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परंतु अक्सर युवक यह मान लेते हैं कि बूढ़े लोगों के पास जो ज्ञान है, वह गुज़रे जमाने का ज्ञान है और वर्तमान में उससे कोई लाभ नहीं होगा। यही वजह है कि वे उस ज्ञान का लाभ नहीं उठाते हैं। मगर एक बात हमेशा याद रखना, आज जो सूरज चमक रहा है, यह वही सूरज है जो तुम्हारे पिता के जमाने में चमकता था और यह सूरज तब भी चमकता रहेगा, जब तुम्हारे नाती-पोते इस दुनिया से चले जाएँगे।’”
'युवाओं के विचार उन धूमकेतुओं की तरह होते हैं, जो अक्सर आसमान को चमकदार बना देते हैं, जबकि बुढ़ापे का ज्ञान सितारों की तरह होता है, जिनकी चमक में कोई फ़र्क़ नहीं आता है।
दौलत की राह पर तब पहुँचा, जब मैंने यह फ़ैसला किया कि मैं अपनी कमाई का एक हिस्सा ख़ुद रखूँगा।
व्यक्ति अपनी बचत के बारे में अनुभवहीन व्यक्तियों से सलाह लेता है, वह ग़लत सलाह के कारण अपनी बचत गँवा देता है।' इतना कहकर वे चले गए।
अवसर एक घमंडी देवता है, जो उन लोगों पर समय बर्बाद नहीं करता, जो तैयार न हों।”
‘मैं जितना कमाऊँगा, उसका एक हिस्सा ख़ुद रखूँगा।' इस वाक्य को सुबह उठते समय दोहराएँ। इसे दोपहर में दोहराएँ। इसे रात में दोहराएँ। इसे हर दिन, हर घंटे दोहराएँ। आप ख़ुद से तब तक यह कहते रहें, जब तक कि ये शब्द आसमान में आग के अक्षरों की तरह साफ़ नज़र न आने लगें
बुद्धिमान लोगों से सलाह लें। धन संबंधी काम करने वाले लोगों से सलाह लें। वे आपको उस तरह की ग़लती से बचा लेंगे, जो मैंने अपने धन को ईंट बनाने वाले अज़मर के हवाले करते समय की थी। कम परंतु सुरक्षित लाभ जोखिम लेने से बेहतर है।
इसके अलावा, अपनी आमदनी के हिसाब से ज़िंदगी गुज़ारें। बहुत ज़्यादा कंजूस न बनें, न ही ख़र्च करने से डरें। ज़िंदगी बहुत अच्छी है और ज़िंदगी में ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जिनका आनंद लिया जाना चाहिए।”
वज़ीर ने जवाब दिया, “क्योंकि वे इसका तरीक़ा जानते थे। हम सफल लोगों की इस कारण निंदा नहीं कर सकते, क्योंकि वे सफल होने का तरीक़ा जानते हैं। इसके अलावा यह भी उचित नहीं होगा कि वैध रूप से कमाए धन को ज़बर्दस्ती छीनकर कम योग्य व्यक्तियों में बॉट दिया जाए।”
जो एक व्यक्ति जानता है, उसे दूसरों को भी सिखाया जा सकता है।”
कमाई का हर तरीक़ा धन की नदी की तरह है। काम करने वाला अपनी मेहनत से उस नदी का रुख़ अपने पर्स की तरफ़ मोड़ लेता है।
अपने पर्स में डाले गए दस सिक्कों में से सिर्फ़ नौ सिक्के बाहर निकालें। जब आप अपनी सिर्फ़ नब्बे प्रतिशत आमदनी ही ख़र्च करेंगे, तो जल्दी ही आपका पर्स मोटा होने लगेगा। पर्स भारी होने से आपको अच्छा लगेगा और आपके कलेजे को ठंडक पहुँचेगी।
आवश्यक ख़र्च और अपनी इच्छाओं के बीच के फ़र्क़ को नज़रअंदाज़ न करें।
आपकी आमदनी से आपकी जितनी इच्छाएँ संतुष्ट हो सकती हैं, आपकी और आपके परिवार की इच्छाएँ उससे कहीं ज़्यादा होती हैं। उन इच्छाओं की संतुष्टि के लिए आमदनी कम पड़ जाती है और बहुत सी इच्छाएँ ऐसी रह जाती हैं, जो संतुष्ट नहीं हो पातीं।
इसलिए आप जिन चीज़ों के लिए ख़र्च करना चाहते हों, उन्हें लिख लें। सिर्फ़ आवश्यक चीज़ों को चुनें। इसके अलावा सिर्फ़ उन्हीं चीज़ों को चुनें, जो आपकी नब्बे प्रतिशत आमदनी में संभव हों। बाक़ी सब चीज़ों को हटा दें और उन्हें अपनी असीमित इच्छाओं का हिस्सा मान लें, जो संतुष्ट नहीं होंगी। उनका अफ़सोस न करें।
अपने पर्स को मोटा बनाए रखने की दिशा में बजट को अपना पहला सलाहकार बनाएँ।
बजट द्वारा आप साधारण इच्छाओं से अपनी सबसे प्रबल इच्छाओं की रक्षा करते हैं, ताकि वे पूरी हो सकें।
“ख़ाली पर्स का यह दूसरा इलाज है। अपने ख़र्च का बजट बना लें, ताकि आपके पास अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसा रहे और आप नब्बे प्रतिशत आमदनी में ही अपनी बाक़ी महत्वपूर्ण इच्छाओं का आनंद ले सकें तथा उन्हें संतुष्ट कर सकें।”
