Suman Pokhrel's Blog: सुमन पोखरेल Suman Pokhrel, page 11
October 22, 2012
जीवनको बाटोभरि व्यथैव्यथा देखेँ (गीत)
गीत
- सुमन पोखरेल
जीवनको बाटोभरि व्यथैव्यथा देखेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
पोहोर साल गह भिजाई एउटा झरी पर्यो
आँखाभरि सङ्गालेको सपना नै झर्यो
छातीभरि जता छाम्यो पीरै पीर भेटेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
बाँच्दै थिएँ खुसीसँग एउटा बज्र पर्यो
जिन्दगीले साथ छोड्यो मृत्यु पनि टर्यो
मुटुभरि जता छोयो चोटै चोट भेटेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
Hazaar Aankhaa Yee Aankhaama
Suman Pokhrel
Sumana Pokharela
Hajara Amkha, Yi Amkhama: Sumana Pokharelako Gae Gita Nagae Kavita Srnkhalako Pahilo Bhaga = Hazaar Aankhaa, Yee Aankhaama: Lyrical Poems / By S
- सुमन पोखरेल
जीवनको बाटोभरि व्यथैव्यथा देखेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
पोहोर साल गह भिजाई एउटा झरी पर्यो
आँखाभरि सङ्गालेको सपना नै झर्यो
छातीभरि जता छाम्यो पीरै पीर भेटेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
बाँच्दै थिएँ खुसीसँग एउटा बज्र पर्यो
जिन्दगीले साथ छोड्यो मृत्यु पनि टर्यो
मुटुभरि जता छोयो चोटै चोट भेटेँ
तिनै व्यथा सङ्गालेर एउटा गीत लेखेँ
Hazaar Aankhaa Yee Aankhaama
Suman Pokhrel
Sumana Pokharela
Hajara Amkha, Yi Amkhama: Sumana Pokharelako Gae Gita Nagae Kavita Srnkhalako Pahilo Bhaga = Hazaar Aankhaa, Yee Aankhaama: Lyrical Poems / By S
Published on October 22, 2012 02:45
October 21, 2012
सुख दुःख जीवनभरको साथ जिन्दगीको (गीत)
गीत
- सुमन पोखरेल
सुख दुःख जीवनभरको साथ जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
आफू रुन्छु मनभित्र जीवन हाँस्छ तनमा
छाती पोल्छ, दुख्छ मुटु, काँडा बिझ्छ मनमा
पोल्नु, दुख्नु बिझ्नु नै हो जात जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
कस्तो नशा लागेको यो कचिङ्गलको खेलमा
खेल्दा खेल्दै परिसकेँ यसैको मोह जालमा
मृत्युको दिनभन्दा, प्यारो रात जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
- सुमन पोखरेल
सुख दुःख जीवनभरको साथ जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
आफू रुन्छु मनभित्र जीवन हाँस्छ तनमा
छाती पोल्छ, दुख्छ मुटु, काँडा बिझ्छ मनमा
पोल्नु, दुख्नु बिझ्नु नै हो जात जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
कस्तो नशा लागेको यो कचिङ्गलको खेलमा
खेल्दा खेल्दै परिसकेँ यसैको मोह जालमा
मृत्युको दिनभन्दा, प्यारो रात जिन्दगीको
रक्सी जस्तै लाग्न थाल्यो मात जिन्दगीको
Published on October 21, 2012 09:36
October 18, 2012
बिर्सनु (Nepali translation of Yehuda Amichai's poem "Forgetting Something")
बिर्सनु
येहुदा अमिसाई (इज्रायल)
कसैलाई बिर्सनु भनेको
घर पछिल्तिरको बत्ती निभाउन बिर्सिनुजस्तै रहेछ,
जो भोलिपल्ट दिनभरि पनि बलिरहन्छ ।
र त्यसैको उज्यालाले,
सम्झाउँदोरहेछ
फेरि सम्झनका लागि ।
(मूल हिब्रुबाट बेन्जामिन तथा बार्बरा हर्शभले गरेको अङ्ग्रेजी अनुवादबाट सुमन पोखरेलद्वारा नेपालीमा अनुवाद )
Yehuda Amichai
Suman Pokhrel
येहुदा अमिसाई (इज्रायल)
कसैलाई बिर्सनु भनेको
घर पछिल्तिरको बत्ती निभाउन बिर्सिनुजस्तै रहेछ,
जो भोलिपल्ट दिनभरि पनि बलिरहन्छ ।
र त्यसैको उज्यालाले,
सम्झाउँदोरहेछ
फेरि सम्झनका लागि ।
