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Start by following Rajeev Saxena.
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“सर्वव्यापी चेतना से बताया गया है। अस्मि का अर्थ ब्रह्म और आत्मा दोनों के एकाकार हो जाने से है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“विचार तो मन प्रस्तुत करता है, लेकिन उन विचारों के पीछे मूल में कोई न कोई भाव होता है। यह भाव संग्रहित रहते हैं चित्त में और सूक्ष्म शरीर चित्त से लेकर इन भावों का उपयोग अपनी इच्छा पूर्ति के लिए करता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“मूलाधार चक्र में पृथ्वी तत्व प्रधान होता है। साँस में पृथ्वी तत्व चलने से ही काम वासना और वीर्य उत्पन होता है। पृथ्वी तत्व में ही यदि साधना की जाये, तो ऊर्जा विपरीत दिशा में यानी ऊपर के चक्रों की ओर प्रवाहित होने लगती है। मूलाधार का बीजमंत्र लाम होता है। इस मंत्र की ध्वनि इस चक्र की रुकावटों को दूर करने में सहायक होती है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“चौथा अनाहत चक्र है, जो मनस शरीर से जुड़ा होता है। इस चक्र के कारण व्यक्ति पूर्व जन्मों की इच्छाओं और इस जन्म की इच्छाओं को जोड़कर, उनमें जो भी इच्छा प्रबल होती है, उसके अनुरूप ही भविष्य बनाने की कल्पना करने लगता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“किसी चीज़ में इतने डूब जाते हैं कि कुछ क्षणों के लिए हम अपने होने को ही भुला सकें, तो हमें आनन्द मिलता है। और जिस हद तक खुद को भुला सकेंगे, उतना ही आनन्द। खुद को भुलाने का अर्थ ही है,”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“वह अनुभव हमारा सूक्ष्म शरीर करता है। इसीलिए सपने हमें हक़ीक़त में कुछ घटित होने जैसा अनुभव कराते हैं, न कि किसी याद जैसा।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“आप अमल करते हैं उस विचार पर जो मन के साथ आपको बुद्धि भी करने को बोलती है। जैसे ही आप किसी विचार पर अमल करने के लिए कोई भी क्रिया करते हैं, वह फ़ौरन कर्म बन जाता है। और कर्म हुआ नहीं कि उसका फल आना निश्चित है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“बुद्धि बाहरी दुनियाँ से इतना अधिक प्रभावित होती गयी कि भीतर मौजूद अपनी चेतना के अनुभव को भूलते चले गये। मन का काम सिर्फ़ बाहरी जगत तक ही केंद्रित हो गया। बस, यही वजह है, जिसके चलते आज हम अपने मूल स्रोत शुद्ध चेतना की अनुभूति नहीं कर पाते। हमारा मूल शुद्ध चेतना यानी आत्मा ही है। यह बात हम शास्त्रों में तो पढ़ लेते हैं। लेकिन इसका अनुभव नहीं कर पाते।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“ध्यान एक ऐसा यूनिक प्रोसेस है, जिसमें कोई भी ऐक्शन नहीं करना होता।”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“आख़िर हमें अपनी चेतना की अनुभूति क्यों नहीं हो पाती? ज़रा सा भी ग़ौर करेंगे, तो बात समझना बेहद आसान है। चेतना है हमारे भीतर और जिस चीज़ से हम यह अनुभूति करना चाहते हैं, वह है हमारा मन, जिसका काम ही है हमें बाहर की ओर ले जाना।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“चेतना के विकास से मनुष्य के भीतर मन का निर्माण हुआ, वही मन फिर चेतना तक पहुँचने में बाधा बन गया।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“भाव उठते हैं चित्त से। पूर्व जन्मों की अतृप्त इच्छाएँ ही भाव के रूप में बलवती होकर इस जन्म में हमारी इच्छाओं को जन्म देती हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यह हमारी चेतना के सात अलग आयाम होते हैं। यह 7 चक्र हमारे स्थूल शरीर का संचालन तो करते हैं, लेकिन यह हमारे स्थूल शरीर में नहीं होते, बल्कि यह एक अलग आयाम, जीवात्मा जगत या आत्मिक जगत से जुड़े होते हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“शून्य मन की अवस्था’ कहा जा सकता है। यानी हमारे मन की झील में जब किसी भी विचार की कोई लहर न उठे। झील पूरी तरह शांत हो तो वह दर्पण जैसी बन जाती है। उस दर्पण में जो दिखता है, वह उससे बहुत भिन्न होता है, जिसका अनुभव हम अपनी आँखों से कुछ देखकर कर रहे होते हैं। पर”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“देवताओं का स्थूल शरीर नहीं होता। उनका शरीर तीन तत्वों का होता है, आकाश, अग्नि और वायु। जबकि स्थूल शरीर के लिए पृथ्वी और जल तत्व की भी आवश्यकता होती”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“वाक़ई उस सत्य की खोज है, जिसे ईश्वर कहते हैं, तो आपको (सुषुम्ना नाड़ी) के माध्यम से साधना करना चाहिए।”