Akash

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“कवच-कुण्डल गया; पर, प्राण तो हैं, भुजा में शक्ति, धनु पर बाण तो हैं। गयी एकध्नि तो सब कुछ गया क्या? बचा मुझमें नहीं कुछ भी नया क्या?
रश्मिरथी
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