“वेदों ने अत्यधिक कर्मकाण्ड और औपचारिकताओं पर आधारित धर्म को जन्म दिया तो उपनिषदों ने दार्शनिक चिन्तन और आध्यात्मिक आन्दोलन के माध्यम से धर्म को कम बोझिल और अधिक लचीला बनाया। जब धर्म परस्पर मतभेदों और सिद्धान्तों के टकराव का अखाड़ा बनने लगा तो बुद्ध ने सादगी और नैतिकता का सन्देश देकर एक नयी राह दिखाई। इसके बाद आदि शंकराचार्य ने देश भर का भ्रमण करते हुए और जगह-जगह मन्दिर और चार बड़े मठ स्थापित करते हुए हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान और पुनर्जागरण किया। शंकराचार्य और उसके बाद रामानुज के प्रयासों से ही हिन्दू धर्म एक बार फिर से भारत का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय धर्म बन पाया। मध्वाचार्य, चैतन्य, रामानन्द और बसव (जिनके लिंगायत अनुयायी आजकल अपने धर्म को एक अलग धर्म माने जाने का आग्रह कर रहे हैं) जैसे सुधारकों के साथ-साथ कबीर, मीराबाई, तुलसीदास और गुरुनानक (जिनके द्वारा सिख धर्म की नींव रखी जाने के बावजूद जिन्हें स्वामी विवेकानन्द की तरह बहुत-से हिन्दू एक हिन्दू सुधारक के रूप में भी देखते हैं)”
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Main Hindu Kyun Hoon
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