Himmilicious's Blog, page 2

October 29, 2020

सलाहों का बंदरबाट

एक तो काले रंग में दाग वैसे ही नज़र नहीं आते और उसपर न्याय की मूर्ती को अँधा और बना दिया गया, की बस जनाब सालो साल खेलते रहिये आँख मिचोली और देखते रहिये बंदरबांट सलाहगारो और मददगारो के बीच, फिर अगर उस सलाह से कुछ मदद मिल जाए तो खुदा का शुक्र मनाइये और आपको बचाने वाले से जीवन भर की बची कुची बचत पर चपत लगवा कर बाकी वक़्त बिता लीजिये।निष्पक्ष और न्यायप्रिय ठेकेदार सदैव आपकी सेवा में तत्पर रहेंगे चाहे आप कुछ भी कर लें, वे अपने साथ पक्षपात कभी नहीं होने देंगे और आपके पूर्वानुमान, अधकचरे ज्ञान को तारीखों की धीमी आंच पर तपा देंगे की आप पक्ष और विपक्ष का ही सही अनुमान लगाते रह जायेंगे।
बस इसलिए वक़ालत नही कर पाए! 
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on October 29, 2020 00:42

November 22, 2019

और ज़ाया ना होती

गर यूँ ही बेवजह से मिल जाते तुमएक शाम और ना ज़ाया होती..महफिलें तो हर रोज़ लग जाती हैंएक नज़्म और ना ज़ाया होती..
आ जाते बिन बुलाए दरवाज़े परएक याद ना ज़ाया होती..हम ढूँढ़ते ना तुम्हें दिल-ए-मुज़्तर हुएफिर ये मेरी बेख़ुदी ज़ाया ना होती..
बड़े शौक़ से रखे हैं कुछ जाम बचा के,गर यूँ ही बेवजह मिल जाते तुम,भर के जाम गैरों के ये साक़ी ना ज़ाया होती.. ये साक़ी ना ज़ाया होती..
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 22, 2019 10:36

April 4, 2019

बियाह नही की हो अभी तक?

डिस्क्लेमर: इस कहानी के सभी पात्र भैंस की आँख सच्चे हैं.. और सत्य घटना से इसका लेना देना है! पात्रों का मेरी ज़िंदगी से क्या लेना देना है ये कोई घंटा नहीं जानता।

तो बात कुछ ऐसे शुरू हुई की कल वर्क फ़्रम होम के नाम पर मार ली हमने छुट्टी।
सुबह उठने का मन नहीं क्यूँकि पिछली रात टिंडर पर बातें करते करते ३ बज गए. (जज मत कीजिए जवान हूँ सिंगल हूँ और आयुर्वेद, होमियोपैथी और घरेलू उपचार के गुणगान गाने की उम्र नहीं है)
हाँ जी, तो सुबह देर से उठी, दत्तो (हमारी कामवाली) को सख़्त हिदायत दी गयी थी झाड़ू पोछा लगाने के बाद पंखा न चला के जाए और काली (हमारी कुतिया) को हिदायत थी की मेरे कान पर न भौंके, बाल्कनी में भौंके!
ना काली मानी ना दत्तो! पतनहि ये औरतों में सुबह पंखा बंध करने की आदत कब जाएगी..
रियलिटी ये है साहब ये सब "ऑ सो स्वीट" वाले कुत्ते सिर्फ़ फ़ेस्बुक विडीओज़ पे वाइरल होते हैं सच्चाई में ये कान के आगे भौंकते हैं, दिन भर खुजाते हैं और वोही खाना खाते हैं जो आपकी प्लेट में है।
ख़ैर, हम उठे तो पता चला काली भौंक रही थी चुलबुली बुआ के आने पर।
वैसे चुलबुली बुआ का असली नाम शाकंभरी देवी था, क्यूँ था यह नहीं पता। शादी-वादी में लोगों को सुना था उनको चुलबुली भाभी बुलाते हुए तो हम लोग भी चुलबुली बुआ कहने लगे।
पहले तो माँ आँख दिखाती थी अब क्या दिखाएगी अब तो हम ख़ुद ना जाने कितने बच्चो की बुआ हो लिए।

