Akash

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“श्रम से नहीं विमुख होंगे जो दुख से नहीं डरेंगे, सुख के लिए पाप से जो नर सन्धि न कभी करेंगे। कर्ण-धर्म होगा धरती पर बलि से नहीं मुकरना, जीना जिस अप्रतिम तेज से, उसी शान से मरना।
रश्मिरथी
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