"...और मैं अनूप जलोटा का सहपाठी भी था।"

*कलाकार शरी सतय पाल सोनकर
पिछले शादी के सीज़न से ये आदत बनायी है कि पैसों के लिफाफे के साथ छोटी पेंटिंग उपहार में देता हूँ। पेंटिंग से मेरा मतलब फरेम हुआ परिंट पोसटर या तसवीर नहीं बलकि हाथ से बनी कलाकृति है। पैसे अधिक खरच होते हैं पर अचछा लगता है कि किसी कलाकार को कुछ लाभ तो मिला। एक काम से घुमते हुए शहर की तंग गलियों में पहुँचा खरीदना कुछ था पर बिना बोरड की एक दुकान ने मेरा धयान खींचा जिसके अंदर कुछ कलाकृतियाँ और फरेम रखे हुए थे। सोचा पेंटिंग देख लेता हूँ। कुछ खरीदने से पहले एक बार य...
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Published on November 26, 2017 05:46
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