Goodreads helps you follow your favorite authors. Be the first to learn about new releases!
Start by following Rajeev Saxena.
Showing 31-60 of 111
“कई बार दूसरी जीवात्माएँ भी हमारे चित्त से जुड़कर सीधे हमें प्रभावित कर सकती हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“आखिर चेतन के तार अवचेतन से जुड़ते कैसे हैं? मोटे तौर पर तीन अवस्थाओं में यह तार जुड़ते हैं—पहली, जब चेतन मन लगातार किसी चीज का अभ्यास, अध्ययन कर रहा हो। दूसरी, जब कुछ करना उसके लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन गया हो, यानी सबसे बड़ी प्राथमिकता हो। तीसरी, जब चेतन मन किसी विषय-वस्तु में रस ले रहा हो, उसे उसमें आनंद अनुभव हो रहा हो।”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
“मन वही विचार प्रस्तुत करेगा, जो भाव होगा। और भाव विकसित करना आपके हाथ में हैं। मतलब यदि आपके भीतर ध्यान का भाव तीव्र हो गया, तो फिर उसके आगे मन की भी नहीं चलेगी। तो”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“विचार तो मस्तिष्क से उत्पन्न होते हैं। लेकिन भाव तो कहीं और से ही आते हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यदि किसी की ऊर्जा विशुद्ध चक्र तक प्रवाहित होती है, तो ऐसा व्यक्ति काव्य, संगीत, कला, लेखन, विज्ञान किसी भी क्षेत्र में अति विशिष्ट पहचान बना सकता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“साँस रोकने से मनोमय कोष में प्राण ऊर्जा का प्रवाह बंद हो जाता है। इसीलिए मन शिथिल हो जाता है। साँस की गति धीमी करके मन की गति को भी धीमा किया जा सकता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“ध्यान के लिए हमें कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं। इसी अवस्था में हम ध्यान की अवस्था में जा पाते हैं। ध्यान में उतर कर ही हम बोध की शक्ति के केंद्र को जान पाते हैं, जो कुछ और नहीं बल्कि शुद्ध चेतना होती है। इस तरह हम शुद्ध चेतना का बोध कर पाते हैं।”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“हिंदू धर्म के शास्त्रों में दस आयाम की बात कही गयी है। पुराणों के अनुसार, पहला आयाम कृतक त्रैलोक है। कृतक में तीन लोक हैं, भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक। यह भू: भुव स्व: क्या हैं? ग़ौर करें, गायत्री मंत्र में भी इसका उल्लेख है, ‘ॐ भू: भुव स्व:’। दूसरा आयाम महर्लोक है। इसे कृतक और अकृतक के बीच में बताया गया है। तीसरा आयाम अकृतक त्रैलोक है। इसे जप, तप और सत्य बताया गया है। चौथा आयाम समय है। पाँचवाँ आयाम ब्रह्म है। इसे और इसके आगे आयामों को समय के परे बताया गया है। जबकि छठे आयाम को महाविष्णु का निवास कहा गया है। इसके भी तीन भाग बताये गये हैं— 1.कारणोंदकशायी विष्णु, जो तत्वादि का निर्माण करते हैं, जिनके उदर में समस्त ब्रह्मांड हैं तथा साँस के प्रत्येक वर्तुल के साथ ब्रह्मांड प्रकट और नष्ट होते रहते हैं। 2.गर्भोदकशायी विष्णु, जिनके नाभि कमल से ब्रह्मा का जन्म हुआ, जो प्रत्येक ब्रह्मांड को जीवन प्रदान करते हैं। 3.