Kahan Pahunche Aap? Quotes

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Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya (Hindi Edition) Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya by Rajeev Saxena
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“हमारे जीवन और चक्रों के बीच की सीढ़ी हमारी साँस ही होती है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“ईश्वर है मन के पार और हम उसे ढूँढते हैं मन के द्वार”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“चेतना के विकास से मनुष्य के भीतर मन का निर्माण हुआ, वही मन फिर चेतना तक पहुँचने में बाधा बन गया।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“आख़िर हमें अपनी चेतना की अनुभूति क्यों नहीं हो पाती? ज़रा सा भी ग़ौर करेंगे, तो बात समझना बेहद आसान है। चेतना है हमारे भीतर और जिस चीज़ से हम यह अनुभूति करना चाहते हैं, वह है हमारा मन, जिसका काम ही है हमें बाहर की ओर ले जाना।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“बुद्धि बाहरी दुनियाँ से इतना अधिक प्रभावित होती गयी कि भीतर मौजूद अपनी चेतना के अनुभव को भूलते चले गये। मन का काम सिर्फ़ बाहरी जगत तक ही केंद्रित हो गया। बस, यही वजह है, जिसके चलते आज हम अपने मूल स्रोत शुद्ध चेतना की अनुभूति नहीं कर पाते। हमारा मूल शुद्ध चेतना यानी आत्मा ही है। यह बात हम शास्त्रों में तो पढ़ लेते हैं। लेकिन इसका अनुभव नहीं कर पाते।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“भगवान महावीर ने इसी सजगता के बारे में यहाँ तक कहा, “तू कुछ भी कर, तो जान कि उसे कर रहा है। तू उठ, तो जान कि उठ रहा है। बैठ तो जान कि बैठ रहा है। तू साँस भी ले, तो यह जानते हुए ले कि अब साँस भीतर गयी, अब वह बाहर निकली।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यात्रा ख़त्म तभी हो पाती है, जब कोई उसे शुरू करे।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“अध्यात्म की सारी खोज उस तीसरे नेत्र के संबंध में होती है, जो सूक्ष्म जगत और इस जगत के बीच संपर्क का माध्यम होता है। फ़िलहाल विज्ञान इस तीसरे नेत्र से दूर ही है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“अध्यात्म में बिलकुल साफ़ कहा गया है कि आत्मा को इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता। उसे बुद्धि से नहीं समझा जा सकता, क्योंकि बुद्धि का संबंध मन से है और आत्मा उस मन के भी पार स्थित है। यह बात विज्ञान नहीं मानता।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“विज्ञान भौतिक जगत की सीमा में रहकर उससे जुड़ी खोज करता है। जबकि अध्यात्म की तो बुनियाद में ही भौतिक जगत के बारे में स्पष्ट कह दिया गया है, “जगत मिथ्या, ब्रह्म सत्य”।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“दो बातें नहीं भूलना चाहिए। पहली, इतने विशाल ब्रह्मांड की उत्पत्ति जिस “गॉड पार्टिकल” से हुई वह अति सूक्ष्म था। यानी उस परमात्मा को जानने का संबंध आकार से नहीं। दूसरी बात, इसी धरती पर भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरुनानक देव, जीसस आदि अनेक महान लोग हुए हैं, जिन्होंने मनुष्य होते हुए भी ख़ुद भगवान का दर्जा प्राप्त किया है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“मंदाकिनी अकेली आकाशगंगा नहीं, बल्कि उसके जैसी सौ अरब आकाश गंगा हैं। मंदाकिनी के बाद हमसे सबसे क़रीब आकाश गंगा देवयानी है, वहाँ जाने में बीस लाख साल लगेंगे!”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“सूरज भी ख़ाली नहीं बैठा है। वह आकाशगंगा मंदाकिनी के चक्कर लगाता है। सूरज 250 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से मंदाकिनी का चक्कर लगाता है। उसका एक चक्कर पूरा होने में 25 करोड़ वर्ष का समय लगता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“उसको सम्पूर्ण सृष्टि स्वयं में और सम्पूर्ण सृष्टि में स्वयं के होने का बोध होता है। परम ऊर्जा का चक्र यहाँ पूर्ण हो जाता है। जहाँ से परम चेतना की यात्रा शुरू हुई, वहीं जाकर समाप्त हो जाती है। इसके बाद कोई शरीर नहीं बचता। नदी सागर में मिलकर ख़ुद सागर बन जाती है। हर मनुष्य इसी ऊँचाई को पाने की सम्भावना लेकर जन्म लेता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यदि किसी की ऊर्जा विशुद्ध चक्र तक प्रवाहित होती है, तो ऐसा व्यक्ति काव्य, संगीत, कला, लेखन, विज्ञान किसी भी क्षेत्र में अति विशिष्ट पहचान बना सकता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“पाँचवा चक्र विशुद्ध चक्र है। यह आत्मिक शरीर से जुड़ा होता है। सामान्य मनुष्य में यह शरीर नहीं होता या लेशमात्र होता है, क्योंकि बहुत कम लोगों में ही विशुद्ध चक्र तक ऊर्जा का प्रवाह होता है। चौथे चक्र, यानी अनाहत तक ऊर्जा के प्रवाह से हमारे भीतर जो जागृति (Awareness) पैदा होती है, उसी से इस चक्र का निर्माण होता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“स्वाधिष्ठान चक्र भाव शरीर से जुड़ा होता है। हमारे भौतिक शरीर में ज़्यादातर गम्भीर रोग भाव शरीर के कारण ही होते हैं। भाव के अनुसार ही हमारा जीवन चलता”
