Akash

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“आज्ञा हो तो अब धनुष धरूँ, रण में चलकर कुछ काम करूँ, देखूँ, है कौन प्रलय उतरा, जिससे डगमग हो रही धरा। कुरुपति को विजय दिलाऊँ मैं, या स्वयं वीरगति पाऊँ मैं।
रश्मिरथी
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