क्षीरोदकशायी विष्णु, जो सृष्टि के हर तत्व और परमाणु में विलीन हैं और जो परमात्मा के रूप में प्रत्येक जीव के ह्रदय और प्रत्येक अणु में व्याप्त होकर सृष्टि का पालन करते हैं। सातवाँ आयाम ब्रह्म ज्योति बताया गया है। इस आयाम में वह तत्वज्ञान समाया हुआ है, जिसके ज्ञान से मनुष्य देवताओं की श्रेणी में चला जाता है। आठवाँ आयाम कैलाश बताया गया है, जो भगवान शिव का निवास है। इसी आयाम से, सात आयामों के बीच संतुलन होता है। नवाँ आयाम वैकुंठ है, जिसे नारायण का निवास बताया गया है, जो सारे आयामों का संचालन करते हैं। मोक्ष प्राप्त करने वाले व्यक्ति को इसी आयाम में जाना बताया गया है। जबकि दसवाँ आयाम अनंत बताया गया है, जहां से सम्पूर्ण जगत की उत्पत्ति हुई। अनंत यानी वह परमात्मा जो प्रकाश, परम चेतना स्वरूप सर्वत्र व्याप्त है। कहाँ”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“अध्यात्म में बिलकुल साफ़ कहा गया है कि आत्मा को इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता। उसे बुद्धि से नहीं समझा जा सकता, क्योंकि बुद्धि का संबंध मन से है और आत्मा उस मन के भी पार स्थित है। यह बात विज्ञान नहीं मानता।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जीवात्मा जगत कहीं और नहीं, बल्कि इसी जगत में होता है, जहां हम रहते हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“यात्रा ख़त्म तभी हो पाती है, जब कोई उसे शुरू करे।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“साधारण मनुष्यों में अधिक से अधिक पाँचवाँ शरीर ही विकसित हो पाता है। जबकि छठे शरीर में चेतना की ऊर्जा का स्तर वैश्विक होता है। जैसे साधारण मनुष्य को अपने भीतर और आसपास की चीज़ों का ज्ञान होता है, उसी तरह छठे शरीर को प्राप्त कर चुके व्यक्ति को पूरे विश्व में घट रही चीज़ों का ज्ञान रहता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“लोग सोचते हैं कि उनका मन जो कहता है, वे वही कर्म करते हैं, क्योंकि हर कर्म का पहले तो विचार ही उत्पन होता है। लेकिन विचार के पीछे भी कुछ होता है, वह होता है भाव।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“हमारी साँस में उपरोक्त पाँच तत्व, एक के बाद एक क्रम से प्रवाहित होते हैं। इनमें हर तत्व के प्रवाह का निश्चित समय होता है। इसी से हमारे शरीर की सारी क्रियाएँ चलती हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“आज्ञा चक्र ही वह जगह होती है, जहाँ सारा ध्यान केंद्रित करके अगर अभ्यास करें, तो किसी दूसरे व्यक्ति से बग़ैर मुँह से बोले भी हम कोई बात कहें तो वह विचार उसके मस्तिष्क में सम्प्रेषित किया जा सकता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“मंदाकिनी अकेली आकाशगंगा नहीं, बल्कि उसके जैसी सौ अरब आकाश गंगा हैं। मंदाकिनी के बाद हमसे सबसे क़रीब आकाश गंगा देवयानी है, वहाँ जाने में बीस लाख साल लगेंगे!”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जीव की उत्पत्ति हुई, वैसे ही चेतना यानी आत्मा शुद्ध नहीं बची। अगर सिर्फ़ शुद्द चेतना होती, तो हम सिर्फ़ शुद्ध आत्मा होते,”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“आत्मा को विद्युत के समान और शरीर को बल्ब की भाँति मानकर बात समझी जा सकती है। बल्ब भौतिक है, लेकिन विद्युत के बग़ैर वह प्रकाश नहीं कर सकता। उसी प्रकार जीव को आत्मा से चेतना प्राप्त होती है। जीव के साथ मिलकर ही शुद्ध चैतन्य आत्मा, जीवात्मा बन जाती है। जीवात्मा के साथ ही कारण शरीर और सूक्ष्म शरीर जुड़े होते हैं। यानी आत्मा एक ऐसा तत्व है, जो ऊर्जा देती है। उसी चेतना से दो तरह के शरीर सक्रिय होते हैं—एक सूक्ष्म शरीर और दूसरा स्थूल शरीर।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“वे किसी दूसरे ही लोक में होती होंगी। यह लोक अलग ज़रूर हैं, लेकिन इनका अर्थ पृथ्वी जैसे किसी अन्य ग्रह से नहीं, बल्कि चेतना के अलग आयाम से होता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जिस जगह जाकर आपका जीवंत मन ठहर जाए, समझ लीजिए कि परमात्मा निकट आ गया।”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
