Akash

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‘प्रवंचित हूँ, नियति की दृष्टि में दोषी बड़ा हूँ, विधाता से किये विद्रोह जीवन में खड़ा हूँ। स्वयं भगवान् मेरे शत्रु को ले चल रहे हैं, अनेकों भाँति से गोविन्द मुझको छल रहे हैं।
रश्मिरथी
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