पोस्ट न किए गए पत्र  [post na kie gae patr]
Rate it:
57%
Flag icon
दलीलें या स्पष्टीकरण किसी कमी की
57%
Flag icon
भरपाई कभी नहीं कर सकते।
57%
Flag icon
उत्कृष्टता के अभाव के लिए ख़ुद को सांत्वना और तसल्ली दे देना, अपने जीवन में आपको बहुत नुक़सान पहुँचाएगा।
57%
Flag icon
‘दोष रहित’ होना संभव है। उत्कृष्टता बनाए रखना संभव है। और इसका शुभारंभ ऐसा स्वभाव बना लेने से होता है, जिसमें आप सर्वोत्तम से कम किसी भी चीज़ से समझौता करने से साफ़ इंकार कर देते हैं। जीवन के साथ यह विचित्र बात है कि यदि सर्वोत्तम से कम किसी भी चीज़ से आप समझौता करने से इंकार कर देते हैं तो फिर आप उस सर्वोत्तम को हासिल कर ही लेते हैं।
58%
Flag icon
बात केवल इतनी है कि संबंधों का स्वरूप बदल गया है। बीते वर्षों में संबंधों का आधार भावना हुआ करता था, आज संबंधों का आधार सूचना है।
58%
Flag icon
संबंधों का आधार भावना से हटकर सूचना पर आ गया है।
59%
Flag icon
विश्वास संबंधों का आधार होता है, लेकिन अब विश्वास बस यूँ ही नहीं कर लिया जाता। सूचना विश्वास का आधार बन गई है, और इसीलिए संबंधों का भी।
59%
Flag icon
इस अंतराल से संबंध जोड़े तो आप
59%
Flag icon
आश्रय बन जाएँगे अथवा ख़ुद आश्रित हो जाएँगे
60%
Flag icon
यूगोस्लाविया की एग्नेस गॅान्जा बोयाजू तो कलकत्ता के एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने के लिए भारत आई थी - और अनचाहे ही संसार के सामने मदर टेरेसा का करुणावतार अवतरित हो गया था। ‘द नेशनल हेराल्ड’ के एक संपादकीय सदस्य बालकृष्ण मेनन, जिनका हमेशा से यह विश्वास था कि हर साधु एक बड़ा फ़रेबी होता है, स्वामी शिवानंद के पास एक आर्टिकल लिखने के संबंध में पहुँचे और वे अनचाहे ही संसार को स्वामी चिन्मयानंद के रूप में प्राप्त हुए। आप कुछ भी कहें, क्रिस्टोफ़र कोलंबस के लिए अमेरिका था तो एक अनचाहा परिणाम ही।
61%
Flag icon
और इस तरह हम अनजाने ही बच्चे में इस विश्वास की प्रोग्रामिंग कर देते हैं कि ख़ुशी-ख़ुशी रहने की तुलना में रोना अधिक ध्यान खींच सकता है।
61%
Flag icon
गहरी घृणा और उथले प्रेम के बीच आपका अवचेतन हमेशा घृणा को ही चुनेगा। यही कारण है कि ठेस आघात व घृणा तो वर्षों तक ताज़े बने रहते हैं, लेकिन प्रेम को हर रोज़ किसी नए ढंग से अभिव्यक्त करना पड़ता है।
61%
Flag icon
अपनी घृणा को जीवित रखने में तो आप समर्थ हैं, लेकिन अपने प्रेम को सँभालकर रखने के लिए आपको बाहरी संबल की ज़रूरत पड़ती है।
62%
Flag icon
समाधान सरल है। नकारात्मक बात को दो वाक्यों में बोलें, और सकारात्मक को कम से कम पाँच में।
62%
Flag icon
हम झूठ इसलिए बोलते हैं क्योकि यह हमें एक अप्रिय स्थिति में पहुँचने से पलायन कर जाने में सहायक होता है।
62%
Flag icon
आप यदि शिखर पर पहुँचना चाहते हैं तो आपको जीवन में हर चीज़ का ‘सामना करने की प्रवृत्ति’ की ज़रूरत होगी।
64%
Flag icon
‘बेटा, क्या तुमने आज कोई अच्छा प्रश्न पूछा?’ इस अंतर ने - सही प्रश्न पूछने ने, मुझे वैज्ञानिक बना दिया।”
65%
Flag icon