(मूल हिब्रुबाट बेन्जामिन तथा बार्बरा हर्शभले गरेको अङ्ग्रेजी अनुवादबाट सुमन पोखरेलद्वारा नेपालीमा अनुवाद )
Yehuda Amichai
Suman Pokhrel
Published on October 18, 2012 11:08
September 30, 2012
मुस्कुराना आप का (A Ghazal by Suman Pokhrel)
मुझे सामने देख यकायक वो मुस्कुराना आप का
दिल पे असर कर गया था फिर शरमाना आप का
देख के वो मंजर मैने खोया था दिल अपना
रात सी जुल्फ चाँद सा बदन चेहरा सुहाना आप का
हाले दिल का कुछ तो कर ही गया था बयान
बारहा नजरें मिलाना और झुकाना आप का
उठा चला गया था दिल में एक बर्क सा
वो तन्हा मिलने के ख्वाहीस जताना आप का
इल्म यूँ हुवा था आप की आशिकी का हमें
वक्त से पहले ही मिलने पहुँच जाना आप का
इजहारे दिल की ख्वाहीस और वो अजराहे-लिहाज
याद है मुझको अभी भी, वो हकलाना आप का
हाले दिल का बयान करा गया था वो खामोशी
मिलने बुलाना हमें आौर कुछ कह न पाना आप का
बता गया था दिलका हालत वो बेकरारी
कभि रूकना, कभी चलना वो इठलना आप का
जैसे थे से सदियों मरासिम, हुश्नो इश्क के जजबातें
मेरा बुलाना आप को और मान जाना आप का
कटा होगा कैसे वो गर्दिश वक्त मेरा सोचिए
आने का वादा कर के वो आ न पाना आप का
भूले नही हम वादा निभाने के लिए चोरी छिपी
भिगते हुए बारिश मे वो रात को आना आप का
चौदहवीं मे चाँद ने फैलाया हो जैसे आशमाँ को
सुखाने के लिए वो दामन फैलाना आप का
बाँधता जा रहा था राफ्ता-राफ्ता दिलोँ को
बारहा मिलना मेरा और आना जाना आप का
बेजार हो चला था दिल दुनियाँ के जख्म-ओ-जिल्लत से
मुहब्बत का रंग दे गया दिल का बहलाना आप का
बहुत कुछ भुल चुके पर याद है वो लफ्ज वो परदाज
कैसे भूलता मै वो अदा आशिकाना आप का
किये थे इजहार आप ने जजबात का और फिर
हो गया था मेरा दिल पक्का ठिकाना आप का
भूलाए नहीं भूलता जिन्दगी का वो मंजर सुहाना
मेरे बाल सवाँर सवाँर के मुहब्बत जताना आप का
कर दिया था कर्इ बार आप ने मखमुर मुझ को
पिला के मुझे आप ने नजरों का पैमाना आप का
कभी मुँछ टेढी हुर्इ कभी जुल्फ बिगडा हुवा
हँसते है याद कर के वो मेरा हँसी उडाना आप का
देर से पहुँचे कभी तो आता जता तूफान यकायक
समझने की कोशिश किए बगैर ही गुस्साना आप का
याद है मुहब्बत का वो दिवानगी वो जुनून
कभी बातें फल्सफे की कभी तोतलाना आप का
इस दिल को भी रुला गया था वो मायूसी
डर से जुदार्इ के मेरे शिने पे आँशु बहाना आप का
जिन्दगी की सफर को दे गया इक सुहाना मोड
तोडने के लिए रश्मोरह वो हिम्मत जुटाना आप का
था सब से हसिन दिन जिन्दगी का वो मेरा
सुर्ख जोडे मे सज के मेरे घर आना आप का
अच्छा लगा था अजनवी सा मिजाज उस रात को
रश्मो रह के लिए चेहरे पे घुंघट गिराना आप का
वो लम्हा दिल पे तुफान लिए वो घुंघट उठाना मेरा
और नजरों से बर्क गिरा के चेहरा छुपाना आप का
रात के अंधेरे मे शमाँ सा पुरनूर चेहरा आप का
जलने को चाहता हुवा सामने मै परवाना आप का
हर अंग पे शायरी हर अदा पे गुँजते तरन्नुम
कभी देखता कभी सुनता मै वो बदन शायराना आप का
लबो के प्याले, आँखों के शुरूर, रूखसार गुलाबी
मदहोश हुये थे देख के ही वो मयखाना आप का
पायल ओ चुडियों मे तरन्नुम, वक्त मे तराना यूँ भी था
दोनो जहाँ ले आया था फिर गजल का गाना आप का
कभी संजिदा कभि बचकाना हुश्न के वो नखरें
मुझे परेशान कर गया था वो बाते बनाना आप का
लबो की लर्जिस, मखमुर आँखें बता रहे थे आरजू
मुझे सता रहा था लेकिन ख्वाहीस छुपाना आप का
मुद्दत हुर्इ फिर भी हम भूले नही उस रात को
आरजू ए दिल दबा दबा के मुझे सताना आप का
याद है उस रात उन जुल्फों का सहलाना मेरा
