Piyush Sharma

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“उमड़ी न स्नेह की उज्ज्वल धार हृदय से, तुम सूख गयीं मुझको पाते ही भय से। पर, राधा ने जिस दिन मुझको पाया था, कहते हैं, उसको दूध उतर आया था।
रश्मिरथी
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