Akash

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जो नर आत्मदान से अपना जीवन-घट भरता है, वही मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरता है। जहाँ कहीं है ज्योति जगत् में, जहाँ कहीं उजियाला, वहाँ खड़ा है कोई अन्तिम मोल चुकानेवाला।
रश्मिरथी
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