लाक्षागृह (कृष्ण की आत्मकथा -IV)
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Kindle Notes & Highlights
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बिना गुरु के आशीर्वाद से विद्या कभी फलवती नहीं होती।’’
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मनुष्य जब किसी और का दास होता है तो वह मुक्त होने की चेष्टा भी करता है और मुक्त हो भी सकता है। पर वह जब स्वयं अपना ही दास हो तब प्रथम वह मुक्त होना नहीं चाहता और फिर चाहकर भी वह मुक्त हो नहीं पाता।
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केवल मुझपर विश्वास रखते हुए उस भविष्य की प्रतीक्षा करो, जो अपने प्रकोष्ठ में तुम्हारे जीवन का विराट् सत्य छिपाए है।’’
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