Umang Tatariya

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चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर न अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय!’
रश्मिरथी
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