Himanshu Shah

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पाप हाथ से निकल मनुज के सिर पर जब छाता है, तब, सत्य ही, प्रदाह प्राण का सहा नहीं जाता है। अहंकारवश इन्द्र सरल नर को छलने आये थे, नहीं त्याग के महातेज-सम्मुख जलने आये थे।
रश्मिरथी
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