और फिर मेरे बाहों मे सो जाना आप का
मेहन्दी लगाये हाथो मेँ सुवह चाय के प्याले ले आना
अन्दाजा था अजराह दिल मुझे जगाना आप का
वक्त साथ गुजारे हम ने बारिश मे बर्क मे तूफान मे
हुवा है इस तरह से ये मेरा फसाना आप का
Suman Pokhrel
दिल पे असर कर गया था फिर शरमाना आप का
देख के वो मंजर मैने खोया था दिल अपना
रात सी जुल्फ चाँद सा बदन चेहरा सुहाना आप का
हाले दिल का कुछ तो कर ही गया था बयान
बारहा नजरें मिलाना और झुकाना आप का
उठा चला गया था दिल में एक बर्क सा
वो तन्हा मिलने के ख्वाहीस जताना आप का
इल्म यूँ हुवा था आप की आशिकी का हमें
वक्त से पहले ही मिलने पहुँच जाना आप का
इजहारे दिल की ख्वाहीस और वो अजराहे-लिहाज
याद है मुझको अभी भी, वो हकलाना आप का
हाले दिल का बयान करा गया था वो खामोशी
मिलने बुलाना हमें आौर कुछ कह न पाना आप का
बता गया था दिलका हालत वो बेकरारी
कभि रूकना, कभी चलना वो इठलना आप का
जैसे थे से सदियों मरासिम, हुश्नो इश्क के जजबातें
मेरा बुलाना आप को और मान जाना आप का
कटा होगा कैसे वो गर्दिश वक्त मेरा सोचिए
आने का वादा कर के वो आ न पाना आप का
भूले नही हम वादा निभाने के लिए चोरी छिपी
भिगते हुए बारिश मे वो रात को आना आप का
चौदहवीं मे चाँद ने फैलाया हो जैसे आशमाँ को
सुखाने के लिए वो दामन फैलाना आप का
बाँधता जा रहा था राफ्ता-राफ्ता दिलोँ को
बारहा मिलना मेरा और आना जाना आप का
बेजार हो चला था दिल दुनियाँ के जख्म-ओ-जिल्लत से
मुहब्बत का रंग दे गया दिल का बहलाना आप का
बहुत कुछ भुल चुके पर याद है वो लफ्ज वो परदाज
कैसे भूलता मै वो अदा आशिकाना आप का
किये थे इजहार आप ने जजबात का और फिर
हो गया था मेरा दिल पक्का ठिकाना आप का
भूलाए नहीं भूलता जिन्दगी का वो मंजर सुहाना
मेरे बाल सवाँर सवाँर के मुहब्बत जताना आप का
कर दिया था कर्इ बार आप ने मखमुर मुझ को
पिला के मुझे आप ने नजरों का पैमाना आप का
कभी मुँछ टेढी हुर्इ कभी जुल्फ बिगडा हुवा
हँसते है याद कर के वो मेरा हँसी उडाना आप का
देर से पहुँचे कभी तो आता जता तूफान यकायक
समझने की कोशिश किए बगैर ही गुस्साना आप का
याद है मुहब्बत का वो दिवानगी वो जुनून
कभी बातें फल्सफे की कभी तोतलाना आप का
इस दिल को भी रुला गया था वो मायूसी
डर से जुदार्इ के मेरे शिने पे आँशु बहाना आप का
जिन्दगी की सफर को दे गया इक सुहाना मोड
तोडने के लिए रश्मोरह वो हिम्मत जुटाना आप का
था सब से हसिन दिन जिन्दगी का वो मेरा
सुर्ख जोडे मे सज के मेरे घर आना आप का
अच्छा लगा था अजनवी सा मिजाज उस रात को
रश्मो रह के लिए चेहरे पे घुंघट गिराना आप का
वो लम्हा दिल पे तुफान लिए वो घुंघट उठाना मेरा
और नजरों से बर्क गिरा के चेहरा छुपाना आप का
रात के अंधेरे मे शमाँ सा पुरनूर चेहरा आप का
जलने को चाहता हुवा सामने मै परवाना आप का
हर अंग पे शायरी हर अदा पे गुँजते तरन्नुम
कभी देखता कभी सुनता मै वो बदन शायराना आप का
लबो के प्याले, आँखों के शुरूर, रूखसार गुलाबी
मदहोश हुये थे देख के ही वो मयखाना आप का
पायल ओ चुडियों मे तरन्नुम, वक्त मे तराना यूँ भी था
दोनो जहाँ ले आया था फिर गजल का गाना आप का
कभी संजिदा कभि बचकाना हुश्न के वो नखरें
मुझे परेशान कर गया था वो बाते बनाना आप का
लबो की लर्जिस, मखमुर आँखें बता रहे थे आरजू
मुझे सता रहा था लेकिन ख्वाहीस छुपाना आप का
मुद्दत हुर्इ फिर भी हम भूले नही उस रात को
आरजू ए दिल दबा दबा के मुझे सताना आप का
याद है उस रात उन जुल्फों का सहलाना मेरा
