The Doctor and the Saint Quotes

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The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate by Arundhati Roy
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The Doctor and the Saint Quotes Showing 1-30 of 41
“The question is, can poverty be simulated? Poverty, after all, is not just a question of having no money or no possessions. Poverty is about having no power.
The battle of the poor and the powerless is one of reclamation, not renunciation.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“Empathy sometimes achieves what scholarship cannot”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“While the Doctor was searching for a more lasting cure, the Saint journeyed across India distributing a placebo.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“Gandhi always said that he wanted to live like the poorest of the poor. The question is, can poverty be simulated? Poverty, after all, is not just a question of having no money or no possessions. Poverty is about having no power.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar-Gandhi Debate: Caste, Race and Annihilation of Caste
“History has been unkind to Ambedkar. First it contained him, and then it glorified him. It has made him India’s Leader of the Untouchables, the King of the Ghetto. It has hidden away his writings. It has stripped away the radical intellect and the searing insolence.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar-Gandhi Debate: Caste, Race and Annihilation of Caste
“Gandhi actually said everything and it's opposite.

To cherry pickers, he offers such a bewildering variety of cherries that you have to wonder if there was something the matter with the tree.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“In order to detach caste from the political economy, from conditions of enslavement in which most dalits lived and worked, in order to slide the questions of entitlement, land reforms and the redistribution of wealth, Hindu reformers cleverly narrowed the question of caste to the issue of untouchability. They framed it as an erroneous religious and cultural practice that needed to be reformed.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“शहरी अछूत—भंगी, चूहड़ा और मेहतर—सारे सफ़ाईकर्मी, बड़ी संख्या में एक साथ रहते थे और असल में एक राजनीतिक समूह बन जाते थे। इस डर से कि कहीं वे ईसाई धर्म न अपना लें, लाला मुल्कराज भल्ला, एक पंजाबी खत्री हिन्दू सुधारवादी, ने उन्हें 1910 में पुन: धर्मदीक्षा दी, और वे सामूहिक तौर पर बाल्मीकि कहलाने लगे। गांधी ने बाल्मीकियों को लपक लिया और उन्हें अस्पृश्यता अभियान का शो-विंडो बना दिया। उन पर गांधी ने अपने सद्भाव और दान-पुण्य के मिशनरी कृत्यों का प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने बाल्मीकियों को उपदेश दिया कि कैसे वे अपनी पुरखों द्वारा दी गई विरासत से प्रेम करें व उसे पकड़े रहें, और कभी भी अपने वंशानुगत व्यवसाय से प्राप्त ख़ुशियों से अधिक और अन्य किसी ख़ुशी की आकांक्षा न पालें। अपने पूरे जीवन में गांधी ने ‘पाख़ाना साफ़ करना एक धार्मिक कर्तव्य है’ विषय पर काफ़ी कुछ विस्तार से लिखा। इस बात से गांधी को कभी कोई मतलब नहीं रहा कि बाक़ी दुनिया में सब लोग, अपना मल ख़ुद साफ़ करते हैं, और इस पर उन्हें आपत्ति भी नहीं होती।