A Search in Secret India Quotes

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A Search in Secret India A Search in Secret India by Paul Brunton
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A Search in Secret India Quotes Showing 1-30 of 77
“Pursue the enquiry ‘Who am I?’ relentlessly. Analyse your entire personality. Try to find out where the I-thought begins. Go on with your meditations. Keep turning your attention within. One day the wheel of thought will slow down and an intuition will mysteriously arise. Follow that intuition, let your thinking stop, and it will eventually lead you to the goal.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“जिस तरह फूल की पत्तियों से सुगंध निकलती है, उसी तरह क्या आध्यात्मिक शांति की यह सुगंध इस महर्षि के भीतर से निकल रही है?”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“महर्षि, इस मार्ग पर ढेर-सी कठिनाइयाँ है। मैं अपनी कमज़ोरियों को अच्छी तरह जानता हूँ।’ ‘ऐसा सोचना, अपने मार्ग में बाधा उत्पन्न करने का सबसे बढ़िया तरीक़ा है,’ वह शांत भाव से उत्तर देते हैं। ‘असफलता के भय के बोझ से मुक्त होना बहुत आवश्यक है!”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“वह अपने ही भीतर किसी बात पर विचार कर रहे हैं। मुझे पहले इस बात पर संदेह होता है कि उन्होंने मेरी बात सुनी भी या नहीं, परंतु वहाँ मैं उनके मौन को तोड़ने का बिलकुल इच्छुक नहीं हूँ। मेरे तार्किक मस्तिष्क से कहीं बड़ी एक शक्ति है, जो धीरे-धीरे मुझ पर हावी हो रही है। इस अदृश्य शक्ति से मुझे यह बोध हो रहा है कि मेरे विचार, मेरे प्रश्नोत्तर किसी अनंत खेल का हिस्सा हैं। विचारों के उस खेल की कोई सीमा नहीं है। मेरे अपने भीतर अनिश्चितता का एक कुआँ है और मुझे उसी से सत्य का जल प्राप्त होगा। शायद यही अच्छा होगा कि मैं प्रश्न करना बंद कर दूँ और अपने आध्यात्मिक स्वभाव की अनंत संभावनाओं को समझने का प्रयत्न करूँ। मैं शांत रहकर प्रतीक्षा करना बेहतर समझता हूँ।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“आध्यात्मिक पुनर्जन्म की प्रसव पीड़ा भी मनुष्य के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण घटना है, जिसे वह भूल नहीं सकता। वह व्यक्ति को स्थाई रूप से बदल देती है। कोई व्यक्ति जब उस गहन अवस्था में प्रवेश करता है तो दिमाग़ के भीतर एक तरह का ख़ालीपन बन जाता है। उस ख़ाली स्थान को ईश्वर या - चूँकि आप इस शब्द को नहीं समझते - कहें, आत्मा या कोई अन्य सर्वोच्च शक्ति भर देती है और तब व्यक्ति परम आनंद से भर जाता है। उसके मन में संपूर्ण सृष्टि के प्रति अथाह प्रेम जाग्रत हो जाता है। ऐसे में किसी देखने वाले को शरीर ध्यान में मग्न नहीं, अपितु मृत लगता है क्योंकि उस सर्वोच्च अवस्था में कुछ पल के लिए श्वास भी रुक जाती है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“जब मनुष्य को इस बात का पक्का प्रमाण मिल जाता है कि वह वास्तव में एक आत्मा है। यह जान लेने के बाद ही वह आसपास की चीज़ों से अपने मस्तिष्क को मुक्त कर सकता है। ऐसा होने के बाद, वे वस्तुएँ लुप्त होने लगती हैं और बाहर का संसार ओझल होने लगता है। मनुष्य यह जान लेता है कि उसकी अंतरात्मा, उसके भीतर सजीव एवं चेतन रूप में मौजूद है। उससे मिलने वाले आनंद, शांति एवं शक्ति अवर्णनीय हैं। मनुष्य को केवल प्रमाण की आवश्यकता होती है कि उसके भीतर दिव्य और अमर जीवन मौजूद है और”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“सोचिए कि वे लोग हमेशा किसी न किसी वस्तु के माध्यम से खु़शी प्राप्त करने की इच्छा करते हैं। वह किसी अच्छी चीज़ को खा-पीकर अथवा धर्म के माध्यम से या और किसी ज़रिए से खु़शी प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसा सोचने पर आपको मनुष्य की वास्तविक प्रकृति के विषय में संकेत मिल सकता है।’ ‘मैं समझा नहीं।’ महर्षि का स्वर थोड़ा ऊँचा हो जाता है: ‘मनुष्य की वास्तविक प्रकृति आनंद पर आधारित है। खु़शी की तलाश वास्तव में, मनुष्य द्वारा अचेतन रूप से की गई स्वयं की तलाश है क्योंकि स्वयं ही एकमात्र ऐसी वस्तु है जो कभी नष्ट नहीं होती इसलिए व्यक्ति को जब उसकी प्राप्ति हो जाती है तो उसे असीम आनंद का अनुभव होता है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“व्यक्ति को जीवन की गतिशीलता का त्याग करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप प्रतिदिन एक या दो घंटे ध्यान करते हैं तो आप सामान्य दायित्वों का पालन करते रहिए। यदि आपका ध्यान करने का तरीक़ा सही है तो आप सामान्य कार्य करते हुए भी मानसिक प्रवाह को जारी रख सकते हैं। यह एक ही विचार को दो तरीक़ों से व्यक्त करने जैसी बात है। आप ध्यान करते समय जिस विचार का अनुसरण करेंगे, वही विचार आपके गतिविधियों में भी व्यक्त होगा।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“कला मेरा शौक़ और सौंदर्य मेरा आदर्श है। मैंने उन्हीं से कुष्ठ रोगियों, बेसहारा और अपंग लोगों में, जिनसे मैं पहले भय के कारण दूर रहता था, दिव्य सौंदर्य के दर्शन करना सीखा।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“Man does not put the true value upon himself because he has lost the divine sense. Therefore he runs after another man’s opinion, when he could find complete certitude more surely in the spiritually authoritative centre of his own being.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“Pursue the enquiry ‘Who am I?’ relentlessly. Analyse your entire personality. Try to find out where the I-thought begins. Go on with your meditations. Keep turning your attention within. One day the wheel of thought will slow down and an intuition will mysteriously arise. Follow that intuition, let your thinking stop, and it will eventually lead you to the”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“It is true. We are a backward race. But we are a people with few wants. Our society needs improving, but we are contented with much fewer things than your people. So to be backward is not to mean that we are less happy.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“The greatest error of a man is to think that he is weak by nature, evil by nature. Every man is divine and strong in his real nature. What are weak and evil are his habits, his desires and thoughts, but not himself.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“What is all this talk of masters and disciples? All these differences exist only from the disciple’s standpoint.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“realize deeply ¿hat the profound instinct which is innate in the race, which bids man look up, which encourages him to hope on, and which sustains him when life has darkened, is a true instinct, for the essence of being is good.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“The Yogi tries to drive his mind to the goal, as a cowherd drives a bull with a stick, but on this path the seeker coaxes the bull by holding out a handful of grass!”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“The life of action need not be renounced. If you will meditate for an hour or two every day, you can then carry on with your duties. If you meditate in the right manner, then the current of mind induced will continue to flow even in the midst of your work. It is as though there were two ways of expressing the same idea; the same line which you take in meditation will be expressed in your activities.”
Paul Brunton, A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru
“Perhaps the world, incubating over Asiatic wisdom and Western science, will one day hatch out a civilization that will shame antiquity, deride modernity and amaze posterity.”
