Akash

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“इसलिए, पुत्र! अब भी रुककर, मन में सोचो, यह महासमर, किस ओर तुम्हें ले जायेगा? फल अलभ कौन दे पायेगा? मानवता ही मिट जायेगी, फिर विजय सिद्धि क्या लायेगी?
रश्मिरथी
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