Akash

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“चले वनवास को तब धर्म था वह, शकुनियों का नहीं अपकर्म था वह। अवधि का पूर्ण जब, लेकिन, फिरे वे, असल में, धर्म से ही थे गिरे वे।
रश्मिरथी
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