Akash

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कुरुकुल का दीपित ताज गिरा, थक कर बूढ़ा जब बाज़ गिरा, भूलुठित पितामह को विलोक, छा गया समर में महा शोक। कुरुपति ही धैर्य न खोता था, अर्जुन का मन भी रोता था।
रश्मिरथी
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