Paul Brunton, A Search in Secret India: Unabridged
“भव्यता के दीप्तिमान पंखों ने उसे अपने अंदर समेट रखा है। वह अज्ञानता में ही जीना चाहता है। उसके द्वारा किए गए सर्वोच्च आविष्कार उसके जीवन की सबसे बड़ी बाधा हैं और उसे भौतिक जगत की ओर खींचने वाली समस्त वस्तुएँ एक दिन उसके गाँठ बनकर प्रकट हो जाएँगी”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“अंतरिक्ष में मंचित किए जा रहे इस रहस्यमय विश्व नाटक का अर्थ मेरे मन में बिजली की भाँति कौंध रहा है और मैं अपने अस्तित्व के मूल बिंदु पर आ पहुँचा हूँ। “मैं,” नवीन “मैं” पवित्र आनंद की गोद में आराम कर रहा हूँ। मैं सूफियों के मयख़ाने में प्याला पी-पीकर मतवाला हो रहा हूँ। कल की कड़वी स्मृतियाँ और आगामी समय की व्यग्रता से पूर्ण चिंताएँ एकदम ग़ायब हो रही हैं। मैं दैवीय स्वतंत्रता और अवर्णनीय परमसुख हासिल कर चुका हूँ। मेरी बाँहों ने पूरी सृष्टि का पूर्ण सहानुभूति के साथ आलिंगन कर लिया है। मुझे गंभीर तौर पर समझ में आ रहा है कि यह केवल सबको क्षमा करना नहीं, बल्कि प्रेम करना है। मेरा हृदय आनंद से बल्लियों उछल रहा है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“अंततः यह होता है। बुझे हुए दीपक की लौ की तरह विचार ग़ायब हो चुके हैं। बुद्ध अपने वास्तविक आधार पर चली गई है, जो चेतना को बिना बाधा के काम करने दे रही है। मुझे लगता है कि जिस बात को लेकर कुछ समय से मैं संदेह कर रहा था और महर्षि ने जिसकी पूरे विश्वास के साथ पुष्टि की थी, वह यह थी कि मन का उत्कर्ष उत्कृष्ट स्रोत में होता है। दिमाग़ पूरी तरह निलंबित अवस्था में चला गया है, जैसे कि यह गहरी निद्रा में हो, तो भी यहाँ चेतना का ज़रा भी क्षरण नहीं हो रहा है। मैं पूरी तरह शांत और जागरूक बना रहता हूँ कि ‘मैं कौन हूँ’ और ‘क्या हो रहा है।’ तो भी मेरी जागरूकता की समझ, जो व्यक्तित्व के संकुचित दायरे से निकली थी, अब बेहद उदात्त और सर्वव्यापक हो चुकी है। आत्मबोध अब भी बना हुआ है पर यह बदला हुआ, प्रकाशमान आत्मबोध है। पहले वह जिस क्षुद्र व्यक्तित्व “मैं” का बोध था वह उससे कहीं कुछ गंभीर, कुछ दैवीय है जो कि चेतना में जग रहा है और “मेरा” बन रहा है। इसी के साथ पूर्ण स्वतंत्रता का आश्चर्यजनक बोध रहा है। करघे के शटल की भाँति हमेशा इधर से उधर चलायमान चित्त की वृत्ति गति के चंगुल से छूटकर स्वच्छंद हो रही है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“समाधि की दशा में मुझे महर्षि की भविष्यवाणी की सच्चाई का पता चल रहा है। विचारों की तरंगें स्वाभाविक रूप से थम रही हैं। तर्कबुद्धि का काम करना शून्यता में विलीन होने लगा है। मैं जिस विचित्र सनसनी को महसूस कर रहा था अब वह मुझे जकड़ने लगी है। समय थमता सा लग रहा है और मेरा तेज़ी से गहरा होता ध्यान अज्ञात में रमने लगा है। मैं अपनी इंद्रियों से अब और न तो सुन पा रहा हूँ, न महसूस कर पा रहा हूँ और न ही कुछ याद कर पा रहा हूँ। मैं समझ रहा हूँ कि किसी भी क्षण मैं विषयों से परे खड़ा दिखूँगा, दुनिया के रहस्य की बाह्य सीमा को पार कर जाऊँगा…”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“विचारों की उत्पत्ति के स्थान को खोजने का प्रयास करो, अपने वास्तविक स्वरूप को देखो और फिर विचारों की श्रृंखला स्वतः रुक जाएगी।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“मैं अपनी सोचने की क्षमता से, जिसपर मुझे अब तक बहुत गर्व रहा है, छुटकारा चाहता हूँ क्योंकि मैं समझ चुका हूँ कि मैं अनजाने में इस सोच का बंधक बनकर जिया हूँ। मेरे भीतर अचानक बुद्ध से बाहर निकलकर और अपने सच्चे स्वरूप में रहने की इच्छा जाग्रत हो रही है। मैं विचारों से भी गहरे किसी अन्य स्थान में डुबकी लगाना चाहता हूँ। मैं देखना चाहता हूँ कि मस्तिष्क के बंधन से मुक्त होने पर कैसा लगता है। परंतु मुझे यह सब सचेत और जाग्रत अवस्था में करना है!”