ख़ैर, तो सुबह हम उठे बुआ आयी हुई थी, हम बिखरे बालों में आँख मचलते हुए बड़ा सा कच्छा और टीशर्ट पहने चले गए उनके सामने ( अब कच्छे को बरमूडा बोलने से वो कच्छा नहीं रहेगा?)
देखते ही बुआ ऐसे लिपटने लगी जैसे मैं चंदन और वो सांप.. "हाए मेरी ग़ुड्डो कितनी बड़ी हो गयी" हम भी मुस्कुरा कर उनको चिपटा लिए (बड़ी? बुआ मैं बड़ी नहीं चौकोर हो गयी हूँ.. जिमिकंद की तरह  यहाँ वहाँ और जाने कहाँ कहाँ से फैल गयी हूँ सच बोलो पाप चढ़ेगा)

छूटते ही बुआ बोली "अरे कोई लड़का वड़का देखा कि नहीं?" फिर मेरी तरफ़ देख कर के बोली "ही ही ही आजकल तो बच्चे अपने आप देख लेते हैं" माँ बोली "तुम ही देखो कोई नज़र में हो तो शक्को" और बापू हानिकारक हमारे बोले "पढ़ रही है अभी तो नौकरी लग जाए पहले.."

(एक ये गवर्न्मेंट पिताजियों के बारे में बात होती है की नौकरी मतलब सरकारी चाहे आप चपरासी क्यूँ ना हों, प्राइवट नौकरी में हम अच्छा कमा रहे हैं, नहीं! आपको काग़ज़ पर जेनरल मैनेजर लिख के दिया जाता है लेकिन काम आप फ़ोटोकापी का ही करते हैं)

ना ना करते हुए चाय के साथ जिम जैम का पूरा पैकेट चैट कर चुकी बुआ बोली "ग़ुड्डो कहाँ नौकरी कर रही हो"
"नेओडा"
"ओह नॉएडा" दूर है बहुत.. नई?
"हम्म"
"और बुआ कैसे आयी?"
पापा की तरफ़ देखते हुए बोली "रिश्ता लेके आइ हूँ, वो मेरी नंद की जेठानी का लड़का है ना, मनोरंजन.. स्पेन से लौट आया है तो वो बोल रही थी लड़की देखने को, हमारी गुड्डी के लिए एकदम सही है"

"तुमको कैसे पता बुआ की मेरे लिए कौन सही है?" दिखा दी हमने मुँहफटि और माँ ठिठक गयी की "लड़की चटक ज़ुबान है" का तमग़ा ना लग जाए..

मम्मी तो मम्मी होती है ना, मम्मीपना तो दिख़ाएगी.. "तू चुप कर और नहा ले" लो जी.. भगा दिया.. मतलब क्या? काली गाय समझा है क्या जब घी की रोटी खिलानी हो तब पूच पुच कर दिया और गोबर करने का टाइम आया तो भगा दिया!

(गौरक्षक इग्नोर करें)

कुछ नहीं, हम चले नहाने.. वैक्सिंग भी करनी थी और फ़ेशल भी, कौन बुआ की तरफ़ ध्यान दे.. "पप्पा की परी" हूँ मैं वो सम्भाल लेंगे और माना कर देंगे जिस भी लक्कडबग़घे को मेरे पल्ले बाँधने बुआ कर रही है..

टॉलेट में बैठ कर हम भी टिंडर चेक करने लगे, कुल मिला के १६ मैचेज़ थे जिसने 11 मैरीड निकले झूठेल बांब, ३ जस्ट लुकिंग फ़ोर लाइक मायंडेड पीपल तो हैंग अराउंड विद, बाक़ी दो 'नथिंग.. जस्ट गोइंग विद फ़्लो एंड लेट्स सी वट हैपेंज़" वाले थे..

दो चार की गुड मोर्निंग का जवाब देके, ऑफ़िस मेल्ज़ चेक की, फ़ेस्बुक नोटिफ़िकेशंज़ देखी और नहाने चले गए..
नहा धो के सुंदर बच्चा बन गए, माँ बचपन में कहती थी जो बच्चे जल्दी नहा लेते हैं उनको भगवान जी पास करवा देते हैं।
बताओ, बचपन से बनाया जा रहा है और हम बन रहे हैं..

नाश्ते का टाइम तो निकल चुका था सोचा सीधा लंच ही करते हैं अब , बुआ आइ है कुछ तो अच्छा बनेगा..