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“एक कालजयी निबन्ध लिखा जिसका शीर्षक था “आदर्श भंगी” : ब्राह्मण का कर्तव्य है, आत्मा की स्वच्छता की देखभाल करना, भंगी का कर्तव्य है, समाज के शरीर की स्वच्छता की देख-रेख करना...और फिर भी हमारे शोक में डूबे भारतीय समाज ने भंगी के ऊपर त्याज्य चंडाल के रूप में ठप्पा लगा दिया, उसे समाजिक मापदंड के बिलकुल निचले तल्ले पर ला कर छोड़ दिया, उसे केवल ठोकर मारने और गाली देने के क़ाबिल समझा, एक पशु, जो सवर्ण लोगों की जूठन खा कर जीवित रहे और गोबर के ढेर पर निवास करे। यदि हमने भंगी की हैसियत को ब्राह्मण के समकक्ष उचित मान्यता दे दी होती, तो आज हमारे गाँव और उसके निवासी स्वच्छता और उत्तम व्यवस्था की उज्ज्वल तस्वीर होते। और मैं इसीलिए बेझिझक और बिना शक, दो टूक शब्दों में, यह कह सकता हूँ कि जब तक, ब्राह्मण और भंगी के बीच की असमान पहचान मिटाई नहीं जाएगी, हमारा समाज स्वास्थ्य, समृद्धि, शान्ति और खुशियों से हमेशा वंचित रहेगा।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“इससे घिनौना और नीच क्या हो सकता है कि सामाजिक बुराइयों को धर्म की ज़मीन पर न्यायोचित ठहराया जाए।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“द गोस्पेल ऑफ़ वेल्थ अर्थात दौलत का ईश्वरीय सिद्धान्त (1889) में लिखता है : तो फिर एक दौलतमन्द इनसान का कर्तव्य है : पहला, एक विनम्र, आडम्बररहित जीवन तथा फ़िज़ूलख़र्ची व दौलत के भोंडे प्रदर्शन से बचना; उन लोगों की जायज़ ज़रूरतों को पूरा करना जो उसके ऊपर आश्रित हैं, और यह सब करने के पश्चात शेष बचे हुए राजस्व को ट्रस्ट फंड अर्थात न्यास निधि मानकर चलना, इस न्यास निधि को उसे समाज के लाभ के लिए प्रशासित करना है—इस प्रकार दौलतमन्द आदमी एक कार्यवाहक भर है, और एक ट्रस्टी है, अपने ग़रीब भाइयों का अमानतदार, उनकी सेवा के लिए वह अपनी बेहतर प्रज्ञा, अनुभव और प्रशासनिक क्षमताओं का उपयोग करता है, उनके लिए उससे बेहतर करता है जो वे ख़ुद अपने लिए करेंगे या कर सकते हैं।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“अपने राजनीतिक जीवन के किसी भी मोड़ पर उन्होंने किसी भी भारतीय उद्योगपति या अभिजात वर्ग के जागीरदार की, गम्भीरता से कभी कोई आलोचना या विरोध नहीं किया। यह धनवानों, उद्योगपतियों के लिए गांधी के वैसे ही ट्रस्टीशिप अर्थात अमानतदारी के सिद्धान्त का हिस्सा था जिसे आज कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कहा जाता है।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“The official nomenclature of prejudice is a maze
that can make everything read like a bigoted bureaucrat’s file notings.”
Arundhati Roy, The Doctor and the Saint: The Ambedkar - Gandhi Debate
“बिड़ला ने मार्गरेट बौर्क-वाइट को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “स्पष्ट बोलूँ तो हम मन्दिरों का निर्माण करते हैं, लेकिन मन्दिरों में विश्वास नहीं करते। हम मन्दिरों का निर्माण एकक़िस्म की धार्मिक मानसिकता फैलाने के लिए करते हैं।