हर तरफ धुआं फैला है मैं उसे आसमान समझ बैठा जिंदगी को खतम कर देती है मौत मैं उसे निरवाण समझ बैठा पंछी उड़ते हैं आसमान में शिकारियों से छुपते फिरते अनन की तलाश में मैं उसे आजादी समझ बैठा कहते हैं अनुशासन रहेगा अगर कोई ऊपर जाती का और कोई नीची जाती का होगा मैं उसे समाज समझ बैठा भूखे रहोगे तो पुणय मिलेगा खाओगे तो मिलेगा पाप इन विचारों से मरता मारता मनुषय मैं उसे
Published on May 21, 2018 05:52