विष्णु पुराण [Vishnu Puran] Quotes

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विष्णु पुराण [Vishnu Puran] विष्णु पुराण [Vishnu Puran] by Vinay Bhojraj Dwivedi
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“इस प्रकार मनुष्य जाति के लिए निर्धारित विधि-नियमों के विरुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति सैकड़ों, हजारों नरकों से होते हुए जड़, कृमि, जलपशु,पक्षी, पशु, मनुष्य, धर्मात्मा, सज्जन, देवता के रूप में उत्तरोत्तर श्रेष्ठ जाति में जन्मते हुए मुमुक्षु रूप में मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं। प्रायश्चित्त न करने वाले लोग बार-बार नरकवास के फेर में पड़े रहते हैं। यद्यपि भिन्न-भिन्न पापों के लिए भिन्न-भिन्न तपस्या निश्चित हैं, किंतु फिर भी प्रमुख प्रायश्चित्त स्वरूप श्रीमन् नारायण विष्णु का स्मरण करते हुए जीव पाप के विनष्ट होने पर मोक्ष का भागी हो जाता है। जप और तप आदि से तो वह केवल इहलोक ही सुधारता है। किंतु परमपद विष्णु के श्री चरणों में ध्यान लगाने से वह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होता हुआ परमपद को प्राप्त होता है। अतः मनुष्य के लिए विष्णु का स्मरण ही श्रेय है। पृथ्वी जितना विस्तार ही उपरिलोक का भी है।”
Dr. Vinay, विष्णु पुराण [Vishnu Puran]
“पृथ्वी और जल के नीचे यमराज की सत्ता के अधीन पापियों के निवास के लिए अनेक नरक बसे हुए हैं, जिनमें रौरव, महाज्वाल, दारुण, वह्रिजाल, सदंश, तमस, अप्रतिष्ठ आदि प्रमुख हैं।”
Dr. Vinay, विष्णु पुराण [Vishnu Puran]
“झूठ बोलने वाला, पक्षपात करने वाला और सच को छिपाते हुए झूठी गवाही देने वाला रौरव नरक भोगता है। गौहत्या करने वाला, भ्रूणहत्या करने वाला रोध नरक में जाता है। मद्यपान सेवी आदि सूकर नरक भोगते हैं। क्षत्रियों और वणिकों का घाती ताल नरक में जाता है। गुरुपत्नी तथा बहिन के साथ विषय भोग करने वाला या राजदूतों का हत्यारा तप्त कुम्भ नरक भोगता है। पुत्री तथा पुत्रवधू के साथ सम्भोग करने वाला महाज्वाल नरक में जाता है। सती-साध्यी स्त्री को कुमार्गी के हाथों बेचने वाला तत्त्व लौह नरक में जाता है। वेद निन्दक और वेद विरुद्ध आचरण करने वाला अगम्यगामी लवण नरक हो प्राप्त होता है। मर्यादाभंजक और चोर कर्म करने वाला विलोहित नरक में जाता है। देवताओं, ब्राह्मणों अथवा पिता के प्रति द्वेष रखने वाला कृमि भक्ष नरक में जाता है और यज्ञ का अनिष्ट करने वाला कृमीश नरक में जाता है। देवभू, पितृभू या अतिथि भोग से पूर्व भोजन करने वाला लालाभक्ष नरकवासी होता है और प्राणघाती शस्त्र बनाने वाला विशसन नरक में जाता है। असत्प्रतिग्रही और नक्षत्रोपजीवी अधोमुख नरक में शूकर आदि पक्षियों को पालने वाला, मद्यविक्रेता, मित्रघाती और गृहदाह करने वाला रुधिरान्ध्र नरक में, यज्ञ का विध्वंस करने वाला वैतरणी नरक में, पतित सदंश नरक में, व्याधगण वह्रिवाल नरक में तथा वीर्यपात करने वाला ब्रह्मचारी श्वभोजन नरक का गामी होता है।”
Dr. Vinay, विष्णु पुराण [Vishnu Puran]
“झूठ बोलने वाला, पक्षपात करने वाला और सच को छिपाते हुए झूठी गवाही देने वाला रौरव नरक भोगता है। गौहत्या करने वाला, भ्रूणहत्या करने वाला रोध नरक में जाता है। मद्यपान सेवी आदि सूकर नरक भोगते हैं। क्षत्रियों और वणिकों का घाती ताल नरक में जाता है। गुरुपत्नी तथा बहिन के साथ विषय भोग करने वाला या राजदूतों का हत्यारा तप्त कुम्भ नरक भोगता है। पुत्री तथा पुत्रवधू के साथ सम्भोग करने वाला महाज्वाल नरक में जाता है। सती-साध्यी स्त्री को कुमार्गी के हाथों बेचने वाला तत्त्व लौह नरक में जाता है। वेद निन्दक और वेद विरुद्ध आचरण करने वाला अगम्यगामी लवण नरक हो प्राप्त होता है। मर्यादाभंजक और चोर कर्म करने वाला विलोहित नरक में जाता है। देवताओं, ब्राह्मणों अथवा पिता के प्रति द्वेष रखने वाला कृमि भक्ष नरक में जाता है और यज्ञ का अनिष्ट करने वाला कृमीश नरक में जाता है।”
Dr. Vinay, विष्णु पुराण [Vishnu Puran]
“झूठ बोलने वाला, पक्षपात करने वाला और सच को छिपाते हुए झूठी गवाही देने वाला रौरव नरक भोगता है। गौहत्या करने वाला, भ्रूणहत्या करने वाला रोध नरक में जाता है। मद्यपान सेवी आदि सूकर नरक भोगते हैं। क्षत्रियों और वणिकों का घाती ताल नरक में जाता है। गुरुपत्नी तथा बहिन के साथ विषय भोग करने वाला या राजदूतों का हत्यारा तप्त कुम्भ नरक भोगता है। पुत्री तथा पुत्रवधू के साथ सम्भोग करने वाला महाज्वाल नरक में जाता है। सती-साध्यी स्त्री को कुमार्गी के हाथों बेचने वाला तत्त्व लौह नरक में जाता है। वेद निन्दक और वेद विरुद्ध आचरण करने वाला अगम्यगामी लवण नरक हो प्राप्त होता है। मर्यादाभंजक और चोर कर्म करने वाला विलोहित नरक में जाता है।”
Dr. Vinay, विष्णु पुराण [Vishnu Puran]