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“तीसरा मणिपूरक चक्र है, जो सूक्ष्म शरीर से जुड़ा होता है। इसका कार्य विचार और संदेह करना होता है।”
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“चौथा अनाहत चक्र है, जो मनस शरीर से जुड़ा होता है। इस चक्र के कारण व्यक्ति पूर्व जन्मों की इच्छाओं और इस जन्म की इच्छाओं को जोड़कर, उनमें जो भी इच्छा प्रबल होती है, उसके अनुरूप ही भविष्य बनाने की कल्पना करने लगता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“साँस में कोई भी नाड़ी चलने पर शुरू के 4 मिनट आकाश तत्व चलता है। फिर 8 मिनट वायु, उसके बाद 12 मिनट अग्नि, फिर 16 मिनट जल, और अंत में 20 मिनट पृथ्वी तत्व चलता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“मूलाधार चक्र में पृथ्वी तत्व प्रधान होता है। साँस में पृथ्वी तत्व चलने से ही काम वासना और वीर्य उत्पन होता है। पृथ्वी तत्व में ही यदि साधना की जाये, तो ऊर्जा विपरीत दिशा में यानी ऊपर के चक्रों की ओर प्रवाहित होने लगती है। मूलाधार का बीजमंत्र लाम होता है। इस मंत्र की ध्वनि इस चक्र की रुकावटों को दूर करने में सहायक होती है।”
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“जिसकी जिस चक्र में ऊर्जा का जितना अधिक प्रवाह, उसके भीतर वैसे ही भाव।”
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“साधारण मनुष्यों में अधिक से अधिक पाँचवाँ शरीर ही विकसित हो पाता है। जबकि छठे शरीर में चेतना की ऊर्जा का स्तर वैश्विक होता है। जैसे साधारण मनुष्य को अपने भीतर और आसपास की चीज़ों का ज्ञान होता है, उसी तरह छठे शरीर को प्राप्त कर चुके व्यक्ति को पूरे विश्व में घट रही चीज़ों का ज्ञान रहता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जिसकी चेतना पाँचवें शरीर तक सीमित रही है, उसे पुनर्जन्म लेना पड़ता है। लेकिन छठे शरीर को प्राप्त व्यक्ति स्थूल शरीर त्यागकर भी जब तक चाहे, तब तक आत्मिक जगत में सक्रिय रहकर जगत के कल्याण का कार्य करता रह सकता है।”
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“1.सबसे निचला और पहला है मूलाधार चक्र, जो हमारे स्थूल शरीर में ऊर्जा का संचालन करता है। 2.दूसरा है स्वाधिष्ठान चक्र, जो भाव शरीर से जुड़ा होता है। 3.उसके बाद मणिपूरक चक्र है, जो सूक्ष्म शरीर से जुड़ा होता है। 4.इसके ऊपर है अनाहत चक्र, जिसका संबंध मनस शरीर से होता है। 5.इसके बाद है विशुद्ध चक्र, जो आत्मिक शरीर से जुड़ा है। 6.फिर है आज्ञा चक्र, ब्रह्म शरीर से संबंधित है। 7.सबसे ऊपर और आख़िरी है सहस्रार चक्र, जो निर्वाण शरीर से जुड़ा है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“चित्त में काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, प्रेम, घृणा, ठीक वैसे ही संग्रहित रहते हैं, जैसे कम्प्यूटर में अलग-अलग फ़ोल्डर में अलग-अलग फ़ाइल जमा करते हैं।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“क्रोध तो मौलिक भाव है, लेकिन साधना करके उसी क्रोध को क्षमा भाव में रूपांतरित किया जा सकता है। काम भाव भी मौलिक भाव है, लेकिन उसे ब्रह्मचर्य में बदला जा सकता है।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यह हमारी चेतना के सात अलग आयाम होते हैं। यह 7 चक्र हमारे स्थूल शरीर का संचालन तो करते हैं, लेकिन यह हमारे स्थूल शरीर में नहीं होते, बल्कि यह एक अलग आयाम, जीवात्मा जगत या आत्मिक जगत से जुड़े होते हैं।”
Rajeev Saxena, Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“देवता तुल्य ऐसी आत्माएँ बग़ैर शरीर धारण किए भी हमारे आसपास रहकर वही कार्य करती रहती हैं, जो उनका लक्ष्य होता है।”
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“श्रेष्ठ आत्मा जो स्वेच्छा से या अन्य किसी कारण से मोक्ष को धारण नहीं करती, वे देवता हैं। ऐसी आत्माओं को अपने योग्य मनुष्य शरीर प्राप्त करना कठिन कार्य होता है।”
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