Parineeta Quotes

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Parineeta Parineeta by Sarat Chandra Chattopadhyay
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Parineeta Quotes Showing 1-6 of 6
“गिरींद्र बाबू की भाँति सत्य पुरुष होना कठिन है। जब मैंने उनसे अपनी बातें बताईं तो उन्होंने मेरे कहने पर विश्वास कर लिया। उन्होंने समझ लिया कि मैं ‘परिणीता’ हूँ। मेरे पतिदेव इस संसार में मौजूद अवश्य हैं, पर मुझे अपनाएँ या न अपनाएँ, यह उनकी अपनी इच्छा है।”
Sarat Chandra Chattopadhyay, परिणीता
“another”
Sarat Chandra Chattopadhyay, Parineeta
“हृदय में घृणा भर जाने पर मनुष्य मनचाहा काम करने का अधिकारी होता है।”
Sarat Chandra Chattopadhyay, परिणीता
“औरतों के हृदय की कमजोरी, लज्जा तथा शील के लिए उसने विधाता को बारंबार धन्यवाद”
Sarat Chandra Chattopadhyay, परिणीता
“स्त्री जाति लज्जा और संकोच की मूर्ति है, इस प्रकार की बातों को वह कभी दूसरों पर नहीं प्रकट करती। नारी की छाती फटकर टुकड़े-टुकड़े क्यों न हो जाए, पर उसकी जुबान नहीं हिलती।”
Sarat Chandra Chattopadhyay, परिणीता
“ललिता ज्योंही पास आकर बैठी त्योंही गुरुचरण उसके सिर पर हाथ रखकर कह उठे-अपने गरीब दुखिया मामा के घर आकर तुझे दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है, क्यों न वेटी? ललिता ने सिर हिलाकर कहा- दिन-रात मेहनत क्यों करनी पडती है मामा? सभी काम करते हैं, मैं भी करती हूँ।- अबकी गुरुचरण हँसे। उन्होंने चाय पीते-पीते कहा-हां ललिता, तो फिर आज रसोई वगैरह का क्या इंतजाम होगा? ललिता ने मामा की ओर देखकर कहा- क्यों मामा, मैं रसोई बनाऊँगी। गुरुचरण ने विस्मय प्रकट करते हुए कहा- तू क्या करेगी बेटी, तू क्या रसोई बनाना जानती है?”
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय, परिणीता