Akash

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“तनिक सोचिये, वीरों का यह योग्य समर क्या होगा? इस प्रकार से मुझे मार कर पार्थ अमर क्या होगा? एक बाज़ का पंख तोड़ कर करना अभय अपर को, सुर को शोभे भले, नीति यह नहीं शोभती नर को।
रश्मिरथी
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