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जो अपनी आमदनी को कम से कम दसवें हिस्से का प्रयोग अपने तथा अपने परिवार के भविष्य के लिए जायदाद बनाने में करता है।
जो इसके लिए लाभकारी काम खोजता है। यह
जो इसका निवेश सिर्फ़ समझदार लोगों की सलाह से करता है।
जो इसका निवेश उन व्यवसायों या उद्देश्यों के लिए करता है, जिनसे वह परिचित नहीं है या जिनकी अनुशंसा समझदार लोग नहीं करते हैं।
जो इसके माध्यम से असंभव आमदनी हासिल करना चाहता है या
जो इसे अपनी अनुभवहीनता और रूमानी इच्छाओं के अधीन निवेश करता है।
संकटों की कोई श्रृंखला ऐसी नहीं होती, जो कभी ख़त्म न हो।
“अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा हो, तो मैं तुम्हें धन के लाभकारी प्रबंधन के बारे में एक सबक़ सिखाना चाहूँगा।
अपनी बचत का निवेश समझदार लोगों के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
बाद में इस समूह ने मुझे अन्य निवेशों में भी हिस्सेदार बना लिया।
इस बात का ध्यान रखते थे कि उनके मूल धन पर ज़रा भी आँच न आए।
पाँच नियमों का पालन करता है, उसके पास धन आता है और उसके वफ़ादार सेवक की तरह काम करता है।”
बुद्धिमत्ता न हो, तो धन अमीर आदमी से भी जल्दी ही दूर चला जाता है। लेकिन बुद्धिमत्ता होने पर ग़रीब आदमी भी धन हासिल कर सकता है, जैसा सोने की मोहरों से भरी इन तीन थैलियों से साबित होता है।”
“दौलत कमाना विचारशील व्यक्ति के लिए एक हल्का बोझ होता है। इस बोझ को लगातार हर साल उठाकर वह अपने अंतिम उद्देश्य को हासिल कर लेता है।”
निवेश से मिलने वाले ब्याज का दुबारा निवेश करने पर तुम और ज़्यादा कमाओगे। यही पहले नियम का सार है।”
समय गुज़रने के साथ धन आश्चर्यजनक तेज़ी से कई गुना हो जाता है
“जिस व्यक्ति के पास धन तो होता है, परंतु वह इसे सँभालना नहीं जानता है, उसे बहुत से लाभकारी सौदे नज़र आते हैं। अक्सर उनमें धन गँवाने का जोखिम होता है।
“अगर तुम नोमाज़िर की तरह अपने धन के एक हिस्से से जायदाद बनाना शुरू करोगे और अरक़ाद की बुद्धिमत्ता से मार्गदर्शन लोगे, तो यह तय है कि दस साल बाद अरक़ाद के पुत्र की तरह ही तुम भी अमीर और सम्मानित बन जाओगे।”
“आपकी इच्छाशक्ति में जादुई ताक़त होती है। अगर तुम धन के पाँच नियमों के ज्ञान से इस शक्ति को राह दिखाओगे, तो तुम भी बैबिलॉन के ख़ज़ाने में हिस्सेदार बन जाओगे।
धन अपने साथ ज़िम्मेदारी भी लाता है। धन के स्वामी की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। उसके साथियों के साथ उसकी स्थिति बदल जाती है। धन के साथ यह डर भी आता है कि कहीं यह धन चला न जाए या कोई चालबाज़ी से उसे ले न जाए। पैसे से नेक काम करने की शक्ति और सामर्थ्य मिलती है। इसी तरह, धनवान आदमी के सामने ऐसे अवसर भी आते हैं, जब बहुत अच्छे इरादों के बावज़ूद वह मुश्किल में पड़ सकता है।”
साहूकार को सावधानी और समझदारी से यह तय करना होता है कि उसका धन उधार लेने वाले के काम आएगा तथा उसका पैसा दुबारा लौट आएगा। अगर उसका धन मूर्खतापूर्ण काम में लगेगा, तो उसका मूलधन भी डूब जाएगा, क्योंकि कर्ज़ लेने वाला कर्ज़ नहीं चुका पाएगा?
