Himanshu Shah

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“उसको सेवा, तुमको सुकीर्त्ति प्यारी है, तु ठकुरानी हो, वह केवल नारी है। तुमने तो तन से मुझे काढ़ कर फेंका, उसने अनाथ को हृदय लगा कर सेंका।
रश्मिरथी
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