Akash

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“समझा, तो यह और न कोई, आप स्वयं सुरपति हैं, देने को आये प्रसन्न हो तप में नयी प्रगति हैं। धन्य हमारा सुयश आपको खींच मही पर लाया, स्वर्ग भीख माँगने आज, सच ही, मिट्टी पर आया।
रश्मिरथी
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