और फिर मेरे बाहों मे सो जाना आप का
मेहन्दी लगाये हाथो मेँ सुवह चाय के प्याले ले आना
अन्दाजा था अजराह दिल मुझे जगाना आप का
वक्त साथ गुजारे हम ने बारिश मे बर्क मे तूफान मे
हुवा है इस तरह से ये मेरा फसाना आप का
Suman Pokhrel
Published on September 30, 2012 07:19
August 12, 2012
बिदा हुँदाहुँदै
बिदा हुँदाहुँदै
- सुमन पोखरेल
तमाम झ्यालहरूले हेरिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
तमाम भित्ताहरूले सुनिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
त्यस बेला
ती सडक र पेटीहरूले बोलिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
आफ्ना आवरणहरू खोलिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो।
मैले हिँडिरहे पनि
मैले अडिरहे पनि
तमाम
वृक्ष र चराहरूले
आकाश र ताराहरूले
वक्ष र चुराहरूले
देखिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो।
त्यो द्विविधामा
अडूँ कि बढूँको
उत्रिऊँ कि चढूँको,
तमाम बाटाहरू अगम्य लागिरहेको पनि हो।
केही फुटेका
केही टुटेका
केही चुक्किएका
केही आकाङ्क्षाहरू पढेको पनि हुँ
परिवेशहरूका अनुहारमा।
केही वाक्यहरूलार्इ छामेको पनि हुँ
केही शब्दहरूलार्इ चुमेको पनि हुँ।
आँखाहरूले बाटो रोके त पन्छाउनु पनि
मुटुहरूले बाटो छेके के गर्नु?
त्यसैले
ती झ्याल र भित्ताहरूलार्इ
नदेखेझैँ गरेको पनि हुँ।
त्यस बेला मेराविरुद्ध षडयन्त्र भइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो,
मेरा शब्दहरूमा मलार्इ प्रहार गर्ने सन्यन्त्र खोजिरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
ती आँखा र हेराइहरूले
भावनाका फूलहरूको एउटा नदी कतै पठाइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
कल्पनाका सुगन्धहरूको एउटा पहाड कहीँ उक्साइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
त्यस बेला, मेरो मन मायाको आनन्दमा निदाइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
जीवनका संवेदनशील हाँगाहरू भाँच्दै
कुनै नीरस मोहले मलार्इ लिएर कतै गइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
ती क्षणहरूमा
मेरो मानस भोगाइका मरुभूमिमै सौन्दर्य फुलाउने आँट लिएर
बाँच्नको लागि ब्यूँझिरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
म अहिले जुन ठाउँमा छु
नठान्नु होला
यहाँ म पैह्रोझैँ बगेर पुगेको हुँ
वा बादलझैँ बाफिएर।
आफ्नो कोमल मनमा
समयको तरवार रोपी
त्यसैको बिँडमा समातेर उक्लिआएको हुँ।
कसैले सम्झाए पनि नसम्झाए पनि
दुखिरहन्छ जीवनको एक अंश
मेरो छाती समाएर।Suman Pokhrel
- सुमन पोखरेल
तमाम झ्यालहरूले हेरिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
तमाम भित्ताहरूले सुनिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
त्यस बेला
ती सडक र पेटीहरूले बोलिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो
आफ्ना आवरणहरू खोलिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो।
मैले हिँडिरहे पनि
मैले अडिरहे पनि
तमाम
वृक्ष र चराहरूले
आकाश र ताराहरूले
वक्ष र चुराहरूले
देखिरहेजस्तो पनि लागिरहेकै हो।
त्यो द्विविधामा
अडूँ कि बढूँको
उत्रिऊँ कि चढूँको,
तमाम बाटाहरू अगम्य लागिरहेको पनि हो।
केही फुटेका
केही टुटेका
केही चुक्किएका
केही आकाङ्क्षाहरू पढेको पनि हुँ
परिवेशहरूका अनुहारमा।
केही वाक्यहरूलार्इ छामेको पनि हुँ
केही शब्दहरूलार्इ चुमेको पनि हुँ।
आँखाहरूले बाटो रोके त पन्छाउनु पनि
मुटुहरूले बाटो छेके के गर्नु?
