जासूस सास (हास्य कहानी)


लकषमी कुमारी सवेटर बुनने से तेज़ गति से अपनी बहु पर विचार बुन रही थीं।  वैसे उनकी बहु शताकषी ठीक थी....बलकि जैसी कुलकषणी, कलमुँही बहुएं टीवी और अख़बारों में दिखती हैं उनके सामने तो शताकषी ठीक होने की पराकाषठा ही समझो। फिर भी लकषमी को एक बात परेशान करती थी। केवल उनहें ही नहीं, कॉलोनी की कुछ और सास भी इस मुददे पर चिंतित थीं। कई घरों की 25 से लेकर 40 साल की महिलाएं आपस में अकसर झुंड में घंटों पता नहीं कया बतियाती रहती थीं। बाहर से लगता कि मानो चुगलियों की कितने पहाड़ चढ़ रही हैं।&nbsp...
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Published on December 23, 2017 12:28
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