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Kindle Notes & Highlights
किसी चीज़ के पीछे छिपी भावना को पहचान लेने से वह चीज़ उपहार बन जाती है। और उस भावना को न पहचानने से उपहार भी
केवल एक चीज़ बनकर रह जाता है।
कोई चीज़ उपहार नहीं होती, बल्कि उपहार तो एक दृष्टिकोण है - उस चीज़ के पीछे छिपी भावना पर ध्यान देने का दृष्टिकोण।
आज आपके शेष जीवन का पहला दिन है।
जब आप सिक्के का एक पहलू चुनते हैं तो उसका दूसरा पहलू भी आप स्वत: ही चुन चुके होते हैं।
आख़िर इतिहास पढ़ने वालों और इतिहास रचने वालों में फ़र्क़ तो होता ही है।
संबंध तो बीज की तरह होते हैं, उन्हें पोषित और विकसित करना पड़ता है। अपेक्षाएँ खर-पतवार की तरह होती हैं। वे अपने आप पनपती रहती हैं। जब आप किसी संबंध को बनाए रखने के लिए अपनी ओर से बहुत कुछ देते हैं, तो अपेक्षाओं को नियंत्रित रखा जा सकता है। लेकिन जब किसी संबंध को उपेक्षित छोड़ दिया जाता है और उसमें असावधानी व लापरवाही आ जाती है, तो ये अपेक्षाएँ उस संबंध की जड़ें हिला देती हैं। जिन संबंधों में ठहराव आ जाता है, उनमें पनपती अपेक्षाएँ ही हमारी समस्याएँ बन जाती हैं।
कुल मिलाकर देखें तो लगता है कि हमारे खिलौने तो बड़े होते चले गए, लेकिन हम ख़ुद बड़े नहीं हुए।
जिन चीज़ों के लिए हम रो पड़े, उनका स्वरूप तो बदलता गया, लेकिन हमारा रोने का स्वभाव नहीं बदला, बस अब यह बचकाना नहीं है। अब
यदि सही ढंग से चला जाए तो प्यादा भी वजीर बन सकता है।
आशुलिपि (shorthand) के आविष्कारक सर आइज़ैक पिटमैन की खोज थी कि हमारी दो तिहाई बातचीत को केवल 700 प्रचलित शब्द ही पूरा कर देते हैं। उन्होंने पाया कि हमारी 80 प्रतिशत सामान्य बातचीत में यही शब्द काम आते हैं।
अगर आपके बिक्री विभाग में 20 लोग हैं तो उनमें चार बहुत बढ़िया होंगे, छह साधारण होंगे और दस तो बस यूँ ही टहल रहे होंगे। बिक्री प्रबंधक ग़लती यह करते हैं कि वे उन अनुत्पादक और निष्क्रिय लोगों के साथ इस कोशिश में लगे रहते हैं कि उन्हें उत्पादक बनाया जाए, लेकिन इस वजह से सबसे बढ़िया काम करने वाले उपेक्षित रह जाते हैं।
व्यर्थ की मात्रा हर जगह त्रासद रूप से अत्यधिक है।
आप एक अभिभावक के रूप में हमेशा प्यार पाएँगे, लेकिन आप हमेशा अभिभावक ही न बने रहें। एक दौर के बाद कोई भी आपके ‘मैं तुमसे अधिक अनुभवी’ के रूप को स्वीकार नहीं करेगा।
एक व्यक्ति चूँकि आपके साथ कई साल से काम कर रहा है, इसलिए अब कुछ निर्णय वह ख़ुद लेना चाहता है और उन निर्णयों को आपके द्वारा न बदलना या नकारा न जाना उसकी नज़र में उसका मान रखा जाना है। हर आयु और जीवन की हर अवस्था अपने साथ मान-सम्मान के लिए एक भावना रखती है और आपको उस भावना का आदर करना चाहिए।
कभी-कभी लोगों का मार्गदर्शन करने से - विशेष रूप से बिना उनके माँगे ऐसा करने से - उन्हें लगता है कि उनके सम्मान को ठेस लगी है। सम्मान की ज़रूरत मार्गदर्शन की ज़रूरत से बड़ी
दूसरों को सम्मानित होने का एहसास कराएँ - यह आपका काम है। वे आपसे मार्गदर्शन माँगें - यह उनका काम है।
कोई काम जिस समय किया जाना चाहिए था, और जिस समय वह किया गया, उसके बीच का समय अंतराल इस तनाव का कारण बन जाता है।
टालते रहना पिछड़ने वालों की पहचान है।
इंतज़ार करने’ और ‘अधीर हो उठने’ में बहुत ही बारीक़ अंतर है, और इसी में ‘शांतिपूर्ण प्रगति’ और ‘तनावपूर्ण सफलता’ का अंतर समाया हुआ है।
आध्यात्मिक उत्थान के लिए ज़रूरी गुणों में से एक है अपने हिस्से का काम पूरा करना और फिर बस इंतज़ार करना…।