त्यसैले
ती झ्याल र भित्ताहरूलार्इ
नदेखेझैँ गरेको पनि हुँ।
त्यस बेला मेराविरुद्ध षडयन्त्र भइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो,
मेरा शब्दहरूमा मलार्इ प्रहार गर्ने सन्यन्त्र खोजिरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
ती आँखा र हेराइहरूले
भावनाका फूलहरूको एउटा नदी कतै पठाइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
कल्पनाका सुगन्धहरूको एउटा पहाड कहीँ उक्साइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
त्यस बेला, मेरो मन मायाको आनन्दमा निदाइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
जीवनका संवेदनशील हाँगाहरू भाँच्दै
कुनै नीरस मोहले मलार्इ लिएर कतै गइरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
ती क्षणहरूमा
मेरो मानस भोगाइका मरुभूमिमै सौन्दर्य फुलाउने आँट लिएर
बाँच्नको लागि ब्यूँझिरहेझैँ पनि लागिरहेकै हो।
म अहिले जुन ठाउँमा छु
नठान्नु होला
यहाँ म पैह्रोझैँ बगेर पुगेको हुँ
वा बादलझैँ बाफिएर।
आफ्नो कोमल मनमा
समयको तरवार रोपी
त्यसैको बिँडमा समातेर उक्लिआएको हुँ।
कसैले सम्झाए पनि नसम्झाए पनि
दुखिरहन्छ जीवनको एक अंश
मेरो छाती समाएर।Suman Pokhrel
Published on August 12, 2012 07:21
May 27, 2012
विश्वास छैन मेरो भने चाहिन्न साथ तिम्रो (गीत)
गीत
- सुमन पोखरेल
विश्वास छैन मेरो भने चाहिन्न साथ तिम्रो
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
फाँटको नदी म हैन भीर झर्दैमा चिच्याउने
सल्लो पनि म हैन भीड मात्रैमा सुसाउने
आफ्ना सुस्केरासँग आँसु म पिउन सक्छु
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
पीर पर्दैमा गीत गाउने न्याउली चरी म होइन
चोट खाँदैमा चिच्याउने मृगिणी पनि म होइन
वेदना लुकाई सारा ओठ म सिउन सक्छु
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
Suman Pokhrel
Hazaar Aankhaa Yee Aankhaama
- सुमन पोखरेल
विश्वास छैन मेरो भने चाहिन्न साथ तिम्रो
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
फाँटको नदी म हैन भीर झर्दैमा चिच्याउने
सल्लो पनि म हैन भीड मात्रैमा सुसाउने
आफ्ना सुस्केरासँग आँसु म पिउन सक्छु
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
पीर पर्दैमा गीत गाउने न्याउली चरी म होइन
चोट खाँदैमा चिच्याउने मृगिणी पनि म होइन
वेदना लुकाई सारा ओठ म सिउन सक्छु
हिम्मत छ यति ममा एक्लै म जिउन सक्छु
Suman Pokhrel
Hazaar Aankhaa Yee Aankhaama
Published on May 27, 2012 09:29
May 19, 2012
लेडी लेजरस (Nepali translation of Sylvia Plath's poem "Lady Lazarus")
लेडी लेजरस
-सिल्भिया प्लाथ (अमेरिका/बेलायत)
मैले फेरि यो गरिसिध्याएकी छु।
हरेक दश वर्षमा एकपल्ट
यस्तो गर्ने गरेकी छु मैले।
एक किसिमको डुलुवा जादू,
मेरो छाला
नाजी बत्तीको छाया जत्तिकै चम्किलो।
मेरो दाहिने गोडो
एउटा पेपरवेट।
मेरो अनुहार भविष्यविहीन
मिहिन यहुदी मलमल कपडा।
नेप्किन उधार,
ए मेरो बैरी।
के मैले डर लगाएँ? - - -
नाक, आँखाका खोपिल्टा, दाँतका पूरै सेट
बैराग लाग्दो श्वास
एक दिनमै विलिन हुनेछ।
चाँडै, छिट्टै नै
चिहानले खाएको मासु
हुनेछु म।
म एउटी भर्भराउँदी नारी,
तीस वर्षकी मात्र भएकी छु,
र बिरालाको जस्तो नौपल्ट मर्नु छ मैले,
यो तेस्रोपल्ट हो ।
दशकै पिच्छे मरिरहनु
कस्तो दिक्क लाग्दो ।
कत्ति बिध्न अनगिन्ति तन्तुहरू !
