Akash

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“बड़वानल, यम या कालपवन, करते जब कभी कोप भीषण सारा सर्वस्व न लेते हैं, उच्छिष्ट छोड़ कुछ देते हैं। पर, इसे क्रोध जब आता है; कुछ भी न शेष रह पाता है।
रश्मिरथी
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