संसार आपके आचरण के उदाहरण पर चलेगा, न कि आपकी सलाह या उपदेश पर।
66%
Flag icon
हममें जीवन निर्माण, मानवीयता निर्माण तथा चरित्र निर्माण करने वाले विचार होने चाहिए।
66%
Flag icon
हमें उस शिक्षा की ज़रूरत है, जिसके द्वारा चरित्र का निर्माण हो, मनोबल में वृद्धि हो, प्रज्ञा का विस्तार हो और जिसके बल पर व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।”
66%
Flag icon
संबंध ही जीवन का असली ताना-बाना हैं। संवाद ही संबंधों की जीवन रेखा होता है। सफलता केवल नेतृत्व से जुड़ी होती है - या तो आप नेतृत्व कर रहे होते हैं या फिर किसी के नेतृत्व का अनुसरण कर रहे होते हैं। जहाँ आप अपना समय लगाते हैं, आपका भविष्य भी वहीं से बनता
67%
Flag icon
का कौशल ही जीवन का कौशल है।
67%
Flag icon
आप या तो निर्भर करने योग्य होते हैं या फिर किसी पर निर्भर होने योग्य और यह आपकी उस छवि पर निर्भर करता है जो आपने ख़ुद अपने लिए बना ली है।
67%
Flag icon
कटु सत्य यह है कि जीवन की इन अनिवार्यताओं में से कोई भी हमारे स्कूली या किताबी ज्ञान ...
This highlight has been truncated due to consecutive passage length restrictions.
68%
Flag icon
शिष्य ने पूछा, “गुरुजी, ज्ञान-प्राप्ति से पहले भी आप केवल कुँए से जल खींचते थे और लकड़ियाँ काटते थे, और ज्ञान-प्राप्ति के बाद भी आप वही कर रहे हैं। आपके कार्य में तो मुझे कोई अंतर दिखाई नहीं दे रहा है।” गुरु का उत्तर था, “हाँ, मेरे कार्य में कोई अंतर नहीं है, लेकिन जिस गुणवत्ता से मैं यह कार्य कर रहा हूँ, उसमें परिवर्तन आ गया है।”
68%
Flag icon
कन्फ़्यूशियस ने ठीक ही कहा था, “वह रोज़गार चुनें,
68%
Flag icon
जिसमें आपकी रुचि है, तो फिर आपको जीवन में एक भी दिन काम...
This highlight has been truncated due to consecutive passage length restrictions.
69%
Flag icon
चोर भी चाकू का प्रयोग करता है और सर्जन भी चाकू का प्रयोग करता है।
69%
Flag icon
किसी कर्म में कोई पाप नहीं होता, पाप तो हमेशा उस कर्म के पीछे मौजूद आशय में होता है।
69%
Flag icon
मुझे इस बात के प्रति सजग व सचेत रहने की ज़रूरत है कि मेरे आस-पास का संसार तो मुझे मेरे कार्यों से ही जानना जारी रखेगा।
69%
Flag icon
भगवान हमें भले ही हमारे इरादों के आधार पर पुरस्कृत या दंडित करे, लेकिन इंसान तो हमें हमारे कार्यों के आधार पर ही पुरस्कृत या दंडित करेगा।
71%
Flag icon
लोगों की संगत में रहना दोधारी तलवार जैसा होता है…
72%
Flag icon
जो बुद्धिमान लोगों की संगत में रहता है, वह बुद्धिमान बनेगा, लेकिन मूर्खों की संगत में रहने वाला हानि ही झेलेगा। - प्रोवर्ब
75%
Flag icon
और कोई बुराई भी तब इसलिए अच्छाई लगने लगती है कि वह लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही होती है। विडंबना तो तब होती है जब कोई अच्छाई भी, बस इसलिए अच्छाई नहीं रह जाती क्योंकि वह लोगों का ध्यान आकर्षित करने में विफल रहती है। दूसरों का ध्यान आकर्षित करना, दूसरों की नज़र में आना - यह अहं की ही ख़ुराक़ है।
76%
Flag icon