तँछाडमछाड गर्दै आउनेछ
बदम चबाउने भीड
तिनले मेरा हातगोडा खोलेको हेर्नलाई ।
उल्याउनेछ घेरा लागेर।
ए, महिला तथा सज्जनवृन्द !
यी मेरा हात हुन्,
मेरा घुँडा हुन्,
छाला र हाड मात्र हुनसक्छु म ।
तै पनि, म त्यही हुँ,
दुरुस्त उही नारी।
पहिलोपल्ट
म दश वर्षकी हुँदा भएथ्यो यस्तो।
तर त्यो एउटा दुर्घटना थियो।
दोस्रोपल्ट
यसलाई सिध्याएर
कहिल्यै नफर्किने विचार थियो मेरो ।
बन्द थिएँ म
समुद्री सिपी जसरी ।
तिनीहरूले बोलाएको बोलायै गरेर
टाँसिएको मोती जसरी झिक्नु परेको थियो
हतभागी जीवनलाई
मबाट ।
मर्नु
एउटा कला हो, अरू कलाहरू जस्तै,
म यो विशिष्टरूपले कुशलताका साथ प्रस्तुत गर्नेछु ।
वीभत्स लाग्ने गरी
गर्नेछु म यो,
साँच्चैको झैँ अनुभूत हुने गरी गर्नेछु।
बोलाइएकै थियो मलाई भन्ने ठान्नेछौ तिमीले ।
यो एउटा बन्द कोठामा गर्नु निकै सहज हुन्छ।
यो गरिसकेर त्यहीँ रहिरहनु निकै सजिलो हुन्छ ।
नाटकीय आनन्दको हुन्छ यो ।
छ्याङ्ङ उघ्रेको दिनमा पुनरागमन
उही ठाउँमा, उही अनुहार, उही सुगन्ध ।
आश्चार्यले निस्किएका आवाजहरू-
'एउटा जादू!'
मेरो ढोका ढक्ढक्याउँछ ।
एउटा संवेग प्रवाहरत छ त्यहाँ ।
मेरा चोटहरू हेर्नका लागि,
मेरो मुटु सुन्नका लागि त्यहाँ एउटा संवेग छ –
यो सहजै सम्पन्न हुनेछ ।
र त्यहाँ एउटा प्रहार छ, निकै ठूलो प्रहार
एउटा शब्द वा एउटा स्पर्शका लागि
अथवा एक छिर्को रगतका लागि,
वा मेरो केश वा मेरो कपडाको एक टुक्राका लागि ।
हजुर, हजुर डाग्डर साहेब !
हजुर, दुश्मन साहेब!
म तिम्रो किताब हुँ,
म तिम्रो सम्पत्ति हुँ,
विशुद्ध अकबरी सुनको बालक ।
जो पग्लिएर एउटा चिच्याहट हुन्छ ।
म फनक्क फर्किन्छु र जल्दछु
तिम्रो अजङ्गको चासोलाई मैले कम आँके भन्ने नठान ।
खरानी, खरानी...
जति खोतले पनि
जति चलाए पनि
मासु, हड्डी, केही छैन त्यहाँ...
एक डल्लो साबुन,
बिहेको एउटा औँठी,
सुन राख्ने बट्टा।
हे ईश्वर, हे राहू
सावधान !
सावधान !
खरानीबाट निस्कनेछु
राताराता केश फिँजार्दै ।
र हावा खाएजसरी
खानेछु म मान्छेहरूलाई ।
(मूल अङ्ग्रेजीबाट सुमन पोखरेलद्वारा अनुदित)
Sylvia Plath
Suman Pokhrel
-सिल्भिया प्लाथ (अमेरिका/बेलायत)
मैले फेरि यो गरिसिध्याएकी छु।
हरेक दश वर्षमा एकपल्ट
यस्तो गर्ने गरेकी छु मैले।
एक किसिमको डुलुवा जादू,
मेरो छाला
नाजी बत्तीको छाया जत्तिकै चम्किलो।
मेरो दाहिने गोडो
एउटा पेपरवेट।
मेरो अनुहार भविष्यविहीन
मिहिन यहुदी मलमल कपडा।
नेप्किन उधार,
ए मेरो बैरी।
के मैले डर लगाएँ? - - -
नाक, आँखाका खोपिल्टा, दाँतका पूरै सेट
बैराग लाग्दो श्वास
एक दिनमै विलिन हुनेछ।
चाँडै, छिट्टै नै
चिहानले खाएको मासु
हुनेछु म।
म एउटी भर्भराउँदी नारी,
तीस वर्षकी मात्र भएकी छु,
र बिरालाको जस्तो नौपल्ट मर्नु छ मैले,
यो तेस्रोपल्ट हो ।
दशकै पिच्छे मरिरहनु
कस्तो दिक्क लाग्दो ।
कत्ति बिध्न अनगिन्ति तन्तुहरू !
