Himanshu Shah

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“लो, सुखी रहो, सारे पाण्डव फिर एक बार वन जायेंगे, इस बार, माँगने को अपना वे स्वत्व न वापस आयेंगे। धरती की शान्ति बचाने को आजीवन कष्ट सहेंगे वे, नूतन प्रकाश फैलाने को तप में मिल निरत रहेंगे वे।
रश्मिरथी
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