीं आ रहा बालों में? इनका रंग नेचुरल बराउन है।"
कृतिका - " नहीं जी! इतना तो धूप में सभी के बालों का रंग लगता है।"
सुमितरा बोली - "शायद दीदी से आया हो। इनके तो बिना धूप में देखे अंगरेज़ों जैसे भूरे बाल थे।...
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Published on November 24, 2017 01:43
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