नीचे गए ही क्यों? नहीं जाना चाहिए था.. किचन में जा के देखा तो बुआ जी ख़ुद ही पकाने में लगी हुई थी। हो गया नाश.. फुफ़्फ़ड पता नहीं कैसे ज़िंदा है इतनी मिर्च खा कर.. हमने पिताजी की तरफ़ देखा और आँखों ही आँखों में समझ गए वो, बोले "ग़ुड्डो कॉर्नफलेक्स खा ले"
"अरे नहीं नहीं मैं आलू पूरी बना रही हूँ" तपाक बुआ बोली..
(बुआ की तो पूरी में भी मिर्च होती है!!)
मैंने कहा " हाँ बुआ आप बनाओ, मा पापा खाएँगे ना.. मैं ओईली फ़ूड अवोईड कर रही हूँ.."
कह के मैं बच ली.. "अरे रुक" पूरी तलते तलते बुआ ने अपनी और खींचा और मोबाइल में उनके ससुराल की किसी शादी की तस्वीरें दिखाने लगी "ये देख, कैसा है.. मनोरंजन....?" एक वानरों के हुजूम में कोट पैंट पहन कर खड़ा था, बाक़ी सब भी कोट पैंट में ही थे! अब अगर मैं पूछती की कौनसा वाला है तो लगता की इंट्रेस्ट ले रही हूँ और सारे एक जैसे ही लग रहे थे 'वानर'
(देखो, सच यह है की मैं हूँ सिंगल अगर किसी को डटे कर रही होती तो शायद चिढ़ जाती लेकिन यहाँ मज़ा आ रहा था, वैल्यू बढ़ रही थी.. फ़ीमेल ईगो फ़ीड मिल रही थी.. और सामने से लड़का दिखाया जा रहा था और पिताजी? पिताजी चुप!!..)
यहाँ मैं आपको बताना चाहूँगी की हमारा परिवार थोड़ा न वैसा सा है.. वो होते हैं न.. जो मर्ज़ी खाओ, जो मर्ज़ी पहनो, मस्त रहो लेकिन घर में!
लड़कों से दोस्ती? ना जी ना!
छोटे कपड़े? अजी कहाँ!
सहेलियों के साथ नाइट आउट? विचार त्याग दीजिए साहब..
हम एक बार तस्वीर देख कर आँखों का चटकारा ले दूसरी ओर पिताजी को देखें..

देखो, बाप और बेटी का रिश्ता बड़ा अजीब होता है.. जहाँ बाप और बेटा हद से हद दोस्त बन जाते हैं, वहीं एक पिता बेटी के लिए सबकुछ होता है और पति उसको ऐसा चाहिए जो उस 'सबकुछ' की छवि का एक अप्डेटेड वर्ज़न हो।
तभी अगर कोई लड़की ये प्यार-मुहब्बत कोका-कोला करती है तो लड़कों को समझ जाना चाहिए वो हर क़दम पर यह बैलेन्स बैठा रही है की इस वाली आदत को पापा के सामने कैसे रेप्रेज़ेंट करेंगे क्योंकि पापा तो ऐसा करते नहीं..

ख़ैर, तुम नहीं समझोगे ये फ़ीमेल कैल्क्युलेशन है..

और यहाँ ऐसी कोई बात नहीं थी, सबसे बड़ी राहत की साँस इस बात से थी की अगर माल ख़राब निकल तो दोषारोपण मुझपर नहीं होगा!

इंडिया दोषारोपण पे चलता है भई!

 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on April 04, 2019 11:54

December 17, 2017

Can’t love anymore..

झूठ नहीं बोल सकते! और relationship हलवा थोड़ी ना है की मिक्रोवेव में री-हीट कर के खा लिया..अंदर से फ़ीलिंग नहीं आएगी प्यार कैसे करोगे? और पिछले इक्स्पिरीयन्स ने प्यार करने की हिम्मत तोड़ दी है तो किसी को ज़िंदगी में आने कैसे दोगे?ऐसा नहीं है आप कोशिश नहीं करते, करते हो.. लेकिन नहीं होता है.. झूठ नहीं बोल जाता.. दिखावा नहीं कर सकते.. 
फिर काहे का लव और काहे का रेलेशन्शिप? 
उससे भी डेंजरस होता है भाई rebound.. मतलब किसी के पिछवाड़े पे पड़ी हो ताज़ी ताज़ी लात और आप से टकर गए वो पिटे हुए रुई के गद्दे.. आप तो पड़ गए प्यार में और निभा दिया साथ बुरे वक़्त में जब उनका कोई ना था.. फिर क्या बस हालत १-२ साल में ठीक हो गए.. वो सेट हो गए.. और आपको एक ख़ाली बीयर के केन की तरह भींच कर कूड़ेदान में डाल दिया! 
बस फिर क्या? आप खड़े रह गए भौंचक्के की कब क्या कैसे हो गया और हमारी भैंचो ग़लती कहाँ रही और वो तल्ख़ी दिखा लहरा कर निकल लिए..
अब प्यार के नाम से चोक ले जाती है, ना किसी के क़रीब जाते हैं और ना किसी को क़रीब आने देते हैं..