जीवन के अनुभवों का एकमात्र प्रयोजन है, हमें वह परिपक्वता प्रदान करना…
जिस व्यक्ति की चेतनता उसे हर अनुभव से सीखना सिखा देती है, वह तो ऐसे जीता है जैसे वह किसी ट्रैम्पोलीन (सर्कस एवं खेलों में कलाबाज़ी में प्रयोग हाने वाला उछाल-पट) पर खड़ा हो
अपनी शब्दावली में से पति और पत्नी शब्दों को निकाल दें और जीवनसाथी बनने का संकल्प लें।
वैवाहिक संबंध में गरिमा तभी होती है, जब आप अपने जीवनसाथी से अपने समूचे व्यक्तित्व के साथ जुड़े हों, न कि केवल शरीर से।
विडंबना यह है कि प्रबंधन की जितनी ऊर्जा, समय और मेहनत इन चंद अड़ंगा लगाने वालों को सँभालने में व्यर्थ चली जाती है, उतनी तो बड़ी संख्या वाले सक्षम और समर्पित लोगों के मार्गदर्शन में भी नहीं लगती।
ऊर्जा, समय और मेहनत को इन उत्पादक लोगों पर लगाया
एक सड़ा हुआ टमाटर बाक़ी सभी टमाटरों को भी सड़ा देता है। क्या आपने ध्यान नहीं दिया है कि एक निकम्मा आदमी अपने आस-पास वाले अन्य निकम्मों की एक टोली बना लेता
कोई भी संस्थान जो निकम्मों से हमदर्दी रखता है उसे जल्द ही दूसरों की हमदर्दी की ज़रूरत पड़ जाती है।
आपकी तलाश केवल ग्राहक के लिए न होकर अच्छे ग्राहक के लिए होनी चाहिए।
हमारा व्यवहार किसी बाहरी प्रभाव के भड़कावे में आया हुआ न हो, बल्कि एक गहरे मूल्य-आधारित चयन से उत्पन्न हुआ हो।
आप सदैव अपने चरित्र को जिएँ
दूसरों की सीमा के कारण हम ख़ुद को सीमित न होने दें।
संसार में सिर्फ़ बुराई ही नहीं है, लेकिन बात यह है कि यहाँ सिर्फ़ बुराई ही ख़बर बनती
धूम्रपान के लिए, शराब के लिए, तंबाकू चबाने के लिए और अन्य अनेक नुक़सानदायक आदतों व चीज़ों के लिए ख़ूब विज्ञापन होते रहते हैं, लेकिन अच्छी आदतों व चीज़ों के लिए इस संसार के मन-मस्तिष्क को स्वच्छता प्रदान करने के लिए क्या उपलब्ध है?
कर चोरों का नाम बड़े-बड़े अख़बारों में प्रमुखता से दिया जाता है, इसके बजाय, कर अदा करने वालों की प्रशंसा पहले पृष्ठ पर क्यों नहीं दी जाती? हत्यारों की तस्वीरें ताज़ा ख़बर के साथ दिखाई जाती हैं… इसके बजाय, दूसरों का जीवन बचाने वालों की तस्वीरें क्यों नहीं छापी जातीं? क्यों नहीं किसी एक सैनिक की शौर्य गाथा प्रतिदिन दिखाई या पढ़ाई जाती?
आपके चारों ओर के साधारण लोग
जो असाधारण काम कर रहे हैं, उनके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक चर्चा करें।
केवल मूक प्रशंसक ही न बने रहें,
‘आप क्या चाहते हैं’ बनाम ‘आप क्या पाते हैं’
‘आप क्या देना चाहते हैं’ बनाम ‘आपका ग्राहक क्या लेना चाहता है’
जो काम एक टूथपिक कर सकती है, वह काम बुलडोज़र नहीं कर सकता।
सूरजमुखी सुंदर होता है लेकिन गुलाब के बगीचे में तो वह खर-पतवार ही माना जाएगा।
“क्या यह व्यक्ति मेरी संस्था या संगठन में प्रचलित संस्कृति और परिवेश के लिए उपयुक्त है?”
आप स्वादिष्ट भोजन के पारखी और क़द्रदान हों, लेकिन आपका विवाह एक ऐसी महिला से हो जाए जो खाने का ज़िक्र आते ही पिज़्ज़ा हट का मेन्यू उठा लेती हो तो?
दादी माँ के नुस्ख़ों का कोई जवाब नहीं है, लेकिन जब वे बीमार पड़ती हैं, तो हम उन्हें लेकर डॉक्टर के पास भागते हैं।
बेहतर और बेहतरीन के बीच के फ़र्क़ के पीछे आमतौर पर प्रशिक्षण की गुणवत्ता का हाथ होता है।
आप जिस सच्चाई से भागते रहेंगे, वह भविष्य में आपके पीछे पड़ी रहेगी और तब आप सोचेंगे कि “काश मैंने ऐसा कर लिया होता… काश मैंने वैसा कर लिया होता… काश मैं कर सकता…।”