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“श्रेष्ठ आत्मा जो स्वेच्छा से या अन्य किसी कारण से मोक्ष को धारण नहीं करती, वे देवता हैं। ऐसी आत्माओं को अपने योग्य मनुष्य शरीर प्राप्त करना कठिन कार्य होता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“सूक्ष्म शरीर के मूल में होता तो कारण शरीर ही है, लेकिन उसका काम सिर्फ़ अनुभूति करना होता है। आनंद या दुःख का अनुभव कारण शरीर को ही होता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“अनुभव के संग्रह से चेतना और शरीर के बीच जीव भी आ गया। फिर जीव को जितनी बार जीवन मिला, तब के सारे अनुभव को वह संग्रह करता गया,”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“ईश्वर है मन के पार और हम उसे ढूँढते हैं मन के द्वार”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जिसकी चेतना पाँचवें शरीर तक सीमित रही है, उसे पुनर्जन्म लेना पड़ता है। लेकिन छठे शरीर को प्राप्त व्यक्ति स्थूल शरीर त्यागकर भी जब तक चाहे, तब तक आत्मिक जगत में सक्रिय रहकर जगत के कल्याण का कार्य करता रह सकता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“सूक्ष्म शरीर, तीन कोषों (प्राणमय कोष, मनोमय कोष और विज्ञानमय कोष) से जुड़ा होता है। जबकि कारण शरीर, आनन्दमय कोष से जुड़ा होता है। आनन्द के क्षणों का अनुभव कारण शरीर को ही होता है, क्यूँकि इससे बिल्कुल सटी हुई, इसके ठीक पीछे, शुद्ध चैतन्य आत्मा होती है, जिसे परमानन्द कहते हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“कुछ भी न करने जैसा सरल काम’ हमारे लिए इतना कठिन हो जाता है”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“बुद्धि का कुछ प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाते हैं। जैसे-जैसे विचार कम होते जाते हैं, बुद्धि की शक्ति बढ़ने लगती है। और यह काम भीतर बाहर दोनों प्रकार से मौन रहने से सम्भव होता है। लेकिन हम भीतर से मौन रह ही नहीं पाते। मन की आदत हो जाती है हर वक्त कुछ-न-कुछ बुदबुदाने की। हम इसे विचार का चलना समझते हैं। जबकि यह विचार नहीं होता। यहाँ तीन चीजों को अलग-अलग जानें—1. बुद्धि, 2. विचार, 3. भाषा। विचार बहुत ही सूक्ष्म क्रिया है। किसी माइक्रो चिप की तरह! विचार को तो हम भीतर-ही-भीतर बस जान लेते हैं। और जब हमें उस विचार को किसी के समक्ष व्यक्त करना होता है, तब हम भाषा का सहारा लेकर उसे व्यक्त करते हैं। एक विचार को व्यक्त करने में किसी भाषा के हजारों शब्द लग सकते हैं। इसे समझने के लिए आप एक प्रयोग कर सकते हैं। कभी जब मन में बहुत विचार उठ रहें हों, तो आप उसे लिखना शुरू कर दें या आप एकांत में हों, तो उसे बोलना शुरू कर दें। जो विचार उठे, उसे लिखने लगें या बोलने लगें। आप यह देखकर हैरान हो जाएँगे कि आपके ऐसा करते ही विचार ग़ायब होने लगेंगे।”
― Man Ki Shakti: Chetana Ke Saat Star Ka Adhyatmik Rahasya
― Man Ki Shakti: Chetana Ke Saat Star Ka Adhyatmik Rahasya
“चित्त में काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, प्रेम, घृणा, ठीक वैसे ही संग्रहित रहते हैं, जैसे कम्प्यूटर में अलग-अलग फ़ोल्डर में अलग-अलग फ़ाइल जमा करते हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“का अर्थ ही यही है कि आपने खुद के अस्तित्व को परमात्मा से अलग समझ लिया है। जबकि आप उससे अलग नहीं हैं। दो नहीं हैं। बस एक ही हैं। बस इतनी छोटी सी बात है, लेकिन हमारा मन हमारी समझ के आड़े आ जाता है। इसलिए हम नहीं समझते।”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
“सूरज भी ख़ाली नहीं बैठा है। वह आकाशगंगा मंदाकिनी के चक्कर लगाता है। सूरज 250 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से मंदाकिनी का चक्कर लगाता है। उसका एक चक्कर पूरा होने में 25 करोड़ वर्ष का समय लगता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“परम ऊर्जा भी पदार्थ और चेतना दोनों में ही परिवर्तित हो जाती है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“चित्त और मृत्यु के समय होने वाले कंपन से जो ऊर्जा बनीं, उससे जीव की उत्पत्ति हो गयी। उस चित्त से ही उसका पुनर्जन्म सम्भव हुआ।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“दरअसल, खो जाने के दौरान ही मन को विश्राम मिलता है। और मन का विश्राम ही आनंद का दूसरा नाम है।”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein