Akash

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पत्थर-सी हों मांस-पेशियाँ, लोहे-से भुजदण्ड अभय, नस-नस में हो लहर आग-की, तभी जवानी पाती जय। विप्र हुआ तो क्या, रक्खेगा रोक अभी से खाने पर? कर लेना घनघोर तपस्या वय चतुर्थ के आने पर।
रश्मिरथी
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