तँछाडमछाड गर्दै आउनेछ
बदम चबाउने भीड
तिनले मेरा हातगोडा खोलेको हेर्नलाई ।
उल्याउनेछ घेरा लागेर।
ए, महिला तथा सज्जनवृन्द !
यी मेरा हात हुन्,
मेरा घुँडा हुन्,
छाला र हाड मात्र हुनसक्छु म ।
तै पनि, म त्यही हुँ,
दुरुस्त उही नारी।
पहिलोपल्ट
म दश वर्षकी हुँदा भएथ्यो यस्तो।
तर त्यो एउटा दुर्घटना थियो।
दोस्रोपल्ट
यसलाई सिध्याएर
कहिल्यै नफर्किने विचार थियो मेरो ।
बन्द थिएँ म
समुद्री सिपी जसरी ।
तिनीहरूले बोलाएको बोलायै गरेर
टाँसिएको मोती जसरी झिक्नु परेको थियो
हतभागी जीवनलाई
मबाट ।
मर्नु
एउटा कला हो, अरू कलाहरू जस्तै,
म यो विशिष्टरूपले कुशलताका साथ प्रस्तुत गर्नेछु ।
वीभत्स लाग्ने गरी
गर्नेछु म यो,
साँच्चैको झैँ अनुभूत हुने गरी गर्नेछु।
बोलाइएकै थियो मलाई भन्ने ठान्नेछौ तिमीले ।
यो एउटा बन्द कोठामा गर्नु निकै सहज हुन्छ।
यो गरिसकेर त्यहीँ रहिरहनु निकै सजिलो हुन्छ ।
नाटकीय आनन्दको हुन्छ यो ।
छ्याङ्ङ उघ्रेको दिनमा पुनरागमन
उही ठाउँमा, उही अनुहार, उही सुगन्ध ।
आश्चार्यले निस्किएका आवाजहरू-
'एउटा जादू!'
मेरो ढोका ढक्ढक्याउँछ ।
एउटा संवेग प्रवाहरत छ त्यहाँ ।
मेरा चोटहरू हेर्नका लागि,
मेरो मुटु सुन्नका लागि त्यहाँ एउटा संवेग छ –
यो सहजै सम्पन्न हुनेछ ।
र त्यहाँ एउटा प्रहार छ, निकै ठूलो प्रहार
एउटा शब्द वा एउटा स्पर्शका लागि
अथवा एक छिर्को रगतका लागि,
वा मेरो केश वा मेरो कपडाको एक टुक्राका लागि ।
हजुर, हजुर डाग्डर साहेब !
हजुर, दुश्मन साहेब!
म तिम्रो किताब हुँ,
म तिम्रो सम्पत्ति हुँ,
विशुद्ध अकबरी सुनको बालक ।
जो पग्लिएर एउटा चिच्याहट हुन्छ ।
म फनक्क फर्किन्छु र जल्दछु
तिम्रो अजङ्गको चासोलाई मैले कम आँके भन्ने नठान ।
खरानी, खरानी...
जति खोतले पनि
जति चलाए पनि
मासु, हड्डी, केही छैन त्यहाँ...
एक डल्लो साबुन,
बिहेको एउटा औँठी,
सुन राख्ने बट्टा।
हे ईश्वर, हे राहू
सावधान !
सावधान !
