Akash

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“तुच्छ है, राज्य क्या है केशव? पाता क्या नर कर प्राप्त विभव? चिन्ता प्रभूत, अत्यल्प हास, कुछ चाकचिक्य, कुछ क्षण विलास। पर, वह भी यहीं गँवाना है, कुछ साथ नहीं ले जाना है!
रश्मिरथी
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