Moushmi Radhanpara's Blog, page 9
December 25, 2020
सूरज से गुफ्तगू #47
सुना है मिलने वाले ख्वाबो में भी मिल जाते है
तुम भी आते हो मिलने
धीमे धीमे ख्वाबो को सजोने
भीनी ज़ुल्फो की चादर तले
आँखों से नींद चुराए
पर जैसे ही तुम्हारा हाथ थामु
तो न जाने कहा गायब हो जाते हो
मानो जैसे ख्वाबो में ही मोहब्बत करते हो
सुना है मिलने वाले ख्वाबो में भी मिल आते है
कभी उन ख्वाबो से बहार भी तो आओ
हो सके तो एक पियाली चाय पे ही कोई मुलाकात कर जाओ
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December 24, 2020
सूरज से गुफ्तगू #46
अभी तो दिखा था तू फिर छुप गया
मोहब्बत है मुझसे कह कर फिर चला गया
अब तक इतनी चाय पिलाई है, आज तू भी एक घूट पीला
नशा तो तुजपे भी चढ़ गया है, अब तो ये शर्म हटा
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PS: Merry Christmas everyone.
December 23, 2020
सूरज से गुफ्तगू #45
तू अपनी आँखों पे थोड़ी तवज्जोह तो रख
कही न लग जाये तुजे मेरी ही लत
जैसे मै तुजे नहीं बाट सकती
वैसे तू भी मुझे न बाट पाए
कही तुजे भी न हो जाये ऐसी ही मोहब्बत
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December 22, 2020
सूरज से गुफ्तगू #44
तेरे जाने के साथ आज मै सोने चली जाउंगी
बिस्तर पर लेट कर एक अलग ही धुन में खो जाउंगी
उसी उल्जन के साथ सो जाउंगी
की शायद ख्वाबो में कुछ सुलझ जाये
क्या पता जो न सोचा हो वो भी मिल जाये
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December 21, 2020
सूरज से गुफ्तगू #43
तू सोचता होगा की तूने सिर्फ मुझे सताया है
पर तूने मुझे खुद से ज़्यादा जलाया हैं
तू सोचता होगा की तूने सिर्फ अपनी दास्तान रौशन की हैं
पर तूने हर कोशिश के साथ मेरे हौसले को उड़ने की आहट दी हैं
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December 20, 2020
सूरज से गुफ्तगू #42
तुम बार बार जो अपनी चलाते थे
न जाने मुझे कितने हिस्सों में तोड़ जाते थे
अब जो तुम पिघले हो अर्सो के बाद
उम्र भर का हिसाब चुकाना होगा तुम्हे आज
तोड़ने की ख्वाहिश नहीं रखते हम
बस बाटना चाहते है तेरे गम
अब तक तुजे छूने से ही डरती थी
अब तुम मुझे खोने से डरोगे
अब तक सिर्फ तुम्हे दूर से देखती थी
अब तुम मुझे पाने का ख्वाब देखोगे
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December 19, 2020
सूरज से गुफ्तगू #41
दिखोगे या नहीं दिखोगे
कब से खड़ी हु रास्ता देखे
कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे
तेरी कहानी को सुनने को कान है तरसे
मेरी तरह दिलचस्प न सही
पर कहानी तो तेरी भी होगी
मेरी तरह बेख़ौफ़ न सही
मोहब्बत तो तूने भी की होगी
चल अब आ भी जा
ऐसे न सत्ता
मोहब्बत का इज़हार कर भी जा
ऐसे न मुझसे तू अपनी कहानी छुपा
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December 18, 2020
सूरज से गुफ्तगू #40
तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही है
कभी तेरी गुस्ताखियों से
तो कभी तू मुझे जैसे देखे, उस नज़र से
कभी तेरी मुस्कराहट से
तो कभी तू जैसे मेरे करीब आये, उन बाहो से
कभी तेरी अनकही बातो से
तो कभी तू रूठ जाये, उस अंदाज़ से
बस तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही है
कभी तेरी हरकतों से, तो कभी, बेवजह सही पर तुजसे.
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December 17, 2020
सूरज से गुफ्तगू #39
उसने कहा हम मिले नहीं
फिर जुदाई का गम कैसे
उसे क्या पता, हम मिले नहीं
फिर भी मोहब्बत थी उससे
पाया तो नहीं
पर अब तक ढूंढ रही हूँ
उस एक तिनके सी मुलाकात
अब तक महसूस कर रही हूँ
बादलो और फूलो पर चल कर नहीं
कांटो और अंगारो से भी लड़ कर आयी हूँ
वो सारी पुरानी बातें
इन सन्नाटो में छुपा कर लायी हूँ
उसके रस्मो रिवाजो का तो पता नहीं
पर हमारे यहाँ कोई खाली हाथ तो वापस जाता नहीं
Read More: सूरज से गुफ्तगू #38
सूरज से गुफ्तगू #38
आज जाते वक़्त बार बार पीछे मुड़ के देख रही थी
की शायद तुम्हारी एक जलक और दिख जाये
वक़्त से बार बार मिन्नतें कर रही थी
की काश थोड़ा सा वक़्त और मिल जाये
यु तो खफा थी मै तुजसे
पर मोहब्बत-ऐ-वफ़ा का आलम कोई कैसे भूल जाये
Read More: सूरज से गुफ्तगू #37