खरानीबाट निस्कनेछु
राताराता केश फिँजार्दै ।
र हावा खाएजसरी
खानेछु म मान्छेहरूलाई ।
(मूल अङ्ग्रेजीबाट सुमन पोखरेलद्वारा अनुदित)
Sylvia Plath
Suman Pokhrel
Published on May 19, 2012 10:30
May 17, 2012
अभिनय (Hindi Translation of Gandakiputra's Poem "ABHINAYA"
अभिनय
-गन्डकीपुत्र
छुप जाता है सब कुछ,
जहर रखो या अमृत
जीवन रखो या मृत्यु
पर्दा लगने के बाद
बाहर से कुछ नहीँ दिखाई देता
दिखाई देता है सिर्फ पर्दा।
जिस तरह पोटली मे
गोस्त डाल कर चलने पे भी
सातु डाल कर चलने पे भी
सिर्फ दिखाई देती है पोटली
वैसा ही है पर्दा लगाना भी।
नहीँ देखा मने अब तक
परदे से न ढका हुवा एक भी चेहरा।
आइने के आगे खडे होकर
खुद को देखते हुए भी
पर्दा दिखाई देता है मुझे
अपना चेहरा नजर आने से पहले।
(नेपाली से अनुवाद - सुमन पोखरेल)
Suman Pokhrel
-गन्डकीपुत्र
छुप जाता है सब कुछ,
जहर रखो या अमृत
जीवन रखो या मृत्यु
पर्दा लगने के बाद
बाहर से कुछ नहीँ दिखाई देता
दिखाई देता है सिर्फ पर्दा।
जिस तरह पोटली मे
गोस्त डाल कर चलने पे भी
सातु डाल कर चलने पे भी
सिर्फ दिखाई देती है पोटली
वैसा ही है पर्दा लगाना भी।
नहीँ देखा मने अब तक
परदे से न ढका हुवा एक भी चेहरा।
आइने के आगे खडे होकर
खुद को देखते हुए भी
पर्दा दिखाई देता है मुझे
अपना चेहरा नजर आने से पहले।
(नेपाली से अनुवाद - सुमन पोखरेल)
Suman Pokhrel
Published on May 17, 2012 01:00
May 9, 2012
A City of Desires, Flowers and Colours (English Translation of Uma Subedi's Poem "RAHAR, PHOOL RA RANGKO SHAHAR")
A City of Desires, Flowers and Colours
by Uma Subedi
Carrying an array of dreams on the forehead,
walking with an endless motion in its footsteps,
falling down and getting up every now and then,
distinct desires are running on their own way.
Wearing a turban of snow around its head,
flying with the beauty of its own soul,
seeking the balmy warmth of winter Sun,
the flowers with fragrance are ascending higher.
Getting confused with its own integrity,
being blended together and parting again,
every color of rainbow, is
searching for its realized identity.
The desires should get to play,
the flowers should get to bloom,
the colors should get to be in sights.
Everyone should get to feel others,
everyone should get to bring oneself out.
But,
it should be pulsating perpetually
for, it’s the heart.
(Translated from Nepali by Suman Pokhrel)
Suman Pokhrel
by Uma Subedi
Carrying an array of dreams on the forehead,
walking with an endless motion in its footsteps,
falling down and getting up every now and then,
distinct desires are running on their own way.
Wearing a turban of snow around its head,
flying with the beauty of its own soul,
seeking the balmy warmth of winter Sun,
the flowers with fragrance are ascending higher.
Getting confused with its own integrity,
being blended together and parting again,
every color of rainbow, is
searching for its realized identity.
The desires should get to play,
the flowers should get to bloom,
the colors should get to be in sights.
Everyone should get to feel others,
everyone should get to bring oneself out.
But,
it should be pulsating perpetually
for, it’s the heart.
(Translated from Nepali by Suman Pokhrel)
Suman Pokhrel
Published on May 09, 2012 21:49
April 20, 2012
रातभरि रोएँ म त (गीत)
https://soundcloud.com/sumanpokhrel/r...
रातभरि रोएँ म त, शीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
एउटा काँढा रोपिएछ मनको मझेरीमा
त्यही काँढा बिझाउँछ सँधै अँधेरीमा
घाऊ जस्तै चहर्याउने प्रीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
दिन पनि रात पनि, उसकै यादको बर्को
सम्झूँ भन्छ एउटा मन, बिर्सूँ भन्छ अर्को
दुवै मनलाई हराएर जीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
Suman Pokhrel
रातभरि रोएँ म त, शीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
एउटा काँढा रोपिएछ मनको मझेरीमा
त्यही काँढा बिझाउँछ सँधै अँधेरीमा
घाऊ जस्तै चहर्याउने प्रीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
दिन पनि रात पनि, उसकै यादको बर्को
सम्झूँ भन्छ एउटा मन, बिर्सूँ भन्छ अर्को
दुवै मनलाई हराएर जीतभरि रोएँ
आँसु लुकाई परेलीमा गीतभरि रोएँ
Suman Pokhrel
Published on April 20, 2012 00:04
सुमन पोखरेल Suman Pokhrel
This blog contains the literary works of poet, lyricist and translator Suman Pokhrel.
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