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“आख़िर वे एक राजनेता थे, जो आंबेडकर नहीं थे। और यदि आंबेडकर राजनेता थे भी, तो ऐसी कुटिल चालें चलनी उन्हें आती ही कहाँ थीं! गांधी को मालूम था कि कैसे दान-परोपकार के आडम्बर से, इन घटनाओं को भव्य बनाया जाए, नाटकीय बनाया जाए और चमकती-दमकती रंग-बिरंगी आतिशबाज़ी का तमाशा दिखाया जाए। तो, जहाँ डॉक्टर बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए एक स्थायी इलाज ढूँढ़ रहा था, वहीं संतजी मीठी गोलियाँ बाँटते, पूरे देश-भर में घूम रहे थे।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“गोलमेज़ कॉन्फ्रेंस के मौक़े पर गांधी ने आंबेडकर को अछूतों का प्रतिनिधि मानने से इनकार कर दिया था, लेकिन पूना पैक्ट के अवसर पर उन्होंने पैंतरा बदला और आंबेडकर को उनका प्रतिनिधि मानकर पैक्ट पर हस्ताक्षर कराने के लिए तुरन्त राज़ी हो गए।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“वे दशकों से, नर्मदा घाटी में बड़े बाँधों के ख़िलाफ़ चल रहे संघर्षों की रीढ़ की हड्डी हैं। भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) की पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी के वे पैदल सैनिक हैं जो उन लाखों अर्ध-सैनिक बलों से लड़ रहे हैं जिन्हें मध्य भारत के जंगलों में सरकार ने तैनात किया है। 1945”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“हो, उराँव, कोल, संथाल, मुंडा और गोंड जैसी जनजातियाँ की ‘सभ्य’ या ‘आत्मसात्’ होने की कोई इच्छा ही नहीं थी। समय-समय पर उन्होंने अंग्रेज़ों के अलावा, बड़े ज़मींदारों और बनिया साहूकारों के विरुद्ध भी बग़ावत की थी और अपनी ज़मीन, संस्कृति और विरासत बचाने के लिए भीषण युद्ध लड़े थे। इन विद्रोहों में हज़ारों मारे गए, लेकिन बाक़ी के भारत से विपरीत, उन्हें कोई भी पराजित नहीं कर पाया। वे आज भी पराजित नहीं हुए हैं। भारत में चल रहे विभिन्न संघर्षों के इन्द्रधनुषी रंगों में, वे एक सशस्त्र-लड़ाका रंग का संघर्ष कर रहे हैं। वे भारतीय राज्य के ख़िलाफ़ गृह-युद्ध से कम नहीं लड़ रहे, जिसने उनकी मातृभूमि को, बड़ी कम्पनियों और खनन निगमों के हवाले कर दिया है।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“सहमति बनी कि कोई अछूत प्रतिनिधि, जिसे बहुसंख्यक सवर्ण हिन्दुओं ने चुना हो, वास्तव में चतुर्वर्ण के ख़िलाफ़ कार्य नहीं कर सकता।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“प्रतिनिधित्व का अधिकार और सरकारी ओहदे पाने का अधिकार, नागरिकता के दो अति महत्त्वपूर्ण अधिकार हैं,”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“तिलक पर राष्ट्रद्रोह सिद्ध हो गया और उन्हें निर्वासित करके बर्मा के मांडले में भेज दिया गया। 1910 में विनायक दामोदर सावरकर को, जो तिलक के एक युवा अनुयायी थे, मोरले-मिन्टो सुधारों के ख़िलाफ़ सशस्त्र विद्रोह संगठित करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। (जेल में सावरकर राजनीतिक हिन्दूवाद की ओर उन्मुख हो गया और 1923 में उसने एक निबन्ध लिखा Hindutva : Who is a Hindu? अर्थात हिन्दुत्व : हिन्दू कौन है?) जब आंबेडकर स्नातक हुए तो वे उन तीन छात्रों में से एक थे, जिन्हें सयाजीराव गायकवाड़ ने विदेश में जाकर अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति दी।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“बॉम्बे प्रेसिडेंसी उन दिनों राष्ट्रवादी राजनीति का एक बड़ा अड्डा था। दो प्रसिद्ध कांग्रेसजन, ‘गरम दल’ के बाल गंगाधर तिलक और गांधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले, जो ‘नरम दल’ से थे, दोनों ही कोंकण के चितपावन ब्राह्मण थे। (तिलक का प्रसिद्ध कथन था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।”) कोंकण तट जोतिबा फुले का भी गृहस्थान था, जो आंबेडकर के राजनीतिक पूर्वज थे और स्वयं को जोतिबा माली कहते थे। फुले सतारा शहर से थे—जहाँ आंबेडकर ने अपना शुरू का बचपन बिताया। महार अछूत माने जाते थे और हालाँकि वे भूमिहीन खेतिहर मज़दूर थे, फिर भी अन्य अछूतों की तुलना में बेहतर स्थिति में थे।