“तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, यहाँ से चले जाओ; क्योंकि तुम्हारा यहाँ होना तुम्हारे लिए शर्म का कारण होगा और मुझ पर तरस खाने से तुम्हें बेइज्जती तथा नफरत ही मिलेगी। जाओ, इससे पहले कि सुअरों की गंदगी से गंदे इस गंदे कमरे में कोई तुम्हें देखे, यहाँ से चले जाओ। तेज कदमों से निकल जाना और अपने लबादे में अपना मुँह छिपा लेना, ताकि यहाँ से गुजरनेवाला कोई तुम्हें पहचान न पाए। तुम्हारी यह करुणा मेरी पाकीजगी को लौटा नहीं पाएगी, न ही मेरे पापों को धो पाएगी और न ही यह मेरी तरफ बढ़ते मौत के मजबूत हाथ को रोक पाएगी। मेरी बदनसीबी और मेरे गुनाह ने मुझे इन अँधेरी गहराइयों में धकेल दिया है। अपनी दया से अपने आपको कलंकित होने के करीब मत आने दो। मैं तो कब्रों के बीच रह रही एक कोढ़िन हूँ। मेरे पास मत आओ। ऐसा न हो कि लोग तुम्हें नापाक समझें और तुमसे दूर भागें। अब लौट जाओ, लेकिन मेरा नाम उन पवित्र वादियों में मत लेना, क्योंकि चरवाहा अपने झुंड के डर से बीमार भेड़ को अपनाने से इनकार कर देगा। अगर तुम मेरा नाम लो भी तो बस इतना कहना कि बान की रहनेवाली मार्था मर गई। और कुछ मत कहना।”
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Khalil Zibran Ki Lokpriya Kahaniyan
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