अपने अहं को संतुष्ट करने के चक्कर में आप कितने मूल्यवान संबंध खो चुके
76%
Flag icon
अपनी चोंच में माँस का टुकड़ा ले जा रहे एक कौवे ने पाया कि कई चिड़ियाँ उसके पीछे पड़ गई हैं। उसने वह माँस का टुकड़ा छोड़ दिया। तब सारी चिड़ियाँ कौवे को छोड़कर उस टुकड़े के पीछे झपट पड़ीं। तब आकाश में अकेले उड़ते कौवे ने कहा - “उस माँस के टुकड़े को छोड़कर मैंने आकाश की आज़ादी पा ली।”
76%
Flag icon
समस्या यह नहीं है कि आप अपेक्षा कर रहे हैं, बल्कि यह है कि इस अपेक्षा का तुलना वाला पैमाना आप हमेशा अपने साथ लेकर चल रहे हैं।
77%
Flag icon
दूसरों से असंतुष्ट होना जहाँ हमें नाख़ुश बनाता है, वहीं अपने आपसे असंतुष्ट रहना हमें अपना विकास करने में सहायक होता है।
79%
Flag icon
आपका मन-मस्तिष्क आपकी शांति का आसन होना चाहिए, न कि किसी ऐसी चीज़ या व्यक्ति का आसन, जो आपको अशांत करता रहे।
79%
Flag icon
कुछ आपकी शांति के लिए हो। जाने देना, विदा कर देना सीखें - शारीरिक रूप से नहीं बल्कि भावनात्मक रूप
79%
Flag icon
आपका मन या तो महकते फूलों की टोकरी बन सकता है या फिर तेज़ाब रखने का बर्तन।
80%
Flag icon
लेकिन यदि आप अपने आघात को पाले रखते हैं तो आप ख़ुद को वैसे ही नष्ट कर रहे होते हैं, जैसे तेज़ाब उस पात्र को नष्ट कर देता है, जो उसे सँभाले होता है।
80%
Flag icon
लोग अपने ही अज्ञान व अपरिपक्वता के चलते आपको ठेस पहुँचाते हैं।
80%
Flag icon
जब आप किसी से घृणा करते हैं, तब उसका तो कुछ नहीं बिगड़ता, लेकिन निश्चय ही, आपकी रातें करवटें बदलते हुए बीत जाती हैं, और यदि इसकी अति हो जाए तो आपको एसिडिटी और अल्सर जैसी समस्याएँ होने लगती
80%
Flag icon
चीज़ ठेस लगने जितनी निरर्थक हो, आप उसके साथ क्यों जिएँ?
80%
Flag icon
भौतिक रूप से तो लोगों या घटनाओं द्वारा आपको
80%
Flag icon
पहुँचाई गई ठेस एक बार ही घटित होती है लेकिन आप उस घटना की अपने दिमाग़ में फ़िल्म की तरह सैकड़ों, हजारों, बल्कि असंख्य बार घुमा-घुमाकर देखते रहते हैं। जितनी बार आप ऐसा करते हैं, वह चोट, वह ठेस उतनी ही गहराती जाती है। अपनी ही शांति की तुलना में ...
This highlight has been truncated due to consecutive passage length restrictions.
80%
Flag icon
एक चूहा बिल्ली के डर से हमेशा त्रस्त और दुखी रहता था। एक संत को उस पर दया
80%
Flag icon
आ गई और उन्होंने उसे बिल्ली बना दिया। अब वह कुत्ते से डरने लगा। इसलिए उस संत ने उसे कुत्ता बना दिया। अब वह आदमी से डरने लगा। तो संत ने उसे आदमी बना दिया। लेकिन आदमी बनने के बाद वह भगवान से डरने लगा। इस पर उस संत ने यह कहते हुए उसे वापस चूहा बना दिया- “तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर दूँ, सब बेकार है, क्योंकि तुम्हारा दिल तो चूहे वाला ही है।”
SHAILENDRA TRIPATHI
Story mouse
81%
Flag icon
यह संसार ‘एक-गुणी अचरजों’ से भरा है। आप हरफ़नमौला व्यक्तित्व बनें। आप पूर्णतावादी नेतृत्व करें। किसी के प्रति आत्मसमर्पण किए बिना, उसका आधिपत्य स्वीकार किए बिना, उसके प्रति श्रद्धा व आदर का भाव रखें।