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“न्यूयॉर्क में कम्युनिटी चर्च के युनिटेरियन मिनिस्टर जॉन हेंस होम्स ने एक प्रवचन में प्रश्न किया “दुनिया में सबसे महान व्यक्ति कौन है?” और फिर अपने धार्मिक जनसमूह को गांधी का परिचय दिया, “यातना-पीड़ा भोगते हुए बीसवीं सदी के ईसा” के रूप में।173 बरसों बाद, 1958 में, मार्टिन लूथर किंग, जूनियर ने भी कुछ ऐसा ही कहा, “ईसा ने हमें जोश और प्रेरणा से सुसज्जित किया,”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“गांधी के महात्मापन की मूसला-जड़ ने एक ऐसे उपजाऊ झरने तक अपना रास्ता ढूँढ़ लिया था जहाँ सामन्तवाद ने भविष्य से आलिंगन किया; जहाँ चमत्कार का आधुनिकता से मिलन हुआ। वहीं से इस महात्मापन का सम्पोषण हुआ और वह फला-फूला।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“बारीसाल की वेश्याएँ, कोलकाता के मारवाड़ी व्यापारी सेठ, उड़िया क़ुली, रेलवे के हड़ताली कर्मचारी, खादी की चादर उपहार में देने को आतुर संथाल, सभी उनका ध्यान खींचने के प्रयास में...जहाँ-जहाँ भी वे जाते—उन्हें प्यार का ‘अत्याचार’ झेलना ही पड़ता था।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“अपने राजनीतिक जीवन के किसी भी मोड़ पर उन्होंने किसी भी भारतीय उद्योगपति या अभिजात वर्ग के जागीरदार की, गम्भीरता से कभी कोई आलोचना या विरोध नहीं किया। यह धनवानों, उद्योगपतियों के लिए गांधी के वैसे ही ट्रस्टीशिप अर्थात अमानतदारी के सिद्धान्त का हिस्सा था”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“गांधी ने चम्पारण की यात्रा की, और वहीं एक आश्रम स्थापित करके किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन देना शुरू कर दिया। वहाँ के स्थानीय लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर यह है कौन?”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“अन्याय के ख़िलाफ़ लोगों को जगाना और अपने नियंत्रण में रखना, इसके साथ-साथ उन्हें अन्याय की अपनी परिभाषा पर राज़ी करना, इन सबके लिए गांधी को कुछ जटिल युक्तियों का सहारा लेना पड़ा।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“जी.डी. बिड़ला एक समाचार-पत्र हिन्दुस्तान टाइम्स का भी स्वामी था। इसी समाचार-पत्र में आगे चलकर गांधी के पुत्र देवदास ने प्रबन्ध सम्पादक के रूप में कार्य किया। तो महात्मा, जो घर की बुनी खादी और लकड़ी के चर्खे की बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे, एक मिल-स्वामी द्वारा प्रायोजित थे।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
“जी.डी. बिड़ला एक धनवान आदमी था जो थोड़ा चिढ़ा बैठा था, क्योंकि उसे कई बार ब्रिटिशों द्वारा नस्लवादी व्यवहार झेलना पड़ा था। उसकी औपनिवेशिक सरकार के साथ कई झड़पें भी हो चुकी थीं। बिड़ला, गांधी का मुख्य संरक्षक और प्रायोजक बन गया। हर महीने, वह गांधी को उनकी राजनीतिक गतिविधियों, आश्रम और कांग्रेस पार्टी के ख़र्चे चलाने के लिए दिल खोलकर आवश्यक धनराशि दिया करता था। इनके अलावा और भी प्रायोजक थे, लेकिन जी.डी. बिड़ला के साथ गांधी की व्यवस्था जीवन के आख़िरी दिन तक चली।”
Arundhati Roy, Ek Tha Doctor Ek Tha Sant

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