“उसे अचानक इस तरह अपने सामने देखकर मैं हैरान हूँ। वह साँप भी मुझे अजीब ढंग से देख रहा है। उसने अपना फन उठा रखा है और उसकी ख़तरनाक आँखें मुझे लगातार घूर रही हैं। आख़िरकार मैं स्वयं को संभालकर पीछे हट जाता हूँ। मैं एक मोटी छड़ से उसे मारने की सोच रहा हूँ कि तभी मुझे वह नवागंतुक व्यक्ति अपनी ओर आता दिखाई पड़ता है। मैं उसे अचानक शांत हो जाता हूँ। वह पास आकर मेरी परिस्थिति को भाँपता है और फिर मेरे कमरे के भीतर चला जाता है। मैं उसे चिल्लाकर चेतावनी देता हूँ लेकिन वह मेरी बात पर ध्यान नहीं देता। मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि उसके पास कोई हथियार नहीं है और उसने अपने दोनों हाथ साँप की ओर उठा दिए हैं। साँप बार-बार अपनी जीभ बाहर निकाल रहा है लेकिन वह उस व्यक्ति पर हमला नहीं करता है। उसी समय मेरे चिल्लाने से कुछ और लोग घरों से बाहर निकल आते हैं। उनके वहाँ पहुँचने से पहले, आगंतुक साँप के बहुत नज़दीक चला गया है। उसे देखकर साँप सिर झुका लेता है और अपनी पूँछ हिलाने लगता है! वह अपने विषैले दाँत अंदर कर लेता लेता है और अन्य लोगों के पहुँचने से पहले ही वह हमारी आँखों के सामने से कुटिया से बाहर निकलकर जंगल में चला जाता है।”
―
Gupt Bharat ki Khoj
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