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“उनके लगातार दोहराए गए निर्देशों के बाद, मैं उनके निराकार मानसिक चित्र को देखने का प्रयास कर रहा हूँ। वही उनकी वास्तविक और सच्ची प्रकृति है, उनकी आत्मा है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि मेरा प्रयास तुरंत ही सफल हो जाता है और उसके बाद वह चित्र अचानक मेरी आँखों से ओझल हो जाता है। मैं महर्षि की उपस्थिति को शक्तिशाली ढंग से महसूस कर सकता हूँ।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“महर्षि के आसपास मौजूद आध्यात्मिक वातावरण और दर्शनशास्त्र से प्रेरित उनकी तार्किक आत्म-विवेचना ही उस पुराने मंदिर में मिल सकती है। उनके मुँह पर कभी “भगवान” शब्द भी नहीं आता। वह प्रतिभा के अंधकारपूर्ण एवं विवादास्पद क्षेत्र से भी दूर रहते हैं क्योंकि यही वह क्षेत्र है जहाँ अति-आशावादी यात्राओं की दुर्घटना होती है। वह लोगों के सामने केवल आत्म-विश्लेषण का सीधा-सा मार्ग रखते हैं जिसका प्राचीन या आधुनिक सिद्धांत और आस्था के बिना अभ्यास किया जा सकता है। इसी मार्ग पर चलकर मनुष्य को सचमुच आत्मज्ञान प्राप्त होता है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“उसे अचानक इस तरह अपने सामने देखकर मैं हैरान हूँ। वह साँप भी मुझे अजीब ढंग से देख रहा है। उसने अपना फन उठा रखा है और उसकी ख़तरनाक आँखें मुझे लगातार घूर रही हैं। आख़िरकार मैं स्वयं को संभालकर पीछे हट जाता हूँ। मैं एक मोटी छड़ से उसे मारने की सोच रहा हूँ कि तभी मुझे वह नवागंतुक व्यक्ति अपनी ओर आता दिखाई पड़ता है। मैं उसे अचानक शांत हो जाता हूँ। वह पास आकर मेरी परिस्थिति को भाँपता है और फिर मेरे कमरे के भीतर चला जाता है। मैं उसे चिल्लाकर चेतावनी देता हूँ लेकिन वह मेरी बात पर ध्यान नहीं देता। मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि उसके पास कोई हथियार नहीं है और उसने अपने दोनों हाथ साँप की ओर उठा दिए हैं। साँप बार-बार अपनी जीभ बाहर निकाल रहा है लेकिन वह उस व्यक्ति पर हमला नहीं करता है। उसी समय मेरे चिल्लाने से कुछ और लोग घरों से बाहर निकल आते हैं। उनके वहाँ पहुँचने से पहले, आगंतुक साँप के बहुत नज़दीक चला गया है। उसे देखकर साँप सिर झुका लेता है और अपनी पूँछ हिलाने लगता है! वह अपने विषैले दाँत अंदर कर लेता लेता है और अन्य लोगों के पहुँचने से पहले ही वह हमारी आँखों के सामने से कुटिया से बाहर निकलकर जंगल में चला जाता है।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“स्वयं से “मैं कौन हूँ?” यह प्रश्न लगातार पूछते रहो। अपने व्यक्तित्व का विश्लेषण करते रहो। देखो, कि “मैं” विचार कहाँ से आरंभ होता है। लागातार ध्यान का अभ्यास करते रहो। अपने ध्यान को भीतर की ओर केंद्रित करो। एक दिन विचारों का चक्र धीमा हो जाएगा और फिर भीतर से अंतर्प्रेरणा उत्पन्न होगी। उस प्रेरणा का अनुसरण करो। अपने विचारों को रुक जाने दो और आख़िरकार, तुम्हें अपना लक्ष्य मिल जाएगा।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“बोले गए शब्दों को अँगुलियों पर गिन सकते हैं! महर्षि, बोलने की अपेक्षा परेशान व्यक्ति को चुपचाप देखते रहते हैं। धीरे-धीरे उसका रोना-चीख़ना बंद हो जाता है। वह दो घंटे बाद अधिक शांत और मज़बूत व्यक्ति बनकर लौटता है। मैं देख चुका हूँ कि यह महर्षि द्वारा किसी परेशान व्यक्ति के उपचार का बहुत बढ़िया तरीक़ा है। यह एक रहस्यमय दूरसंवेदी पद्धति है, जिसे शायद आने वाले समय में विज्ञान समझ सकेगा।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj
“यह सच है कि हम लोग पिछड़े हुए हैं, परंतु हमारी आवश्यकताएँ बहुत सीमित हैं। हमारे समाज को सुधार की आवश्यकता है किंतु हम लोग आपके यहाँ के लोगों की अपेक्षा बहुत कम चीज़ों से भी संतुष्ट रहते हैं। इसलिए पिछड़ा हुआ होने का अर्थ यह नहीं है कि हम लोग कम ख़ुश हैं।”
Paul Brunton, Gupt Bharat ki Khoj

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