“आध्यात्मिक साक्षात्कार के ज्ञान का अहंकार सबसे घातक होता है। फल-भार से झुके आम्र-वृक्ष की भाँति साक्षात्कारी ज्ञानी को सदैव नम्र रहना चाहिए। ऐसा होने पर ज्ञान के स्वर्ण में सत्य की सुगन्ध आती है।”
― युगंधर [Yugandhar]
― युगंधर [Yugandhar]
“अब रहीं चार विद्याएँ, उनके नाम हैं–मीमांसा, तर्क, पुराण और धर्म। मीमांसा का अर्थ है किसी विषय को सभी उचित, अनुचित अंगों सहित स्पष्ट करना, उसकी गहराई तक पहुँचना, उसका सर्वांगीण विश्लेषण करना। मीमांसा के दो भेद हैं–पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा। और जिसमें न्याय-अन्याय की चर्चा की गयी है, वह है तर्कविद्या।”
― युगंधर [Yugandhar]
― युगंधर [Yugandhar]
“श्री’ अर्थात् सामर्थ्य, ‘श्री’ अर्थात् सौन्दर्य। ‘श्री’ का अर्थ है अनगिनत सम्पत्ति, अमोघ बुद्धि, अशरण बुद्धि। ‘श्री’ के कई अर्थ हैं–असीम यश भी उसका एक अर्थ है। अनेकानेक सद्गुणों की असीम यशदायी सम्पत्ति क्या आपको इस यौवन-सम्पन्न वसुदेव-पुत्र कृष्ण में समायी हुई नहीं दिखाई दे रही है? मुझे तो वह स्पष्ट दिख रही है।”
― युगंधर [Yugandhar]
― युगंधर [Yugandhar]
“वेदों के दूसरे अंग का नाम है छन्द।” आचार्यश्री बोलने लगे–“छन्द अर्थात् संगीत के स्वर, ताल और लय का शास्त्र-शुद्ध ज्ञान।” अब वे अपने विवेचन में रँग गये थे–“भाषा के निर्दोष आकलन के नियम जिसमें हैं, वह तीसरा अंग है ‘व्याकरण’।”
― युगंधर [Yugandhar]
― युगंधर [Yugandhar]
“If you can't make the split-second decision, it will be made for you.”
― Make the F*ckin’ Decision: Understand the Power of Decision-Making in Your Life
― Make the F*ckin’ Decision: Understand the Power of Decision-Making in Your Life
Abhijeet’s 2024 Year in Books
Take a look at Abhijeet’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
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