“निशानी वाला संदूक मुझे बताता है कि सबसे सुरक्षित कर्ज़दार वे होते हैं, जिनके पास कर्ज़ की रक़म से ज़्यादा संपत्ति होती है। उनके पास ज़मीन, हीरे-जवाहरात, ऊँट या अन्य चीज़ें होती हैं, जिन्हें बेचकर कर्ज़ चुकाया जा सकता है।
“दूसरी श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं, जिनमें कमाने की क्षमता होती है। वे तुम्हारी तरह के लोग होते हैं, जो मेहनत या सेवा करते हैं और उन्हें बदले में वेतन या पारिश्रमिक मिलता है।
जब तक कि कर्ज़ लेने वाले के साथ उसके अच्छे मित्रों की गारंटी न हो, जो उसे विश्वसनीय मानते हों।”
“अगर वे किसी ऐसे उद्देश्य के लिए कर्ज़ लेते हैं, जिससे उन्हें पैसा मिल जाता है, तो वे ऐसा करते हैं। परंतु अगर वे अपनी नासमझियों के लिए उधार लेते हैं, तो में तुम्हें यह चेतावनी देता हूँ कि तुम्हारा धन तुम्हारे हाथ में दोबारा लौटकर नहीं आएगा।”
मैं जानता था कि इस अनुभवहीन युवक को धन देने में जोख़िम है, परंतु चूँकि उसने यह कंगन गिरवी रखा था, इसलिए मैं उसे कर्ज़ देने से इंकार नहीं कर सकता था।”
वह एक समझदार व्यापारी है। मुझे उसके सही निर्णय लेने की क्षमता पर भरोसा है और में उसे उदारता से उधार दे सकता हूँ। बैबिलॉन के कई अन्य व्यापारियों पर भी मुझे भरोसा है, क्योंकि उनका व्यवहार विश्वसनीय है।
अच्छे व्यापारी हमारे शहर की शान हैं। व्यापार में उनकी सहायता करने से मुझे तो लाभ होता ही है, बैबिलॉन भी समृद्ध होता है।”
“युवक महत्वाकांक्षी होते हैं। वे दौलत तथा अन्य मनचाही वस्तुओं के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं। फटाफट दौलत हासिल करने के लिए युवक अक्सर नासमझी भरे कर्ज़ ले लेते हैं। उनके पास अनुभव नहीं होता, इसलिए उन्हें यह एहसास ही नहीं होता है कि निराशाजनक कर्ज़ एक गहरा गड्ढा है, जिसमें कोई भी आसानी से उतर तो सकता है, परंतु उसमें से निकलना आसान नहीं है। कर्ज़ से उबरने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ सकता है। यह दुख और पश्चाताप की खाई है, जहाँ सूरज की रोशनी मद्धिम हो जाती है और रातों की नींद उड़ जाती है। बहरहाल,
तुम्हें इस व्यवसाय का कितना ज्ञान है? क्या तुम जानते हो कि सबसे कम क़ीमत पर यह सामान कहाँ ख़रीदा जा सकता है? क्या तुम जानते हो कि अच्छी क़ीमत पर यह सामान कहाँ बेचा जा सकता है?” क्या वह इन सवालों का जवाब हाँ! में दे सकता है?”
“फिर मैं उससे कहूँगा कि उसका उद्देश्य समझदारीपूर्ण नहीं है। व्यापारियों को व्यापार करना आना चाहिए। हालाँकि उसकी महत्वाकांक्षा उचित है, परंतु यह व्यावहारिक नहीं है, इसलिए मैं उसे धन उधार नहीं दूँगा।”
‘
समझदार साहूकार उधार देते समय जोख़िम नहीं लेता है। वह सुरक्षित भुगतान की गारंटी चाहता है।
परंतु मदद समझदारीपूर्ण तरीक़े से की जाना चाहिए, वरना मदद करते समय किसान के खच्चर की तरह हम भी दूसरों का बोझ अपने ऊपर लाद लेंगे।”
मेरा जवाब सुन लो: ‘अपनी सोने की पचास मोहरें अपने ही पास रखो। जो तुमने अपनी मेहनत से कमाया है और जो तुम्हें पुरस्कार में मिला है, वह तुम्हारा है और कोई व्यक्ति इस पर तब तक हक़ नहीं जमा सकता, जब तक कि तुम ऐसा न चाहो। अगर तुम इसे उधार देते हो, ताकि यह तुम्हारे लिए सूद कमा सके, तो इस काम में सतर्क रहना और कई जगहों पर इसका निवेश करना। मुझे पर्स में पड़ा रहने वाला आलसी सोना पसंद नहीं है। बहरहाल, मुझे जोख़िम तो उससे भी ज़्यादा नापसंद है।”
धन इसलिए उधार देता हूँ, क्योंकि मैं अपने व्यापार में जितने धन का प्रयोग कर सकता हूँ, मेरे पास उससे ज़्यादा धन है। मैं चाहता हूँ कि मेरा अतिरिक्त धन दूसरों के लिए मेहनत करे और उससे ज़्यादा पैसा कमाया जा सके। मैं धन गँवाने का जोख़िम नहीं लेना चाहता हूँ क्योंकि मैंने इसे हासिल करने के लिए काफ़ी मेहनत की है और बहुत सी इच्छाओं का त्याग किया है। इसलिए मैं इसे वहाँ उधार नहीं दूँगा, जहाँ मुझे यह विश्वास न हो कि यह सुरक्षित रहेगा और मेरे पास वापस आएगा। मैं इसे वहाँ भी उधार नहीं दूँगा, जहाँ मुझे यह विश्वास न हो कि इसका ब्याज मुझे समय पर दिया जाएगा।”
लोग यह सोचते हैं कि अगर उनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसा आ जाए, तो दौलत उनके घर में बरसने लगेगी। परंतु इस तरह की आशा झूठी होती है, क्योंकि उनके पास सफल होने की योग्यता या प्रशिक्षण नहीं होता है।”
समझदारी से उधार दिया गया धन इंसान के बूढ़े होने से पहले दोगुना हो सकता है। अगर तुम मूलधन गँवाने का जोख़िम लेते हो, तो तुम उसके ब्याज को भी गँवाने का जोख़िम लेते हो, जो यह कमा सकता है।”
अपने धन पर तुम कितने प्रतिशत ब्याज चाहते हो, इस बारे में तुम ज़मीन पर ही रहना, ताकि तुम्हारा मूलधन सुरक्षित रह सके और तुम उसका आनंद ले सको। बहुत ज़्यादा लाभ कमाने के लालच में आकर उधार देना नुक़सान को आमंत्रित करना है।”

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