“विकास करें कि हमारी चेतना और परम चेतना एक हो जाये।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“देवता तुल्य ऐसी आत्माएँ बग़ैर शरीर धारण किए भी हमारे आसपास रहकर वही कार्य करती रहती हैं, जो उनका लक्ष्य होता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“नाड़ियों में दस श्रेष्ठ हैं। इनके नाम हैं—1. इड़ा, 2. पिंगला, 3. सुषुम्ना, 4. गांधारी, 5. हस्तिजिह्वा, 6. पूषा, 7. यशस्विनी, 8. अलंबुषा, 9. कुहू और 10. शंखिनी। इसमें इड़ा नाड़ी शरीर के बाएँ भाग में, पिंगला दाहिने भाग में, मध्य भाग में सुषुम्ना, बाईं आँख में गांधारी, दाहिनी आँख में हस्तिजिह्वा, दाहिने कान में पूषा, बाएँ कान में यशस्विनी, मुँह में अलंबुषा, जननांग में कुहू और गुदा में शंखिनी नाड़ी स्थित है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ प्राण मार्ग में स्थित हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण यही तीन नाड़ियाँ होती हैं।”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
“जब भी किसी नाड़ी इड़ा या पिंगला के चलने की शुरुआत होती है तो शुरू के 4 मिनट आकाश तत्त्व चलता है। फिर 8 मिनट वायु, 12 मिनट अग्नि, 16 मिनट जल और 20 मिनट पृथ्वी तत्त्व चलता है। इस तरह एक घंटा पूरा हो जाता है”
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
― Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein
“तीसरा मणिपूरक चक्र है, जो सूक्ष्म शरीर से जुड़ा होता है। इसका कार्य विचार और संदेह करना होता है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“पहली साँस आने से जन्म और आख़िरी साँस बाहर निकल जाने से मृत्यु होती है। जब हम साँस लेते हैं, तो हमारी साँस छोटे से अंतराल में ही भीतर जाकर तीनों शरीर और पंचकोष की यात्रा करके जीवात्मा के केंद्र में मौजूद शुद्ध चैतन्य आत्मा को छूकर वापस लौट आती है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“स्वरूप, स्व मतलब स्वयं और रूप माने दिखना। यानी स्वरूप का अर्थ है—हमारा वास्तविक रूप। हमारा वास्तविक रूप कुछ और नहीं, आनंद ही है। उसी को ‘सच्चिदानंद’ कहा जाता है। यानी सत्य, चित्त, आनंद।”
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
― Dhyan - Kitna Mushkil Kitna Aasaan
“स्थूल शरीर के जीवित रहते हुए भी हमारे सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के तार जीवात्मा जगत से जुड़े रहते हैं। यह हमारे भौतिक शरीर और जीवात्मा जगत के बीच यह बिल्कुल वैसे ही जुड़े रहते हैं, जैसे मोबाइल के साथ मोबाइल टॉवर से”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“जीवात्मा जगत की अन्य जीवात्माएँ भी सूक्ष्म शरीर के ज़रिए हमारे मन को प्रभावित करती रहती हैं।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
“महल बनाने से जितनी ख़ुशी नहीं मिलती, उससे हज़ार गुना दुःख उन महलों के खंडहर होने पर होता है। अगर दुःख से बचना है, तो उतनी ही इच्छा करिए, जो जीवन के लिए ज़रूरी है।”
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya
― Kahan Pahunche Aap?: Jeevatma Jagat Aur 7 Chakron Ki Yatra Ke Rahasya