Akash

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सागर-सा गर्जित, क्षुभित घोर, विकराल दण्डधर-सा कठोर, अरिदल पर कुपित कर्ण टूटा, धनु पर चढ़ महामरण छूटा। ऐसी पहली ही आग चली, पाण्डव की सेना भाग चली।
रश्मिरथी
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