“मेरे विद्यार्थियों, मैं आपको बता दूँ, दौलत पर्स में खनखना रहे सिक्कों से नहीं बनती है। दौलत तो निवेश से प्राप्त आमदनी से बनती है। दौलत का अर्थ धन की वह धारा है, जो लगातार पर्स में बहकर आती है ओर उसे हमेशा मोटा करती रहती
“हर सिक्के से मेहनत करवाते रहें, जब तक कि यह और सिक्के पैदा न करे, ठीक उसी तरह जिस तरह मवेशी करते हैं। यह सुनिश्चित करें कि हर सिक्के का निवेश आपको आमदनी देता रहे और धन की धारा लगातार आपके पर्स में बहकर आती रहे।”
अक्सर उसके मित्र और रिश्तेदार ऐसे निवेशों में उत्साह से प्रवेश करते हैं और उसे भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करते हैं।
आज मेरे पास इतना ज्ञान आ चुका है कि मैं तत्काल समझ लूँगा कि रत्न ख़रीदने के लिए ईंट बनाने वाले पर भरोसा करना मूर्खता है।”
आत्मविश्वास में आकर अपनी पूँजी का ऐसी जगह पर निवेश न करें, जहाँ उसके डूबने का ख़तरा हो। बेहतर यह है कि आप धन के प्रबंधन में अनुभवी लोगों की समझदारी भरी सलाह लें। इस तरह की सलाह माँगने पर मुफ़्त मिल जाती है। हो सकता है यह सलाह उतनी ही मूल्यवान साबित हो, जितनी रक़म का आप निवेश करने जा रहे हैं। सच तो यह है कि अगर यह सलाह आपकी पूँजी को डूबने से बचाती है, तो यह आपकी पूँजी जितनी ही मूल्यवान होती है।”
अपने घर के मालिक बनें।
भविष्य के लिए धन सुरक्षित रखने के उद्देश्य से इंसान घर या ज़मीन ख़रीद सकता है। अगर समझदारी से घर या ज़मीन को चुना जाए, ताकि भविष्य में भी उसकी उपयोगिता तथा मूल्य में वृद्धि हो, तो ऐसा करना लाभकारी है। भविष्य में इस जायदाद को बेचकर अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
अपने बुढ़ापे और अपने परिवार की रक्षा के लिए पहले से ही व्यवस्था कर लें।
“उपलब्धि से पहले उसकी इच्छा होना चाहिए। आपकी इच्छाएँ प्रबल और निश्चित होना चाहिए।” सामान्य इच्छाएँ सिर्फ़ कमज़ोर चाहत होती हैं। अगर किसी इंसान में सिर्फ़ अमीर बनने की चाहत है, तो उससे कोई फ़ायदा नहीं होगा। परंतु जिस व्यक्ति में पाँच स्वर्ण-मुद्राएँ कमाने की इच्छा है, उसकी इच्छा निश्चित है और वह इसे पूरा कर सकता है। जब
बहुत सी चीज़ें इंसान की ज़िंदगी को लाभकारी अनुभवों से समृद्ध बनाती हैं। अगर किसी व्यक्ति में आत्मसम्मान है, तो उसे नीचे दिए गए काम करना चाहिए: “उसे अपना कर्ज़ यथासंभव शीघ्रता से चुकाना चाहिए और ऐसी चीज़ें नहीं ख़रीदना चाहिए, जिनका वह भुगतान न कर पाए।” “उसे अपने परिवार की अच्छी देखभाल करना चाहिए, ताकि वे उसके बारे में अच्छे विचार रखें और अच्छी बातें कहें।” “उसे अपनी वसीयत कर देना चाहिए, ताकि जब देवता उसे अपने पास बुला लें, तो उसकी जायदाद का उचित और गरिमापूर्ण बँटवारा हो सके।” “उसे दुर्भाग्य के शिकार लोगों पर दया करना चाहिए और तार्किक सीमाओं के भीतर उनकी मदद करना चाहिए। उसे अपने प्रियजनों के
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मैं बैबिलॉन के कई सफल लोगों को जानता हूँ, परंतु उनमें से एक भी ऐसा नहीं है, जिसने अपनी सफलता की शुरुआत जुएघर की टेबल से की हो।”
पहला क़दम बहुत महत्वपूर्ण है। इस क़दम को उठाने के बाद इंसान मेहनत से धन कमाने वाले व्यक्ति के बजाय अपने निवेश से लाभ कमाने वाले व्यक्ति में बदल जाता है।
“इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हमें
विश्वास हो कि हमारा सौदा समझदारीपूर्ण है, तो हमें तत्काल पैसे दे देना चाहिए। अगर सौदा अच्छा है, तो आपको दूसरों के अलावा ख़ुद की कमज़ोरियों से भी अपनी रक्षा करने की ज़रूरत होती है। इंसानों के विचार बदलते रहते हैं।
दोनों ही कहानियों से यह निष्कर्ष निकलता है कि ख़ुशक़िस्मती अवसर में छुपी होती है। चाहे ख़ुशक़िस्मती का लाभ उठाया गया हो या नहीं उठाया गया हो,
“
बेटे, मेरी यह इच्छा है कि तुम मेरी जायदाद के वारिस बनो। परंतु पहले तुम्हें यह साबित करना होगा कि तुम समझदारी से इसे सँभाल सकते हो। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम दुनिया में बाहर निकलो और धन कमाने तथा लोगों के बीच सम्मान पाने की अपनी योग्यता को साबित करो।”

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