Feedback 'Jo Lare Deen Ke Het' - 2

मैंने अपने पिछले वृतांत में आपको ‘जो लरे दीन
के हेत’ के बारे में पाठकों की राय से अवगत कराया था । उस लेख में एक खास तारीख तक
की चिट्ठियों और मेल का समावेश था । अब पेशे खिदमत है उपन्यास के बारे में कुछ और
पाठकों की राय:   



दिल्ली के विशी सिन्हा की अमूल्य राय उन्हीं के
शब्दों में उद्धृत है:



‘जो लरे दीन के हेत’
उन किताबों में से है जो पहले पन्ने से ही अपने तिलिस्म में बांध लेती है । शुरू
से ही बुलेट ट्रेन जैसी रफ्तार, प्रथम भाग में – दिल्ली वाले हिस्से में – कहानी
में पूरी कसावट, आगे भी बेहद ते...

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Published on November 03, 2014 01:42
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message 1: by Deependra (new)

Deependra Ahhh read all vimal almost all Sunil and now hope the next Vimal coming soon. PS written after reading... जो लरे दीन
के हेत’...


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