अब कल्लो मुहब्बत किससे कलोगे!
1 like ·   •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on December 17, 2017 11:49

December 12, 2017

Why did she invite rape?

I have always thought the society I’m living which includes you and I would say if a “high class”, well articulate woman gets raped?We all are hypocrite of different levels.
What if a woman who wears short dresses, goes to parties with her friends, speaks Fluebt English, posts pictures of “#aboutlastnight” gets raped while coming back from office on an ordinary working day? 
or a woman who writes romance and gets raped by revengeful ex boyfriend?Or simply an articulate journalist who openly expresses her ideas about sex, relationships, female physical issues gets raped by unknown  bunch of people?Or a model who poses her beauty, maintains her physique, posts about health and fitness with gym selfies gets raped?Or a social media blogger who writes about periods issues, small breasts, bigger breasts, sex poses, relationship tips,and other ‘crispy topics’ we love to share and comment gets raped by someone who are not on social media?Or just another female photographer who has a Facebook profile of 5000 people and a twitter of 50k followers posts her work of erotic photography gets raped?
Any woman who is articulate in any manner gets raped, wouldn’t she get raped again by the society? 
Wouldn’t she question herself and think twice about going public for justice?Wouldn’t she blame herself and crawl back into a dark room as if it is her mother’s womb? How is she going to answer her mother’s every weekend question of “being late”? Wouldn’t she get scared to face her father, husband, brother or lover after “getting raped”?Would she be able to post a gym selfie in sports bra, spandex showing abs, write romance with intimate scenes, shoot erotic photograph, or attend any party?
How is she going to answer when her parents ask “why only you got raped, there were other women too?”
Or to the well-wisher who suggested her “don’t be so bold and blunt”

How is she going to answer the messed up question “why did she invite rape?” 
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on December 12, 2017 19:34

November 26, 2017

Happiness is contagious - my new work environment

'Happiness is contagious' The extra added perk each morning, as you step in the company premises, hot-hotter-hottest hunks and young-tiny-tall bombshells surround you..
..greet you with smile and are happy to see you, eager to rush into the lecture hall because they know, they are going to laugh and giggle, their motivation level is going to get pumped up and they are going to have a charged up day.
The magic of smile is known, when Cute suited booted HR managers are always around you, if you need something..
And above all when all the hotness, cuteness, sexiness, mannerisms, hospitality, etiquette and elitism are bound to respect and listen to you..
Happiness is contagious, basic rule of hospitality/entertainment/service industry - I like the most about my company, it makes my day happy!!
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 26, 2017 08:15

फैसला..

ये फैसला तेरा है अब,
खुद को पूरा का या मुझे अधूरा कर जा,
मुझे काफ़िर बना दे या मेरा खुदा बन जा
तू जब भी मिलेगा सजदा तेरे लबों का करेंगे
या थाम मुझे और सुकून देदे, या जीने की ही वजह बन जा,
यूँ न खफा हो, है फासले तेरे मेरे दरम्यान,
मुझसे वफ़ा नहीं तो मुझे बेवफ़ा कर जा..
खुद को पूरा कर या मुझे अधूरा कर जा..अब न ज़िद होगी, न इंतज़ार तेरे आने का,
ना होगा मकसद किसी बहाने का,
तू किसी और को चाह कर भी ना पा सका
तू मेरा ना बन, मुझे मेरा कर जा..
खुद को पूरा कर या मुझे अधूरा कर जा..बस चंद लम्हों में हट गए तेरे कदम
हाथ थाम कर बैठा था बेवजह शायद
अब थाम ही ले हाथों को,
या मुझे बेवज़ह कर जा,
खुदा बन मेरा या मुझे काफ़िर कर जा..
है फैसला तेरा, मुझे अधूरा या पूरा कर जा..तेरी मुहोब्बत, तेरी बगावत, तेरी रंजिश, तेरी मंज़िल ही सही
मुझे हमसफ़र ना सही, मेरा सफ़र बन जा,
वापस आ और समेट बाहों में बिखरने से पहले
या सैलाब आने दे और मुझे पत्थर कर जा..
अधूरा, या पूरा, पर फैसला कर जा..
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 26, 2017 08:10

To giveaway whatever you have..

