Himanshu Shah

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“रह साथ सदा खेला, खाया, सौभाग्य-सुयश उससे पाया, अब जब विपत्ति आने को है, घनघोर प्रलय छाने को है, तज उसे भाग यदि जाऊँगा, कायर, कृतघ्न कहलाऊँगा।
रश्मिरथी
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