कुरुक्षेत्र Quotes
कुरुक्षेत्र
by
Ramdhari Singh 'Dinkar'821 ratings, 4.39 average rating, 65 reviews
कुरुक्षेत्र Quotes
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“क्योंकि कोई कर्म है ऐसा नहीं, जो स्वयं ही पुण्य हो या पाप हो। सत्य ही भगवान ने उस दिन कहा, ‘मुख्य है कर्त्ता-हृदय की भावना,”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“रुग्ण होना चाहता कोई नहीं, रोग लेकिन आ गया जब पास हो, तिक्त ओषधि के सिवा उपचार क्या?”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“नर की कीर्त्ति-ध्वजा उस दिन कट गयी देश में जड़ से, नारी ने सुर को टेरा जिस दिन निराश हो नर से।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“धर्म, स्नेह, दोनों प्यारे थे, बड़ा कठिन निर्णय था, अत:, एक को देह, दूसरे– को दे दिया हृदय था।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“किसने कहा, पाप है समुचित स्वत्व-प्राप्ति-हित लड़ना? उठा न्याय का खड्ग समर में अभय मारना-मरना?”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“न्याय शान्ति का प्रथम न्यास है,”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“जो अखिल कल्याणमय है व्यक्ति तेरे प्राण में,”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“भेद खुल पाया न धर्माधर्म का,”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“तिक्त ओषधि के सिवा उपचार क्या? शमित होगा वह नहीं मिष्टान्न से।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“जानते हैं, युद्ध का परिणाम अन्तिम ध्वंस है!”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“पर शिराएँ जिस महीरुह की अतल में हैं गड़ी, वह नहीं भयभीत होता क्रूर झंझावात से।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“हाय नर के भाग! क्या कभी तू भी तिमिर के पार”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“राजसुख लोहू-भरी कीच का कमल है।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“विजय कराल नागिनी-सी डँसती है मुझे,”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“सुलभ हुआ है जो किरीट कुरुवंशियों का, उसमें प्रचण्ड कोई दाहक अनल है;”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“सबको विनष्ट किया एक अभिमान ने।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“जानता कहीं जो परिणाम महाभारत का, तन-बल छोड़ मैं मनोबल से लड़ता; तप से, सहिष्णुता से, त्याग से सुयोधन को जीत, नयी नींव इतिहास की मैं धरता।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“किन्तु, इस विध्वंस के उपरान्त भी शेष क्या है? व्यंग्य ही तो भाग्य का? चाहता था प्राप्त मैं करना जिसे तत्व वह करगत हुआ या उड़ गया?”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“अब विजय-उपहार भोगो चैन से।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“हर्ष का स्वर जीवितों का व्यंग्य है।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“जय-सुरा की सनसनी से चेतना निस्पन्द है।”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
“ईश जानें, देश का लज्जा विषय तत्त्व है कोई कि केवल आवरण”
― कुरुक्षेत्र
― कुरुक्षेत्र
