कुरुक्षेत्र Quotes

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कुरुक्षेत्र कुरुक्षेत्र by Ramdhari Singh 'Dinkar'
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कुरुक्षेत्र Quotes Showing 1-23 of 23
“क्योंकि कोई कर्म है ऐसा नहीं, जो स्वयं ही पुण्य हो या पाप हो। सत्य ही भगवान ने उस दिन कहा, ‘मुख्य है कर्त्ता-हृदय की भावना,”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“रुग्ण होना चाहता कोई नहीं, रोग लेकिन आ गया जब पास हो, तिक्त ओषधि के सिवा उपचार क्या?”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“नर की कीर्त्ति-ध्वजा उस दिन कट गयी देश में जड़ से, नारी ने सुर को टेरा जिस दिन निराश हो नर से।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“धर्म, स्नेह, दोनों प्यारे थे, बड़ा कठिन निर्णय था, अत:, एक को देह, दूसरे– को दे दिया हृदय था।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“किसने कहा, पाप है समुचित स्वत्व-प्राप्ति-हित लड़ना? उठा न्याय का खड्ग समर में अभय मारना-मरना?”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“न्याय शान्ति का प्रथम न्यास है,”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“जो अखिल कल्याणमय है व्यक्ति तेरे प्राण में,”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“भेद खुल पाया न धर्माधर्म का,”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“तिक्त ओषधि के सिवा उपचार क्या? शमित होगा वह नहीं मिष्टान्न से।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“जानते हैं, युद्ध का परिणाम अन्तिम ध्वंस है!”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“पर शिराएँ जिस महीरुह की अतल में हैं गड़ी, वह नहीं भयभीत होता क्रूर झंझावात से।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“हाय नर के भाग! क्या कभी तू भी तिमिर के पार”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“राजसुख लोहू-भरी कीच का कमल है।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“विजय कराल नागिनी-सी डँसती है मुझे,”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“सुलभ हुआ है जो किरीट कुरुवंशियों का, उसमें प्रचण्ड कोई दाहक अनल है;”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“सबको विनष्ट किया एक अभिमान ने।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“जानता कहीं जो परिणाम महाभारत का, तन-बल छोड़ मैं मनोबल से लड़ता; तप से, सहिष्णुता से, त्याग से सुयोधन को जीत, नयी नींव इतिहास की मैं धरता।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“किन्तु, इस विध्वंस के उपरान्त भी शेष क्या है? व्यंग्य ही तो भाग्य का? चाहता था प्राप्त मैं करना जिसे तत्व वह करगत हुआ या उड़ गया?”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“अब विजय-उपहार भोगो चैन से।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“हर्ष का स्वर जीवितों का व्यंग्य है।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“जय-सुरा की सनसनी से चेतना निस्पन्द है।”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र
“ईश जानें, देश का लज्जा विषय तत्त्व है कोई कि केवल आवरण”
Ramdhari Singh 'Dinkar', कुरुक्षेत्र