After long.. very long.. maybe because I have accepted.. Believe in Karma, Have faith in God, accept the pain you're going through.  be thankful that he chose you for the sufferings because he wants to see you somewhere.. you just keep making efforts, and don't quit fighting. it's okay not to be strong enough to face the situation when each moment and everything pushes you to the edge to quit and accept your defeat, find the ray of hope..  GIVEAWAY the kind of LOVE you want to others   becausee you understand the worth and need of love, support and the warmth of hug somebody needs when in pain since you have been there and gone through it.The sufferings either make you a monster or make you human but the choice is yours because somewhere down the line you're the reason of your own miserable situations..
..and you will suffer till you seek dependence, somebody to come and lift you in arms, be your crutches.. 
meanwhile you're crippled and regretting for the loss giveaway the left over love, hope and strength you have in yourself and be empty..Being empty is far more better than being lost. let go and let God.. You need not forgive and forget what you're going through, been through all you have to do is accept it positively as a part of your processing.
you're tortured, hammered, beaten, broken, crushed down to dust because the process is painful being into the furnace..just imagine the first ray of light when you will cross the dark and lost alley, the feeling of being content, serene and relieved.. yes, you have to keep moving on.. and on.. and on.. because these kind of furnaces, dark alleys, purgatory would be countless in your way since your aim is to WIN.. over the world, over the foes, over the pain, over YOURSELF..to conclude my vent of lazy sunday morning ranting I'd quote Shri Harivansh Rai Bachchan jiवृक्ष हो बड़े घने
एक पत्र छाँव भी मांग मत
तू ना रुकेगा कभी
तू ना झुकेगा कभी
तू ना थकेगा कभी
कर शपथ कर शपथ कर शपथ
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ..
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 26, 2017 08:09

The winters..

''This weather, chai, one shawl and you in the balcony.. '' Wish you were here,
I'd have shared
some sips of chai
Leaning in the balcony,
Giggling over your jokes
Sometimes, resting my head
On your shoulders
Or hiding in your warm shawlWish you were here
I'd have tasted your lips
For long
I'm craving for kiss
And that beautiful songWish you were here,
Holding me in your arms
Leading the way of romancing souls..
I'd have followed your steps
In this weather, chai, one shawl and you in the balcony..
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 26, 2017 08:08

करवट

महज़ इस बात पे लड़े थे हम
की करवट बदल कर पहले थामे कौन
पलकों पर सूखी हुई नमी को न मैंने दिखाया
ना वो पलट कर कह सका के छोडो जाने दो
महज़ इस बात पे लड़े थे हम
की करवट बदल कर पहले थामे कौन..
चुप चाप रसोई में जा कर सुबह की चाय बना दी
बिना कुछ बोले तौलिया वहीँ रखा रोज़ की तरह
इससे पहले वो कुछ बोले मैंने मौक़ा ना दिया
बेतरतीब पड़ी फाइलों को समेट, कमीज का टूटा बटन टांक दिया
फिर भी उदास चेहरे पर ये उम्मीद थी
तिरछी आँखों से इंतज़ार था उसके हाथों का कमर पर
के मनाने के लिए थोड़ी जद्दोजहद होगी तो मान जाउंगी
अपनी बात ऊपर रख कर सब कुछ मनवाउंगी
चिट भी मेरी और पट भी मेरी का रिवाज़ तो उस दिन से था
सालों पहले चाय की प्याली सरकाते हुए
और सबकी नज़रे बचाते हुए धीमे से पुछा था मुझसे
"थोडा गुस्से वाला हूँ.. चलेगा?"
मैंने सर झुका कर भर दी थी हामी और कहा
" अगर थोड़ा नखरा मेरा भी हो तो चलेगा?"
और अब महज़ इस बात पे लड़ बैठे हम,
करवट बदल कर पहले थामेगा कौन..
..करवट बदल कर पहले हमें थमेगा कौन..

Edit 10/2/2021A friend tried his version on podcast. :)https://hubhopper.com/episode/karwat-...
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 26, 2017 08:07